मनपा के ‘चिरागतले अंधेरा’
ऐन नाक के नीचे और आंखों के सामने कचरे व गंदगी का साम्राज्य
अमरावती/प्रतिनिधि दि.3 – विगत करीब 14-15 दिनों से दैनिक अमरावती मंडल द्वारा अमरावती शहर में व्याप्त कचरे व गंदगी की समस्या तथा साफ-सफाई की व्यवस्था के अभाव को लेकर सतत खबरे प्रकाशित करते हुए मनपा के अधिकारियों व पदाधिकारियों को जगाने का प्रयास किया जा रहा है. किंतु मनपा की ‘कुंभकर्णी नींद’ का आलम कुछ ऐसा है कि, मनपा प्रशासन व स्वच्छता विभाग को शायद न तो कुछ दिखाई दे रहा है और न ही कुछ सुनाई दे रहा है. यहीं वजह है कि, खुद मनपा की नाक के नीचे और आंख के सामने कचरे व गंदगी की समस्या व्याप्त है. जिसे दूर करने का प्रशासन की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, जब खुद मनपा मुख्यालय परिसर कचरे और गंदगी की समस्या से अछूता नहीं है, तो बाकी शहर में तो साफ-सफाई की व्यवस्था का बैण्डबाजा बजना ही है.
इस खबर के साथ प्रकाशित सभी छायाचित्र मनपा मुख्यालय परिसर से ही लिये गये है. जिन्हें देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि, साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर मनपा प्रशासन की गंभीरता और सजगता का स्तर क्या है. इन छायाचित्रों में सबसे पहला छायाचित्र मनपा के बाहर राजकमल चौक के कोने में स्थित वॉटर फाउंटेन हेतु बनाये गये टाके का है. जिसमें नामालूम कितने दिनों से पानी जमा है और बारिश का पानी भी इसी टाके में जमा होता है. एक ओर तो डेंग्यू मच्छरों की पैदावार रोकने के लिए मनपा प्रशासन द्वारा कहीं पर भी पानी जमा नहीं होने देने और सप्ताह में एक दिन सूखा दिवस मनाने की अपील की जाती है. वहीं दूसरी ओर खुद मनपा के मुहाने पर विगत अनेक दिनों से टाके में पानी भरा हुआ है. जिससे बडे पैमाने पर डेंग्यू मच्छरों की पैदावार हो सकती है.
इसके अलावा अन्य छायाचित्र मनपा परिसर स्थित शौचालय, स्वच्छता गृह व पानपोई सहित मनपा के प्रवेश द्वार के है. जहां पर फैली गंदगी और थूकने के निशान स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहे है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, जिस मनपा पर पूरे शहर की साफ-सफाई का जिम्मा है, यदि वो खुद गंदगी और साफ-सफाई की अव्यवस्था का शिकार है, तो फिर मनपा से शहर की साफ-सफाई को लेकर क्या उम्मीद की जा सकती है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत 13-14 दिनों से अमरावती मंडल द्वारा लगातार इस समस्या को लेकर समाचारों की श्रृंखला प्रकाशित करने के साथ-साथ शहरवासियों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है. मंडल द्वारा शुरू ेकी गई इस पहल के चलते विगत 10-12 दिनों के दौरान शहर के विभिन्न रिहायशी इलाकों में रहनेवाले नागरिकों ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर हमें मेल और छायाचित्र भी भेजे. जिन्हें उन इलाकों के नामों के साथ प्रकाशित भी किया गया. इसके पीछे हमारा उद्देश्य यह था कि, कम से कम इसे देखकर ही सही मनपा प्रशासन अपने आलस्य को छोडकर काम पर लग जायेगा. किंतु पहले तीन-चार दिनों तक तो मनपा प्रशासन केवल लिपापोती करते हुए अपने आप को पाक दामन बताने का ही प्रयास करता रहा. वहीं बाद में कुछ जनप्रतिनिधियों तथा राजनीतिक संगठनों द्वारा इसे लेकर आवाज उठाये जाने और प्रशासन पर दबाव बनाये जाने के चलते शहर में फवारणी व धुवारणी के काम शुरू हुए. लेकिन कचरे व गंदगी की समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है. यानी कुल मिलाकर ‘उपर की टाम-टूम, अंदर की राम जाने’ वाली स्थिति है.
बता दें कि, कचरे व गंदगी की समस्या के चलते अमरावती शहर में डेंग्यू व चिकन गुनिया जैसी संक्रामक महामारियां पांव पसार रही है और अब तक कई लोग डेंग्यू संक्रमण की चपेट में आ चुके है. जिसमें से विगत दिनों सबनीस प्लॉट परिसर निवासी 22 वर्षीय युवती की डेंग्यू संक्रमण के चलते मौत हो चुकी है, लेकिन इसके बावजूद मनपा प्रशासन शहर को साफ-सूथरा रखने के लिए प्रतिबध्द व गंभीर दिखाई नहीं दे रहा.
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ये पब्लिक है, सब जानती है बॉस
ज्ञात रहे कि दैनिक अमरावती मंडल ने कचरे व गंदगी की समस्या के खिलाफ समाचारों की श्रृंखला शुरू करते समय एक सवाल उठाया था कि, अमरावती मनपा द्वारा साफ-सफाई संबंधी कामों पर प्रतिवर्ष करीब 40 करोड रूपये का खर्च किया जाता है, लेकिन यदि साफ-सफाई से संबंधित काम ही नहीं हो रहे है, तो यह पैसा कहां खर्च हो रहा है. क्या यह मान लिया जाये, की मनपा प्रशासन के अधिकारियों व सफाई ठेकेदारों की आपसी मिलीभगत के चलते साफ-सफाई से संबंधित कामों के फर्जी बिल पास किये जा रहे है. इसमें सर्वाधिक आश्चर्य तो सभी प्रभागों के नगरसेवकों की चुप्पी को लेकर है. अमूमन साफ-सफाई के ठेके को लेकर आमसभा में आसमान सर पर उठा लेनेवाले लगभग सभी नगरसेवक साफ-सफाई के कामों को लेकर चुप्पी साधे हुए है. बल्कि यह कहते हुए पल्ला झटकने का प्रयास किया जा रहा है कि, हमारा काम आमसभा में बैठकर नीतियां बनाना है और उन पर अमल करने का जिम्मा प्रशासन का है. ऐसे में सफाई व कचरे के ठेके से हमारा (पार्षदों का) कोई संबंध अथवा लेन-देन नहीं है. लेकिन मनपा में बैठे पदाधिकारी व अधिकारी शायद यह भूल गये कि, ‘ये पब्लिक है, सब जानती है’.