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लॉकडाऊन ने तोड़ी व्यापार जगत की कमर

एक साल के भीतर ही दोबारा दुकानें बंद करने की आई नौबत

  • जैसे-तैसे पटरी पर लौटा था कामकाज

  • अब दोबारा शादी का सीजन दिख रहा खतरे में

अमरावती / प्रतिनिधि दि. 24 – विगत वर्ष 23 मार्च से कोरोना के खतरे को लेकर 14 दिनों का लाकडाऊन लगाने की घोषणा की गई थी, किंतु बाद में वह लॉकडाऊन जून-जुलाई माह तक चलता रहा. साथ ही अनलॉक की प्रक्रिया के दौरान धीरे धीरे चरणबद्ध ढंग से बाजारों व प्रतिष्ठानों को खोला गया. पश्चात नवंबर माह के बाद से व्यापार व्यवसाय ने धीरे धीरे पटरी पर लौटना शुरू किया था, जिससे व्यापारियों को जारी वर्ष की गर्मियों और शादी के सीजन से कई तरह की उम्मीदें थी, लेकिन इससे पहले ही जनवरी माह के अंत तथा फरवरी माह के प्रारंभ में कोरोना को लेकर हालात दोबारा विस्फोटक हो गये, जिसकी वजह से प्रशासन को अमरावती शहर सहित तहसील क्षेत्र में दोबार लॉकडाऊन लगाना पड़ा है. इस आठ दिन के लॉकडाऊन की वजह से व्यापार जगत की कमर व हौसला टूटते नजर आ रहे हैं. वहीं अब इस बात को भी लेकर भय की लहर देखी जा रही है कि यदि महाराष्ट्र सरकार द्वारा आगामी 1 मार्च से 15 दिनों का लॉकडाऊन लगा दिया जाता है, तो उस सूरत में व्यापार जगत का क्या होगा.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि विगत अगस्त व सितंबर माह में जिस रफ्तार से कोरोना का संक्रमण फैला था, अब उससे कहीं अधिक रफ्तार से संक्रमण फैल रहा है, जिसे देखते हुए जहां एक ओर आम नागरिकों में जबरदस्त भय व चिंता की लहर है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन के भी हाथ पांव फूल रहे हैं और प्रशासन ने हालात को नियंत्रित करने हेतु काफी सोच-विचार करने के बाद लॉकडाऊन लगाने का निर्णय लिया. लेकिन लॉकडाऊन लगाये जाते ही आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. जिनमें व्यापारियों सहित समाज के सभी वर्गों का समावेश है.
यहां बता दें कि बीते वर्ष लंबे समय तक व्यापार व्यवसाय बंद रहा, इस दौरान व्यापारियों को अपनी दुकान का किराया, इलेक्ट्रीक बिल, कर्मचारियों का वेतन तथा कर जैसे तमाम खर्च अपनी जेब से करने पड़े. साथ ही बैंक के कर्ज का ब्याज भी अदा करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी. कई व्यापारी अब भी इन तमाम खर्चों के बोझ से उबरे नहीं है. अक्तूबर नवंबर माह के बाद जैसे जैसे अनलॉक की प्रक्रिया के तहत प्रतिबंधों को शिथिल किया गया, व्यापारियों ने अपने कामकाज के साथ अर्थव्यवस्था को संभालने का काम शुरू किया, लेकिन अब एक बार फिर सबकुछ बेपटरी होता दिखाई दे रहा है. ऐसे में संभावित नुकसान को देखते हुए व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा रही हैं.

  • एक के बाद एक लगातार मुसीबतें

उल्लेखनीय है कि अमरावती को विदर्भ व महाराष्ट्र सहित समूचे देश में रेडिमेड गारमेंट व टेक्सटाईल का सबसे बड़ा ट्रेड हब माना जाता है. यहां पर बिजीलैंड, सिटीलैंड व ड्रीम्जलैंड जैसे व्यापारिक संकुल रहने के साथ ही नांदगांव पेठ एमआईडीसी में टेक्सटाईल पार्क भी है, जहां पर दूरदराज के क्षेत्रों के व्यापारियों का आना-जाना लगा रहता है. किंतु इन दिनों अमरावती में कोरोना का संक्रमण जिस रफ्तार से फैल रहा है, उससे डरकर बाहरगांव के व्यापारी यहां आने से और यहां से माल मंगाने से कन्नी काटने लगे हैं. ऐसे में इसका परिणाम लंबे समय तक दिखाई दे सकता है और व्यापार व्यवसाय को पटरी पर लौटने में काफी वक्त लगेगा. वहीं दूसरी ओर इस समय तक अमरावती के कई व्यापारी कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं. यानि एक के बाद एक दो लॉकडाऊन की वजह से जहां एक ओर व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है, वहीं व्यापारियों का स्वास्थ्य भी खतरे में कहा जा सकता है. और व्यापारी एक के बाद एक मुसीबत के दौर में फंसते जा रहे हैं.
सबसे अधिक मुसीबत शहर के व्यापारिक प्रतिष्ठानों में काम करनेवाले लोगों की है. बीते लॉकडाऊन के समय अधिकांश लोगों के पास कोई कामकाज नहीं था. साथ ही अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी पहले की तरह रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं थे. ऐसे में जैसे-तैसे रोजगार को लेकर हालात सुधर रहे थे कि अचानक दोबारा लॉकडाऊन लगाने की नौबत आन पड़ी है. जिसकी वजह से एक बार फिर बेरोजगारी का खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि कोरोना संक्रमण और लॉकडाऊन ने व्यापारियों, उद्योजको, मध्यमवर्गीयों, गरीबों तथा निजी नौकरीपेशा वर्ग के जीवन पर काफी गहरा असर डाला है, जिसकी भरपाई निकट भविष्ट में नहीं हो सकेगी.

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