मनोज जरांगे के 14 वर्ष का संघर्ष रहा सफल
मराठा समाज के लिए वर्ष 2011 से हुए थे आंदोलन में सहभागी
नवी मुंबई/दि.27 – मराठा समाज को आरक्षण दिलाने हेतु शुरु किये गये आंदोलन का मुख्य चेहरा बने मनोज जरांगे पाटिल का लंबा संषर्घ आखिरकार सफल रहा और समाज के लिए अपना सबकुछ देकर 14 साल तक संषर्घ करने वाले मनोज जरांगे ने आखिरकार अपने समाज के लिए आरक्षण की सुविधा प्राप्त करने में सफलता हासिल की.
उल्लेखनीय है कि, बेहद सर्वसामान्य परिस्थिति से वास्ता रखने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने वर्ष 2011 से मराठा समाज के लिए काम करने की शुरुआत की और वे आरक्षण हेतु शुरु किये गये आंदोलन में शामिल हुए. साथ ही महज 3 वर्ष के भीतर वे मराठा आरक्षण आंदोलन का नेतृत्व करने लगे तथा वर्ष 2014 में उन्होंने छत्रपति संभाजी नगर के विभागीय आयुक्तालय पर विशालकाय मोर्चा निकाला. जिसके बाद वर्ष 2015 से वर्ष 2024 के दौरान उन्होंने 30 से अधिक आंदोलन करते हुए समाज का नेतृत्व किया.
मुलत: बीड जिले में मोतोरी गांव के रहने वाले मनोज जरांगे पाटिल ने आगे चलकर जालना जिलांतर्गत अंतरवाली सराटी गांव में बसने का निर्णय लिया था. उनके घर की स्थिति बेहद सामान्य रहने के चलते उन्होंने आजीविका चलाने हेतु होटल मेें भी काम करना शुरु किया. लेकिन समाज के लिए कुछ कर गुजरने की भावना से प्रेरित होकर परिवार की अनदेखी करते हुए वे मराठा आंदोलन में शामिल हुए तथा इस आंदोलन के लिए अपनी खुद की जमीन भी बेच डाली. जिसके बाद मराठा आरक्षण के लिए कई बार मोर्चे व रास्ता रोको जैसे आंदोलन किये और आमरण अनशन का भी रास्ता अख्तियार किया. जिसके चलते मनोज जरांगे पाटिल का नाम देखते ही देखते पूरे मराठवाडा में प्रसिद्ध हो गया.
वहीं मनोज जरांगे पाटिल द्वारा 29 अगस्त 2023 को आरक्षण की मांग के लिए अंतरवाली सराटी गांव में शुरु किये गये अनशन को खत्म करने हेतु जब 1 सितंबर को पुलिस ने लाठीचार्ज करते हुए बलप्रयोग किया, तो इसकी खबर पूरे राज्य में आग की तरह फैल गई तथा मनोज जरांगे पाटिल रातोंरात राज्य सहित देश का चर्चित चेहरा बन गये.