पहले से मंजूर कामों का श्रेय ले रहीं स्थानीय विधायक
जनता की आंखों में धूल झोंकने का हो रहा प्रयास

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पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने प्रेस विज्ञप्ती में लगाया आरोप
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बोले : पंचवटी-नवसारी मार्ग के चौपदरीकरण के लिए निधी पहले से ही मंजूर
अमरावती प्रतिनिधि/दि.२ – केंद्रीय रास्ते निधि अंतर्गत पंचवटी चौक से राजपूत ढाबे के बीच सडक के चौपदरीकरण एवं कांक्रीटीकरण के कार्य हेतु 61 करोड रूपये की निधि मंजूर करवाने की खबर अमरावती की स्थानीय विधायक द्वारा प्रसार माध्यमों के जरिये प्रसारित करते हुए शहर की जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया जा रहा है, क्योेंकि इस काम के निर्माण की मांग खुद उन्होंने विधायक रहते समय 2017 में केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री के समक्ष उठायी थी और 2018 में ही इस काम के लिए 61 करोड रूपये की निधी मंजूर हो चुकी थी. ऐसे में इस काम हेतु खुद प्रयास कर निधी लाने के संदर्भ में स्थानीय विधायक द्वारा अब किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत है और दूसरों के द्वारा किये गये कामों का श्रेय लूटने का प्रयास है. इस आशय का प्रतिपादन पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख द्वारा किया गया है.
यहां जारी प्रेस विज्ञप्ती में डॉ. सुनील देशमुख ने कहा कि, 28 जून 2017 को उन्होंने खुद केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी से दिल्ली स्थित उनके कार्यालय में प्रत्यक्ष मुलाकात करते हुए इस सडक के निर्माण हेतु पत्र सौंपा था और केंद्रीय मंत्री गडकरी ने इस पत्र पर तुरंत निधी उपलब्ध कराने का रिमार्क लिखते हुए कार्रवाई शुरू करने के निर्देश संबंधितों को दिये थे. पश्चात 8 मार्च 2019 को केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय ने एक पत्र जारी करते हुए महाराष्ट्र के सात सडक निर्माण कार्यों को मंजूरी दी थी. जिसमें चौथे स्थान पर पंचवटी-नवसारी सडक के काम का समावेश था. वर्ष 2019 में ही लोकसभा चुनाव के समय तत्कालीन सांसद व प्रत्याशी आनंदराव अडसूल के प्रचार हेतु दशहरा मैदान में हुई जनसभा के समय तत्कालीन विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने इस सडक हेतु केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से निधी की मांग करने पर उन्होंने इस सभा में ही इस सडक के लिए 61 करोड रूपयों की निधी मंजूर करने की घोषणा की थी. जिसके बाद सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग द्वारा 15 जुलाई 2019 से मार्च 2020 तक लगातार चार बार टेंडर जारी करते हुए निविदा प्रक्रिया चलायी थी और 16 मार्च 2020 के टेंडर को स्वीकृत किया गया. इस कार्य हेतु पूरी निधी केंद्र सरकार की है. किंतु यह निविदा 25 करोड से अधिक रहने के चलते इसे मंजूरी हेतु पांच सचिवों की उपसमिती के पास भेजा गया था. जिसे अब अंतिम मान्यता मिली है और ग्रापं चुनाव की आचारसंहिता खत्म होने के बाद कार्यारंभ आदेश जारी करते हुए प्रत्यक्ष कार्य की शुरूआत होगी.
पूर्व विधायक डॉ. सुनील देशमुख ने उपरोक्त जानकारी देने के साथ ही कहा कि, यह पूरा घटनाक्रम ध्यान में रखते हुए किसी को भी पता चल सकता है कि, इस काम का श्रेय किसे मिलना चाहिए. साथ ही यह बात भी ध्यान में आ सकती है कि, इस निधी का राज्य सरकार से कोई संबंध नहीं है. क्योंकि इस सडक के निर्माण हेतु पूरा पैसा केंद्र सरकार द्वारा दिया जा रहा है. जिसके लिए खुद उन्होंने विधायक रहने के दौरान महत प्रयास किये थे. किंतु मौजूदा विधायक द्वारा सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में दूसरों के द्वारा किये गये कामोें का श्रेय लूटने का प्रयास किया जा रहा है, और कुछ ऐसी खबरें प्रसारित की जा रही है, मानों खुद उन्होंने ही इस काम को मंजूरी दिलाते हुए राज्य सरकार से निधी उपलब्ध करायी है, जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं है. अत: स्थानीय विधायक को ऐसी बातों से बचना चाहिए और खुद कुछ नये व सार्थक काम करना चाहिए, ताकि उन्हें बार-बार दूसरों के कामों का श्रेय लूटने की जरूरत न पडे.