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मनोज जरांगे फिर हुए सक्रिय

आज से छठवे चरण का दौरा शुरु

मुंबई /दि.4- मराठा आंदोलक मनोज जरांगे पाटिल मुंबई में किये जाने वाले आंदोलन से पहले एक बार फिर सक्रिय हो गया है तथा आज से उनके दौरे का छठवा चरण शुरु हो गया है. अपने इस 4 दिवसीय दौरे के तहत मनोज जरांगे द्वारा गोदापट्टे की 11 तहसीलों में 123 गांवों को भेंट दी जाएगी. साथ ही जालना, छत्रपति संभाजी नगर और बीड जिले के इन 123 गांवों को भेंट देते हुए वे मुंबई आंदोलन के बारे में भी मार्गदर्शन करेंगे.
अपने इस दौरे से पहले मीडिया से बात करते हुए मनोज जरांगे ने बताया कि, उनके इस दौरे में कोई सभा नहीं होगी. आज कैबिनेट की बैठक होने वाली है. जिसमें सरकार द्वारा निर्णय लिया जा सकता है. साथ ही मराठा समाज के 54 लाख कुणबी संबंधी अभिलेख मिल चुके है. जिसके चलते सरकार ने मराठा आंदोलन को गंभीरता से लेना चाहिए और 20 जनवरी का इंतजार भी नहीं करना चाहिए, क्योंकि 20 जनवरी के बाद हम सरकार के साथ किसी भी तरह की कोई चर्चा नहीं करेंगे. मनोज जरांगे ने यह भी कहा कि, जिन मराठाओं के कुणबी रहने संबंधित दस्तावेज मिल चुके है. उन्हें भी अब तक कुणबी प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है. जबकि हमारा स्पष्ट मानना है कि, मराठा और कुणबी समाज एक ही है. लेकिन इसके बावजूद सरकार इसे जानबूझकर लटका रही है.
बता दें कि, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे ने मुंबई स्थित आजाद मैदान पर उपोषण करने की घोषणा की है. जिसके लिए वे आगामी 20 जनवरी को अंतरवाली सराटी गांव से मुंबई के लिए रवाना होंगे, उस समय समूचे राज्य से लाखों मराठा समाजबंधुओं के मुंबई पहुंचने की संभावना है. जिसे ध्यान में रखते हुए मनोज जरांगे ने गत रोज अंतरवाली सराटी गांव में मुंबई के मराठा आंदोलकों के साथ बैठक की. जिसमें कई महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा हुई और मुंबई में किस मार्ग से प्रवेश करना है तथा मुंबई आने वाले मराठा समाज बंधुओं के लिए किस तरह से भोजन, पानी व निवास की व्यवस्था करनी है. इसे लेकर मनोज जरांगे ने कई निर्देश भी जारी किये.
* अब सरकार से कोई चर्चा नहीं
गत रोज बुलाई गई बैठक मेें मनोज जरांगे ने यह स्पष्ट कर दिया कि, अब मराठा आरक्षण को लेकर राज्य सरकार के साथ वे या उनका कोई प्रतिनिधि किसी भी तरह की कोई चर्चा नहीं करेगा. जरांगे के इस फैसले की वजह से सरकार की दिक्कते बढ सकती है. क्योंकि चर्चा ही बंद हो जाने पर आगे के समाधान पर विचार-विमर्श ही रुक जाएगा. इस पर मनोज जरांगे का कहना रहा कि, वे सरकार को काफी समय दे चुके है और दोनों ओर से अब तक काफी चर्चाएं भी हो चुकी है. अत: अब और अधिक चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं है.

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