संजय हरवानी सहित चार के खिलाफ चार सौ बीसी का मामला दर्ज
शहर के दो बडे बिल्डरों के बीच शुरू हुआ ‘हाई प्रोफाईल वॉर’
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नरेंद्र भारानी ने दर्ज करायी थी जालसाजी व धोखाधडी की शिकायत
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फर्जी हस्ताक्षरों का सहारा लेकर संपत्ति बिक्री हेतु जाली दस्तावेज तैयार करने का लगाया आरोप
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षडयंत्र रचकर 40 लाख की धनउगाही करना चाह रहे थे हरवानी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७ – इस समय भवन निर्माण के क्षेत्र में कार्यरत शहर के दो बडे व ख्यातनाम बिल्डरों के बीच ‘हाई प्रोफाईल वॉर’ शुरू हो गया है. जिसके तहत कभी एक-दूसरे के भागीदार रहनेवाले संजय प्रेमचंद हरवानी व नरेंद्र गोपीचंद भारानी अब एक-दूसरे के आमने-सामने आ गये है और दोनों के बीच चल रहा झगडा अब पुलिस की चौखट तक पहुंच गया है. जहां पर नरेंद्र भारानी की ओर से दर्ज करायी गयी धोखाधडी, जालसाजी व धनउगाही की धमकी को लेकर दर्ज करायी गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने संजय हरवानी सहित कुल 4 लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 420, 465, 468 व 34 के तहत अपराध दर्ज किया है.
बता दें कि, ड्रिम्ज इन्फ्रा के संचालक नरेंद्र भारानी ने सबसे पहले विगत शुक्रवार 22 अक्तूबर को शहर पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह तथा स्थानीय अपराध शाखा के पास अपनी शिकायत सौंपते हुए आरोप लगाया था कि, संजय प्रेमचंद हरवानी सहित ज्योति राजेश गुप्ता व राजेश गुप्ता (सरस्वती नगर, विमवि रोड), कैलाश पुन्शी (बापू कालोनी) व संदीप सोजरानी (कंवर नगर) ने आपस में मिलीभगत करते हुए गलत तरीके से उनके फर्जी हस्ताक्षरों का सहारा लेकर संपत्ति बिक्री से संबंधित जाली दस्तावेज तैयार कराये और उनके साथ धोखेबाजी करने का प्रयास किया. साथ ही संजय हरवानी ने यह पूरा षडयंत्र रचते हुए अन्य चार आरोपियों के साथ मिलीभगत कर उनसे करीब 40 लाख रूपये की मांग भी की. जबकि खुद उन्हें व उनके परिवार को संजय हरवानी व हरवानी परिवार से करीब 7 करोड रूपये लेने है. जिसे अदा करने में संजय हरवानी द्वारा टालमटोल की जा रही है.
इस शिकायती पत्र में कहा गया है कि, किसी समय हरवानी व भारानी परिवार के सदस्यों ने एकसाथ आकर मे. ड्रिम्ज इन्फ्रास्ट्रक्चर नामक भागीदारी फर्म की स्थापना की थी. किंतु 19 नवंबर 2020 को एक सामंजस्य करार करते हुए संजय हरवानी व उनके परिजन इस भागीदारी फर्म से भागीदारी निवृत्ती लेख के अनुसार निवृत्त हो गये. साथ ही हरवानी परिवार ने सामंजस्य करार के अनुसार उनके हिस्से में जो संपत्ति आती थी, उसका कब्जा तो ले लिया, लेकिन भारानी परिवार को उनके हिस्से में रहनेवाली संपत्ति के दस्तावेज हरवानी परिवार की ओर से तैयार करके नहीं दिये गये. वहीं इस बारे में बार-बार प्रेमपूर्वक कहे जाने के बावजूद संजय हरवानी संपत्ति के दस्तावेज तैयार करके देने में टालमटोल भी कर रहे है. जबकि संजय हरवानी ने सामंजस्य करार के अनुसार अपने हिस्से में रहनेवाली जमीन की खरीदी करते समय उन्हें आश्वासन दिया था कि, 31 दिसंबर 2020 से पहले वे तय किये गये अनुसार भारानी परिवार के हिस्से में रहनेवाली संपत्ति को उनके नाम कर देंगे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. जिसके चलते संजय हरवानी द्वारा न्यास भंग किया गया है. ऐसे में ड्रिम्ज इन्फ्रास्ट्रक्चर के भागीदार के तौर पर सामंजस्य करार के अनुसार उन्हें संजय हरवानी व उनके परिवार से 7 करोड रूपये लेना बाकी है. किंतु यह रकम अदा करते हुए भागीदारी निवृत्ति लेख व सामंजस्य करार को पूर्ण करने की बजाय संजय हरवानी उन्हें आये दिन धमका रहे है और उन्हें बर्बाद कर देने की बात कह रहे है. संजय हरवानी द्वारा यह बात भवन निर्माण क्षेत्र से जुडे बिल्डरों सहित शहर के कई व्यवसायियों तक भी फैलाई गई है. साथ ही संजय हरवानी उन्हें लेकर लोगोें में कई तरह की गलतफहमिया भी फैला रहे है.
इसके अलावा पुलिस आयुक्त को सौंपे गये पत्र में नरेंद्र भारानी ने यह आरोप भी लगाया है कि, संजय हरवानी ने फर्जी तरीके से उनके बनावटी हस्ताक्षरों का प्रयोग करते हुए जाली दस्तावेज तैयार किये. जिसके आधार पर मौजे बोरगांव, प्रगणे नांदगांव पेठ स्थित ड्रिम्जलैण्ड बिझनेस पार्क के दुकान/गाला क्रमांक 18 व 20 को बेचने का करार किया. जिसकी नोटीस ज्योति राजेश गुप्ता के जरिये 19 सितंबर को एड. संदीप गुप्ता के मार्फत उन्हें भेजी गई. जिसमें कहा गया है कि, यह ईसारचिठ्ठी उन्होंने व संजय हरवानी ने ज्योति राजेश गुप्ता को लिखकर दी है. जबकि हकीकत यह है कि, उन्होंने कभी भी ऐसी किसी ईसारचिठ्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किये थे. अत: उन्होंने अपने वकील एड. सातपुते के मार्फत नोटीस भेजकर ज्योति राजेश गुप्ता से 31 मार्च 2018 को कथित तौर पर की गई ईसारचिठ्ठी की प्रतिलिपी मांगी. यह प्रतिलिपी प्राप्त होने पर उन्हें लगा कि, इस पर किसी समय ड्रिम्ज इन्फ्रा में ब्रोकर के तौर पर काम करनेवाले कैलाश पुन्शी व कर्मचारी के तौर पर काम करनेवाले संदीप सोजरानी के हस्ताक्षर है और ये दोनों ही नवंबर 2020 से संजय हरवानी के यहां कार्यरत है. इसके अलावा ज्योति गुप्ता के पति राजेश गुप्ता ही संजय हरवानी का पूरा कामकाज देखते है. यह देखकर उन्हें तुरंत समझ में आ गया कि, संजय हरवानी ने इन चारों के साथ मिलीभगत करते हुए यह षडयंत्र रचा है और उनके नकली हस्ताक्षर करते हुए संपत्ति बिक्री के जाली दस्तावेज तैयार किये गये है. किंतु उनके हस्ताक्षर काफी अलग शैली वाले रहने की वजह से उनके नकली हस्ताक्षर करना काफी मुश्किल काम है और यदि किसी ने उनके नकली हस्ताक्षर किये तो यह बात तुरंत ध्यान में भी आती है. इसके बावजूद उन्होंने हस्ताक्षर विशेषज्ञ डॉ. दिप्ती अंधारमोडे व डॉ. एस. के. ढेंगे के जरिये अन्य कई खरीदखतों व दस्तावेजों पर किये गये अपने असली हस्ताक्षर और इस कथित ईसारचिठ्ठी पर किये गये हस्ताक्षर की जांच करवाई, जिसमें साफ तौर पर रिपोर्ट दी गई कि, इस ईसारचिठ्ठी पर खुद उनके यानी नरेंद्र भारानी के हस्ताक्षर नहीं है, बल्कि किसी ने इस दस्तावेज पर फर्जी हस्ताक्षर किये है. इसके साथ ही नरेंद्र भारानी ने यह आरोप भी लगाया कि, संजय हरवानी ने उपरोक्त षडयंत्र रचने के साथ ही अपने चार सहयोगियों के साथ मिलीभगत करते हुए उनसे कुल 25 लाख रूपये और उस पर 21 मार्च 2018 से 15 लाख रूपये के ब्याज ऐसे कुल 40 लाख रूपये की धनउगाही करने का भी प्रयास किया और इस रकम के लिए हरवानी द्वारा बार-बार तगादा लगाया जा रहा है.
नरेंद्र भारानी की ओर से दर्ज करायी गई इस शिकायत के आधार पर सिटी कोतवाली थाना पुलिस ने संजय हरवानी सहित ज्योति राजेश गुप्ता, कैलाश पुन्शी व संदीप सोजरानी के खिलाफ 26 अक्तूबर को भादंवि की धारा 420, 465, 468 व 34 के तहत अपराध दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, नरेंद्र भारानी द्वारा जहां एक ओर सबसे पहले विगत शुक्रवार 22 अक्तूबर को संजय हरवानी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करायी गई थी, वहीं संजय हरवानी ने इसके बाद रविवार 24 अक्तूबर को शहर के कई अखबारों में विज्ञापन जारी करते हुए अपने वकील एड. संदीप गुप्ता के मार्फत नरेंद्र भारानी के लिए नोटीस प्रकाशित की थी. जिसके जवाब में नरेंद्र भारानी द्वारा भी सोमवार 25 अक्तूबर को अखबारों में नोटीस का विज्ञापन जारी करते हुए हरवानी की नोटीस का जवाब दिया गया. ऐसे में किसी समय भागीदार रहनेवाले दो व्यवसायियों के बीच आर्थिक लेन-देन को लेकर चल रहा मसला अब शहर में आम चर्चा का विषय हो गया है और इसे हाई प्रोफाईल वॉर के तौर पर देखा जा रहा है. जिसमें नरेंद्र भारानी द्वारा सबसे पहले पुलिस के पास जाकर दर्ज करायी गई शिकायत के आधार पर संजय हरवानी सहित कुल 4 लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओें के तहत अपराध दर्ज हो गया है..