शीतल नायक बनीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर
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हरिद्वार के कुंभ मेले में हुई नियुक्ति
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मूलत: अमरावती निवासी हैं किन्नर गुरू शीतल
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नियुक्ति से बढ़ाया विदर्भ क्षेत्र का सम्मान
अमरावती/प्रतिनिधि दि. 20 – मूलत: अमरावती शहर निवासी तथा इन दिनों धामणगांव रेल्वे स्थित किन्नर मठ का जिम्मा संभाल रही किन्नर गुरू शीतल नायक को यूपी के हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले के दौरान किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर नियुक्त किया गया है. इसे किन्नर समुदाय सहित समूचे विदर्भ क्षेत्र के लिए गौरवपूर्ण पल कहा जा सकता है.
जिले के ग्रामीण क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले एक गरीब परिवार में शीतल का जन्म हुआ था और वह पैदाईशी किन्नर रहने से उनके माता पिता ने अपनी यह संतान एक किन्नर गुरू के सुपुर्द कर दी थी. पश्चात कुछ समय तक अमरावती शहर में रहने के बाद शीतल अपने किन्नर गुरू के साथ धामणगांव के मठ में रहने लगी, जहां पर किन्नर मठ की परंपरा के अनुसार गुरू के निधन पश्चात शीतल को गुरू की पदवी दी गई. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि अपनी ओर लोगों के देखने का नजरिया क्या है, इस बात की फिक्र किये बिना शीतल ने हिंदी विषय में अपनी पदवी की शिक्षा पूर्ण की और इसी दौरान वे विभिन्न प्रकार के अध्यात्मिक व सामाजिक कामों में भी अग्रेसर रही. इन्हीं तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय किन्नर अखाड़ा द्वारा शीतल नायक को विदर्भ क्षेत्र का महामंडलेश्वर नियुक्त करने का निर्णय लिया गया. साथ ही इस समय हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले में उनकी पूरे धार्मिक रीति-रिवाज और विधि-विधान के साथ महामंडलेश्वर पद पर नियुक्ति भी की गई. इस समय अखाड़े के अखिल भारतीय महामंडलेश्वर आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी भी प्रमुख रूप से उपस्थित थे और किन्नर गुरू शीतल नायक की नियुक्ति उपलक्ष्य में हरिद्वार में भव्य शोभायात्रा भी निकाली गई. इस समय समूचे भारतवर्ष के किन्नरों सहित अमरावती व धामणगांव के भी कई लोग हरिद्वार में मौजूद थे.
बता दें कि श्री अयोध्याधाम में साकार होने जा रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण हेतु समर्पण निधि संकलन अभियान हेतु किन्नर गुरू शीतल नायक ने धामणगांव तथा अमरावती सहित विदर्भ क्षेत्र के कई शहरों का दौरा कर निधि संकलन करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. साथ ही अपनी महामंडलेश्वर पद पर अपनी नियुक्ति के पश्चात उन्होंने कहा कि उनकी नजर में सनातन धर्म सर्वोच्च एवं संस्कारपूर्ण धर्म है. इस धर्म का जितना अधिक प्रचार व प्रसार होगा, समूचे विश्व में उतनी ही सुख व शांति होगी. ऐसे में उनका लक्ष्य पूरे क्षेत्र में सनातन धर्म का प्रचार व प्रसार करना होगा.