गुंठेवारी में अनधिकृत ले-आऊट व निर्माण को मिली राहत
शुल्क भरकर कराया जा सकेगा नियमितीकरण
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नगर विकास विभाग ने जारी किये आदेश
अमरावती/प्रतिनिधि दि.19 – नगर विकास विभाग द्वारा गत रोज गुंठेवारी कानून को लेकर जारी किये गये आदेश के चलते अब राज्य के शहरी क्षेत्र में रहनेवाले अनधिकृत लेआऊट व उन पर किये गये अनधिकृत निर्माण को संशोधित विकास शुल्क भरकर नियमित किया जा सकेगा. जिसके बाद इस तरह के ले-आउट व निर्माण कार्यों को सरकारी दस्तावेजोें में अधिकृत का दर्जा मिलेगा. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, यह आदेश केवल गुंठेवारी क्षेत्र के लिए लागू किया गया है तथा आरक्षित जमीनों पर किये गये अवैध निर्माण व अतिक्रमण तथा कृषक भूमि पर किये गये अकृषक निर्माण को इससे अलग रखा गया है.
बता दें कि, किसी भी विशिष्ट स्थान पर जितना चटई क्षेत्र निर्देशांक (एफएसआय) लागु है, उतना ही एफएसआय ले-आउट व व्यक्तिगत भूखंड के लिए दिया जायेगा. किंतु मूल अनुज्ञेय एफएसआय की तुलना में अधिक निर्माण रहने पर उसे नियमित करने हेतु अधिक निर्माण क्षेत्र हेतु वार्षिक बाजार मूल्य सूची (रेडिरेकनर) के भूमि मूल्य की तुलना में दस फीसद के अनुसार जितनी रकम होगी, उतनी रकम विकास शुल्क के तौर पर अदा करनी होगी. इसके अलावा कई भूखंडों पर नियमानुसार जितनी जगह खाली छोडनी होती है, उस पर भी निर्माण कार्य किया जाता है. ऐसे निर्माण कार्यों को भी नियमित करने की भूमिका सरकार द्वारा अपनायी गई है और ऐसी जगह पर हुए निर्माण कार्य के लिए भी रेडिरेकनर की दर की तुलना में 10 फीसद रकम भरनी होगी.
कई स्थानों पर स्थानीय प्राधिकरण की अनुमति लिये बिना तथा अनुमति लेना संभव रहने के बावजूद अपने ही मन से जमीन के टुकडे करते हुए ले-आउट डाले गये. जिनकी बिक्री भी की गई. ऐसे ले-आउट और उन पर हुए निर्माण के लिए अतिरिक्त शुल्क लेते हुए उन्हें नियमित करने की भूमिका इससे पहले भी ली गई थी. जिसके चलते कई अनधिकृत ले-आउट व निर्माण कार्यों को अधिकृत का दर्जा दिया गया था.
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किसे होगा इस निर्णय का फायदा
राज्य के सभी मनपा क्षेत्रों, ‘अ’, ‘ब’ व ‘क’ वर्ग नगरपालिका, प्राधिकरण तथा नवनगर विकास प्राधिकरण क्षेत्रों के लिए यह निर्णय लिया गया है. उल्लेखनीय है कि, विगत कुछ वर्षों के दौरान शहरों के आसपास ऐसे अनधिकृत ले-आउट व उन पर होनेवाले निर्माण का प्रमाण काफी बढ गया है. कालांतर में ऐसे ले-आउट शहर का हिस्सा बन जाते है. किंतु ऐसे ले-आउट में नियमानुसार सडकों एवं मुलभूत सुविधाओं के लिए जगह ही उपलब्ध नहीं होती. ऐसे में नगरविकास के आदेश की वजह से जहां एक ओर ऐसे ले-आउट व निर्माण कार्य अनधिकृत के दायरे से बाहर आयेंगे, वहीं इन स्थानों पर स्थानीय प्राधिकरणों द्वारा विकास शुल्क वसूल करते हुए मुलभूत सुविधाए उपलब्ध करायी जायेगी.
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तीन गुना शुल्क वसूला जायेगा
नियमित निवासी ले-आउट के लिए जितना विकास शुल्क लिया जाता है, उससे तीन गुना अधिक शुल्क वसूल करते हुए अनधिकृत ले-आउट को नियमित किया जायेगा. स्थानीय प्राधिकरण की अनुमति लिये बिना डाले गये ले-आउट के लिए यह नियम रहेगा. इसी तरह किसी ले-आउट में व्यक्तिगत भूखंड को नियमित करने के लिए भी विकास शुल्क की तुलना में तीन गुना राशि भरनी होगी.