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लुप्त होने वाले पंछी भी अब नजर आ रहे हैं
अमरावती/प्रतिनिधि दि.22 – कोरोना महामारी के दौरान घोषित किए गए लॉकडाउन से हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार देखने को मिला है. मनपा क्षेत्र में वायु प्रदूषण की मात्रा में काफी कमी आयी है. जिसकी वजह से शहरवासियों की श्वसन से संबंधित समस्याएं भी कुछ हद तक दूर हुई है. वहीं इस महामारी के चलते घोषित लॉकडाउन का फायदा लुप्त होने की कगार पर आ चुके पंछियों को भी हुआ है. पंछियों के चिलचिलाहट अब शहरवासियों को सुनाई दे रही है.
यहां बता दें कि, वायु प्रदूषण रसायनो, सूक्ष्म पदार्थो व जैविक पदार्थ के वातावरण में मानव की भूमिका जो मानव अथवा अन्य जीव जंतुओं को या फिर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. वायु प्रदूषण के कारण मौते और श्वसन रोग संबंधी शिकायते बढती है. वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा ऑटो मोबाइल्स के इस्तेमाल से बढता है.यही नहीं तो उद्योग, कोयला, कचरा, निर्माण कार्य, रास्तों पर होने वाली धूल व घरेलू प्रदूषण से भी वायू दूषित होती है. लेकिन इस बार बीते डेढ वर्ष से कोरोना महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन से हवा की गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है. साल 2019-20 की तुलना में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड व आरएसपीएम(रेस्पेरीबल सस्पेंडेट पर्टिक्युलेट मेटर) के प्रमाण में 2020-21 में आवासीय, उद्योगीक व वाणिज्यीक क्षेत्र में काफी कमी आयी है. हवा की गुणवत्ता पर नजर डाली जाए तो साल 2016-17 में आवासीय क्षेत्र में 12 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर नाइट्रोजन ऑक्साइड, 10 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर सल्फर डाई ऑक्साइड और 100 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर आवासीय क्षेत्र में दर्ज किया गया था. आरएसपीएम का स्तर 73.48 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर था.
औद्योगिक क्षेत्र में 14 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर नाइट्रोजन ऑक्साइड का स्तर, 11 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर सल्फर डाय ऑक्साइड का स्तर और आरएसपीएम का स्तर 109 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था. कर्मिशल क्षेत्र में नाइट्रोजन ऑक्साइड का दर 13 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर, सल्फरडाई ऑक्साइड 11 और आरएसपीएम 141 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था. 2017-18 में आवासीय क्षेत्र का नाइट्रोजन ऑक्साइड स्तर 16.12 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर, सल्फर डाई ऑक्साइड का 11.27 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर, आरएसपीएम 68.76 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर, औद्योगिक क्षेत्र में नाइट्रोजन ऑक्साइड 11.14 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर, सल्फरडाई ऑक्साइड 20.65 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर, आरएसपीएम 96.71, कमर्शिलय क्षेत्र में नाइट्रोजन ऑक्साइड 20.65, सल्फर डाय ऑक्साइड 12.76 व आरएसपीएम 121.28 माइक्रो ग्राम पर क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था.
2018-19 में आवासीय क्षेत्र का नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 15.77 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, सल्फरडाइऑक्साइड का 14.18 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व आरएसपीेएम 74.71 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, औद्योगिक क्षेत्र का नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 17.99 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, सल्फरडाइऑक्साइड का प्रमाण 16.05 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व आरएसपीएम 108.91 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, कमर्शिअल क्षेत्र का नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 18.96 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, सल्फरडाइऑक्साइड का प्रमाण 17,78 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व आरएसपीएम का प्रमाण 118.76 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया था.
वर्ष 2019-20 में नाइट्रोजन ऑक्साइड का आवासीय क्षेत्र में दर्शाया गया प्रमाण 13.05 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, सल्फरडाइ ऑक्साइड का प्रमाण 11.18 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व आरएसपीएम 69.64 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, औद्योगिक क्षेत्र का नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 13.83 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, सल्फरडाइ ऑक्साइड का प्रमाण 12.28 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व आरएसपीएम 85.83 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, कमर्शिअल क्षेत्र में नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 14.71 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर, सल्फरडाइऑक्साइड का प्रमाण 13.41 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर व आरएसपीएम 93.30 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया.
वहीं इस बार वर्ष 2020-21 में आवासीय क्षेत्र का 12.45 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण दर्ज किया गया. वहीं आवासीय क्षेत्र में सल्फरडाइ ऑक्साइड का प्रमाण 10.98 व आरएसपीएम 48.61 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया. औद्योगिक क्षेत्र में नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 13.69, सल्फरडाइ ऑक्साइड का 12.28 व आरएसपीएम 53.39 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया. वहीं वाणिज्य क्षेत्र में नाइट्रोजन ऑक्साइड का प्रमाण 15.03, सल्फरडाइ ऑक्साइड का प्रमाण 13.80 व आरएसपीएम 56.81माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर दर्ज किया गया है. जिससे पता चलता है कि कोरोना महामारी के चलते घोषित किये गये लॉकडाउन से प्रदूषण काफी कम हुआ है. जिससे हवा के स्तर में भी काफी हद तक सुधार हुआ है.