-
नये जोश वाले नये अधिकारी वैभव वाघमारे का प्रयोग
-
जनता में जनजागृति तथा जोश लाये जाने की जरूरत
चिखलदरा/दि.27 – आदिवासी बहुल मेलघाट को एक तरह से सरकारी प्रयोगशाला कहा जा सकता है, जहां पर आये दिन नये-नये प्रयोग होते रहते है. विगत 20 वर्षों से इस क्षेत्र में कुपोषण की समस्या चल रही है, जो तमाम प्रयोगों के बावजूद जस की तस है. लेकिन फिर भी इस समस्या से निपटने हेतु नये-नये प्रयोग चल ही रहे है. हालांकि इसका परिणाम शून्य है. इसके अलावा आदिवासी बहुल मेलघाट क्षेत्र बुरी तरह से अंधश्रध्दा व अशिक्षा के मकडजाल में भी अटका हुआ है और तमाम तरह के प्रयोग भी इसे दूर नहीं कर सके. किंतु इसके बावजूद नये जोश के साथ आनेवाले नये अधिकारियों द्वारा समय-समय पर मेलघाट क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा में लाने हेतु कई तरह के नये-नये प्रयोग किये जाते है. ऐसे ही अब एक नया प्रयोग महुआ बैंक शुरू करने को लेकर हो रहा है.
कुछ नया करने की चाहत रखने वाले अधिकारी वैभव वाघमारे के जिम्मे उपविभागीय अधिकारी तथा प्रकल्प अधिकारी ऐसे दो जवाबदारियां हैं. उनकी कल्पना संकल्पना से मेलघाट में महुआ बैंक साकार होने जा रहा है. इस हेतु पूरी तरह से खाली और निरूपयोगी पडी करीब 7 एकड जमीन का सर्वे करते हुए वहां पर साफ-सफाई की गई और इस जगह को उपयोग में लाने हेतु तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल ने पूरे प्रयत्न किये थे. जिस कारण यहां पर्यटकों को शेगांव के आनंद सागर की याद ताजा हो जाती. मगर जिलाधीश नवालका तबादला होते ही उनकी संकल्पना भी उनके साथ चली गई और प्रकल्प कैंसल हो गया. लेकिन अब नया गडी नये राज के तौर पर नया प्रयोग शुरु होगा, जिसे इम्पलीमेंट होने तक अधिकारी की बदली हो जायेगी और यह प्रकल्प एकबार फिर ठंडे बस्ते में चला जायेगा. बता दें कि, डॉ. सुनिल देशमुख के जाते ही सिडको, देवेंद्र फडणवीस के जाते ही स्कॉय वाक ठंडे बस्ते में चला गया. उसी तरह जिलाधीश नवाल के जाते ही महुआ बैंक का काम भी रूक गया था. हालांकि अच्छा यह है कि अब यह प्रकल्प दुबारा शुरू हो रहा है. ऐसे में इस प्रकल्प की सफलता हेतु उम्मीद की जा सकती है.
इस प्रकल्प की संकल्पना को साकार करने हेतु मेलघाट क्षेत्र के हर एक गांव में 11-11 लोगों की समिति बनाकर उनके जिम्मे महुवा बैंक की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी जायेगी तथा 20 गांवों की समिति हेतु प्रतिमाह एक बार प्रकल्प अधिकारी कार्यालय में बैठक लेकर समस्याओं का समाधान किया जायेगा. जिसके लिये स्पेशल समन्वयक नियुक्त किया गया है. ऐसा वक्तव्य खुद प्रकल्प अधिकारी तथा उपविभागीय अधिकारी वैभव वाघमारे ने पत्रकार परिषद में दिया.
बता दें कि, मेलघाट में महुआ बडे पैमाने पर उगता है. जिससे आदिवासी तथा अन्य समाज के लोग दारु बनाते है, या जमा करके कम भाव में बेच देते हैं. वहीं जरुरत पडने पर ज्यादा पैसों में खरीदी करते है. महुआ बैंक हर गाव में बन जाने से आदिवासी तथा अन्य समाज के लोगों को बहुत फायदा होगा. लेकिन इस नये प्रयोग के सफल होने पर कुछ संदेह है, क्योंकि हर गांव मेें 11 लोगों की समिति रहेगी, जिसमें सदस्यों के बीच आपसी राजनीति व गुटबाजी सहित वर्चस्व बनाये रखने हेतु होनेवाली लडाई के चलते विवाद की स्थिति पैदा हो सकती है. यह अब तक हुए कई तरह के प्रयोगों का इतिहास भी रहा है. यहां आनेवाले आईएएस अधिकारी भी मेलघाट की भलाई हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाते है, लेकिन स्थानीय स्तर पर होनेवाली राजनीति की वजह से ऐसे सारे कदम जहां के वहीं रहते है. यहीं वजह है कि, अधिकारी का तबादला होते ही उनकी संकल्पना भी विलुप्त हो जाती है. इसके बाद नये अधिकारियों द्वारा फिर अपनी कोई नई संकल्पना को साकार करने का प्रयास किया जाता है. यह सिलसिला विगत लंबे समय से चल रहा है. हाल ही में अमरावती से स्थलांतरित हुए जिलाधिकारी शैलेश नवाल ने अपने कार्यकाल दौरान चिखलदरा के विकास को लेकर एक अनूठी संकल्पना सामने रखी थी. जिसमें उन्होंने होटल ओनर्स एसोसिएशन के साथ चिखलदरा में करीब एक से डेढ घंटे चर्चा करके यहां के केरोनेशन पार्क का जिम्मा परतवाडा के मदन इंजिनियरिंग के पास सौंपा था, ताकि वहां पर शेगांव के आनंद सागर की तर्ज पर विभिन्न तरह के खेल-खिलौने तथा फाईबर से बने आकर्षक प्रतिकृतियां लगायी जाये. लेकिन अब यह काम ठंडे बस्ते में चला गया है. साथ ही अब महुआ बैंक का नया प्रयोग चिखलदरा में होने जा रहा है.