जप्ती की कार्रवाई रूकवाने मनपा के दरवाजे पर महावितरण
प्रशासन को दिया पत्र, समायोजन का प्रस्ताव ‘प्रकाशगढ’ रवाना
अमरावती/प्रतिनिधि दि.8 – महानगर पालिका द्वारा 13.65 करोड रूपयों के बकाये हेतु महावितरण के एक कार्यालय का जप्तीनामा जारी किये जाने के बाद महावितरण में जमकर हंगामा मच गया था. वहीं बकाया राशि का भुगतान करने हेतु केवल 15 दिन की अवधि रहने की वजह से इस कार्रवाई को रूकवाने हेतु महावितरण द्वारा गत रोज महानगरपालिका को एक पत्र दिया गया है. इसके साथ ही एलबीटी की रकम भरी जा चुकी है कहनेवाले महावितरण द्वारा 13.65 करोड रूपयों के समायोजन हेतु मुंबई के ‘प्रकाशगढ’ यानी महावितरण के मुख्य कार्यालय को प्रस्ताव भेजा गया है. जिसे अब तक मंजूरी मिलनी बाकी है.
वहीं दूसरी ओर जप्तीनामे की अवधि में रोजाना एक-एक दिन कम होने के चलते महावितरण के अधीक्षक अभियंता द्वारा मनपा प्रशासन से मुलाकात की गई है. साथ ही मनपा अधिनियम के प्रावधानों को लेकर जानकारी प्राप्त की गई है. इसके अलावा बताया गया है कि, एलबीटी के बकाया 13.65 करोड रूपयों का समायोजन करने का अधिकार मुख्य कार्यालय के पास रहने की वजह से वहां पर प्रस्ताव भेजा गया है. चूंकि इस समय महानगरपालिका द्वारा जप्तीनामे को लेकर अगली प्रक्रिया शुरू की जानेवाली है. ऐसे में महावितरण द्वारा जप्ती की कार्रवाई को समयावृध्दि देने तथा आगे टालने हेतु मनपा प्रशासन को पत्र दिया गया है. अब इस पत्र पर मनपा प्रशासन द्वारा क्या भूमिका अपनाई जाती है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.
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समयावृध्दि के अधिकार आयुक्त के पास
मनपा के संपत्ति कर विभाग द्वारा 13.65 करोड रूपयों के बकाया हेतु महावितरण के एक कार्यालय पर जप्तीनामा लगाकर 15 दिनों की मुदत दी गई है. इस अवधि के बीच बकाया राशि का भुगतान नहीं होने पर संबंधित संपत्ति को निलाम करने की नोटीस जारी की गई है. ऐसे में अब मनपा द्वारा अगली कार्रवाई के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिसकी वजह से अब महावितरण के पास बकाया भुगतान को अदा करने अथवा उसे समायोजित करने का ही पर्याय शेष है. वहीं इस मामले में कार्रवाई को आगे टालने हेतु समयावृध्दि देने का अधिकार केवल मनपा आयुक्त के ही पास है. ऐसे में मनपा आयुक्त द्वारा इस मामले में क्या भुमिका अपनायी जाती है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.
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‘वह’ स्पष्टीकरण मनपा के लिए नहीं, बल्कि ग्राम पंचायतों के लिए
महानगर पालिका द्वारा जप्ती की नोटीस जारी किये जाते ही महावितरण की ओर से स्थानीय मीडिया को ई-मेल भेजते हुए बताया गया था कि, स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं के पास महावितरण से कर वसूलने का कोई अधिकार नहीं होता. जिस पर पलटवार करते हुए महानगरपालिका की ओर से जब कहा गया कि, दंड की राशि नियमानुसार है, तो महावितरण के अधिकारी पूरी तरह से निरूत्तर हो गये. साथ ही अब यह कहा जा रहा है कि, यह पत्र महानगरपालिका के लिए नहीं, बल्कि ग्राम पंचायतों के लिए जारी किया गया था. कुल मिलाकर महावितरण अपने ही बिछाये जाल में फंसता नजर आ रहा है.