सांसदों के सुझावों को गंभीरता से सुनें
केंद्र सरकार ने केंद्र एवं राज्य प्रशासन के लिए जारी किया निर्देश
विधायकों के सुझावों को भी तवज्जो देने की बात कही
नई दिल्ली- /दि.16 सांसदों व विधायकों के केंद्रीय व राज्य प्रशासन के साथ कार्य संबंधों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से विगत मंगलवार को मार्गदर्शक तत्व घोषित किये गये. जिसमें केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा कहा गया कि, नागरिकों के प्रतिनिधि रहनेवाले सांसदों व विधायकों का लोकतंत्र में बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. अत: उनके द्वारा किये जानेवाले सुझावों को तुरंत ही बेहद गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उन सुझावों पर अमल करने की प्रक्रिया भी तुरंत शुरू की जानी चाहिए.
उल्लेखनीय है कि, अपने निर्वाचन क्षेत्र में किये जानेवाले कामोें अथवा सरकारी योजनाओं को लेकर कई बार सांसदों व विधायकों द्वारा सुझाव दिये जाते है. इसके अलावा वे केंद्र व राज्य सरकार के विभिन्न महकमों व विभागों से आवश्यक जानकारी मांगने के साथ ही अधिकारियों से मुलाकात का समय भी मांगते है. किंतु कई बार उन्हें जानकारी अथवा मुलाकात का समय प्राप्त नहीं होता. साथ ही उनके द्वारा दिये गये सुझावों पर संबंधित महकमों द्वारा अमल नहीं किया जाता. ऐसी तमाम बातों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने इस संदर्भ में अब मार्गदर्शक दिशानिर्देश जारी किये है. जिससे संबंधित पत्र केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों व विभागों के साथ ही सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को भेजा गया है. जिसमें कहा गया है कि, राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा अपने विभाग अंतर्गत सभी संभागों व जिलोें के स्तर पर इस पत्र को प्रसारित किया जाये. साथ ही इन निर्देशों का पालन नहीं करनेवाले अधिकारियो के खिलाफ अनुशासन पालन नियमों के तहत जवाबदेही तय करते हुए कार्रवाई की जायेगी. ऐसा भी इस पत्र में कहा गया है.
ये निर्देश हुए है जारी
सांसदों की ओर से मिलनेवाले सुझावों पर पूरी तत्परता के साथ ध्यान दिया जाये.
– सांसदों व विधायकों द्वारा सुझाये गये जनहितकारी कामों को पूरा करने में कोई टालमटोल न की जाये.
– सांसदों व विधायकों के पत्रोें का जवाब जल्द से जल्द दिया जाये.
– जनप्रतिनिधियों के साथ ही आम नागरिकों के साथ सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा सौजन्यपूर्ण व्यवहार किया जाये.
– केंद्रीय सचिवालय के कार्यालयीन कामकाज नियमों का कडाई से पालन हो.
– सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा अपने व्यक्तिगत कामों के लिए सांसदों व विधायकों से मुलाकात न की जाये.
– सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा अपने कामों के लिए किसी भी तरह का कोई राजनीतिक दबाव न डाला जाये. ऐसा करना अखिल भारतीय सेवा नियम 1968 की धारा 20 के तहत अनुशासन भंग का अपराध है.