मुख्य समाचार

महाराष्ट्र का ‘उद्योग-चक्र’व्यूह में फंसा

दस साल में दस लाख करोड से अधिक निवेशवाले प्रकल्प गये राज्य से बाहर

किया, फॉक्सकॉन, होेंडा व महेंद्रा ने दूसरे राज्यों का रास्ता पकडा
आधे से अधिक प्रकल्प गये पडोसीी राज्य गुजरात में
कई महत्वपूर्ण कार्यालय भी महाराष्ट्र से बाहर चले गये
रोजगार व विकास पर पलायन का बुरा असर पडना तय
मुंबई-/दि.16 इस समय वेदांता ग्रुप व तायवान की फॉक्सकॉन कंपनी की भागीदारी से महाराष्ट्र में 1.66 लाख करोड रूपयों के निवेश से साकार होनेवाला वेदांता-फॉक्सकॉन सेमी कंडक्टर प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से स्थलांतरित होकर गुजरात चले जाने की वजह से अच्छा-खासा शोरशराबा मचा हुआ है. परंतु यहां इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि, किसी समय उद्योग जगत का सबसे पसंदीदा राज्य रहनेवाले महाराष्ट्र से किसी उद्योग समूह के स्थलांतरित होकर अन्य राज्य में चले जाने का यह कोई पहला मौका नहीं है. बल्कि इससे पहले भी किया मोटर्स, टेस्ला, होंडा व महिंद्रा जैसे दिग्गज उद्योगों के साथ ही कई महत्वपूर्ण कार्यालयों ने भी महाराष्ट्र को ‘जय महाराष्ट्र’ किया है. जिसके चलते 8 से 10 लाख करोड रूपयों से अधिक राशि का निवेश महाराष्ट्र में आते-आते रह गया. इसमें से भी आधे से अधिक प्रकल्प गुजरात में ही स्थलांतरित हुए है. ऐसा उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है.

कई प्रकल्पों ने राज्य में मुआयना किया, रास्ता बाहर का पकडा
टेस्ला : कनार्टक में 1 लाख करोड से अधिक का निवेश
अमरीकी इवी कंपनी टेस्ला के सीईओ एलॉन मस्क ने अक्तूबर 2020 में भारत आने का संकेत दिया था और उस समय तत्कालीन उद्योग मंत्री सुभाष देसाई व पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने उन्हें महाराष्ट्र आने का निमंत्रण दिया था. लेकिन जनवरी 2021 में टेस्ला कंपनी कर्नाटक राज्य के बंगलुरू चली गई. जहां पर टेस्ला द्वारा 1 लाख करोड से अधिक रूपयों का निवेश किया जा सकता है.

फॉक्सकॉन : 2020 में भी किया था महाराष्ट्र को इन्कार
फॉक्सकॉन ने वर्ष 2015 में 30 हजार करोड रूपयों के निवेश से आयफोन, आयपैड व सिलीकॉन चिप की निर्मिती करने हेतु राज्य के साथ सामंजस्य करार किया था. अपना प्रोजेक्ट साकार करने हेतु कंपनी को चाकण-तलेगांव में जगह चाहिए थी, जो उपलब्ध नहीं होने पर वर्ष 2020 में कंपनी ने इस करार को रद्द कर दिया था. तत्कालीन उद्योग मंत्री सुभाष देसाई ने ही इस बारे में जानकारी दी है.

किया मोटर्स : आंध्र प्रदेश में 12,800 करोड रूपयों का निवेश
कोरियन कार कंपनी किया मोटर्स वर्ष 2018 में औरंगाबाद की शेंद्रा एमआयडीसी में निवेश की इच्छूक थी और कंपनी द्वारा कई बार जगह के निरीक्षण हेतु दौरे किये गये थे. लेकिन इसके बाद किया ने आंधप्रदेश के अनंतपुर में 12,800 करोड रूपयों का निवेश किया. जिसके जरिये 10 हजार से अधिक रोजगार के अवसर निर्माण हुए.

ये भी आये और चले गये
ओला कंपनी ने भी महाराष्ट्र में जगह का मुआयना किया, लेकिन रास्ता तमिलनाडू का पकडा. विस्ट्रॉन कंपनी भी पुणे आते-आते कर्नाटक चली गई. लगभग यहीं हाल पेगाट्रॉन का भी रहा. डेलारू कंपनी ने भी शेंद्रा एमआयडीसी में जगह का मुआयना किया था, पर आगे क्या हुआ, किसी को पता नहीं. चीनी कंपनी ग्रेटवॉल मोटर्स की ओर से किया जानेवाला पांच हजार करोड का निवेश भी अधर में अटका हुआ है. निस्सान मोटर्स, होंडा मोटर्स, डीएसके मोटोविल्स व जनरल डायनामिक्स जैसी कंपनियां भी निरीक्षण दौरे से अब तक आगे नहीं बढ पायी है. इन सभी कंपनियों का कुल निवेश 10 लाख करोड रूपयों से अधिक का हो सकता है, ऐसा विशेषज्ञों का मानना है.

इन्होेंने भी किया पलायन
उद्योग जगत के साथ ही कई महत्वपूर्ण सरकारी महकमों के कार्यालय भी महाराष्ट्र से अन्य राज्यों में स्थलांतरित हो चुके है. जिसके तहत एअर इंडिया का मुख्यालय मुंबई से दिल्ली जा चुका है. वही ट्रेडमार्क पेटंट कार्यालय भी मुंबई से दिल्ली चला गया. पालघर-डहाणू में एनएसजी व मरीन पुलिस अकादमी के लिए 305 एकड जमीन संपादित कर ली गई थी. लेकिन बाद में यह अकादमी गुजरात के द्वारकानगर में स्थलांतरित हो गई. इसके साथ ही जहाज तोडनेवाला प्रकल्प भी मुंबई से गुजरात शिफ्ट हो गया. वहीं सेंट्रल बोर्ड ऑफ वर्कर्स एज्युकेशन का कार्यालय नागपुर से दिल्ली स्थलांतरित हो चुका है. आयएफएससी का सेंटर इससे पहले मुंबई में शुरू होना प्रस्तावित था, जो अब गुजरात में शुरू होगा. इसके साथ ही मुंबई एअरपोर्ट टर्मिनल ऑफिस भी मुंबई की बजाय गुजरात में बनेगा. इसके अलावा इससे पहले इंडियन स्कूल ऑफ बिझनेस को मुंबई या पुणे में साकार किया जाना था, जो अब हैदराबाद में शुरू होगा.

सरकारी नीतियों का दुष्परिणाम
लघु उद्योग भारती के प्रदेश अध्यक्ष रवि वैद्य के मुताबिक कोई भी कंपनी रातोंरात अपने निवेश का फैसला नहीं बदलती और हर उद्योग अपने फायदे को ध्यान में रखते हुए ही निवेश करता है. वेदांता कंपनी द्वारा पिछली सरकार के समय से महाराष्ट्र में निवेश को लेकर चर्चा कर रही थी और उन्हेंं महाराष्ट्र से अपेक्षित प्रतिसाद नहीं मिला. साथ ही उन्हें गुजरात में अपने लिए फायदा दिखाई दिया. जिसके चलते उन्होंने अपना प्रोजेक्ट गुजरात ले जाने का निर्णय लिया.

इंसेंटिव और समय महत्वपूर्ण
ख्यातनाम उद्योजक राम भोगले के मुताबिक अगर कोई कंपनी खुद होकर निवेश करने हेतु आगे आ रही है, तो उसका स्वागत करने के साथ ही उसे विशेष महत्व देनेवाली सरकारी व्यवस्था

Related Articles

Back to top button