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शहीदों के सम्मान पर ध्यान दें मनपा प्रशासन

युकां शहर अध्यक्ष वैभव देशमुख ने उठायी मांग

अमरावती-/दि.29  सन 1972 में देश की आजादी का रजत महोत्सवी वर्ष मनाने हेतु शहर के तत्कालीन नगराध्यक्ष स्व. हरिभाउ कलोती ने शहीद-ए-आजम भगतसिंह के छोटे भाई सरदार कुलवीरसिंह को आमंत्रित किया था और उनके ही हाथोें 23 मार्च 1973 को शहीद दिवस के उपलक्ष्य में इर्विन चौक पर शहीद स्मृति स्तंभ स्थापित करने के साथ ही टोपे नगर परिसर में शहीद भगतसिंह बालोद्यान का शिलान्यास किया गया था. किंतु 50 वर्ष का समय बीत जाने के बावजूद और आजादी का अमृत महोत्सवी वर्ष मनाये जाते समय उस स्थान पर बालोद्यान की निर्मिती नहीं हो पायी है. साथ ही सरदार कुलवीरसिंह के हाथों अनावरित किया गया शिलालेख भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है. यह अपने आप में बेहद दुर्भाग्यजनक बात है. ऐसे में मनपा प्रशासन ने देश के वीर शहिदों की अवहेलना को तत्काल बंद करना चाहिए. इस आशय की मांग युवक कांग्रेस के शहराध्यक्ष वैभव देशमुख द्वारा उठायी गई है.
इस संदर्भ में मनपा आयुक्त डॉ. प्रवीण आष्टीकर को सौंपे गये ज्ञापन में युकां शहराध्यक्ष वैभव देशमुख ने बताया कि, टोपे नगर परिसर में रहनेवाले युवाओं द्वारा अपने स्तर पर टोपे नगर मैदान से अतिक्रमण व गंदगी को हटाकर वहां नियमित तौर पर अन्य कुछ खेलों की प्रैक्टिस की जाती है. चूंकि अब बालोद्यान साकार करने में काफी पैसा खर्च होगा. साथ ही युवाओं के लिए खेलने हेतु जगह उपलब्ध नहीं रहेगी. ऐसे में इस जगह के संदर्भ और महत्व को दर्शानेवाले शिलालेख को समारोहपूर्वक स्थापित किया जाये. साथ ही मैदान के प्रवेश द्वार पर शहीद भगतसिंह के नाम का उल्लेख रहनेवाली कमान लगायी जाये, ताकि आाज के युवाओं और भावी पीढी को इतिहास की जानकारी मिले. साथ ही शहीदों की स्मृतियों का योग्य सम्मान हो.
इस समय युवक कांग्रेस के समीर जवंजाल, अनिकेत ढेंगले, सागर कलाने, शक्ति राठोड, प्रसाद भगत, अभिजीत मेश्राम, सागर यादव, योगेश बुंदिले, आशिष यादव, गुड्डू हमीद, विनोद सुरोशे, राजा बांगडे, अभिनव देशमुख, राज वंजारी, मोहित भेंडे, कौस्तुभ देशमुख, केदार भेंडे, जुगल खोडे, शुभम भुयार, कुणाल खेरडे, मोहन कराले, कमलेश आत्राम, कपिल खंडारे, प्रितेश अंभोरे, राहुल गुप्ता, सचिन आत्राम, क्रिष्णा आत्राम, सुजल मसराम, मंगेश मासोदकर, प्रणित खंडारे, आदित्य कलाने, प्रवीण इंगले, पवन मसराम, चेतन जवंजाल, संकेत भेंडे, हर्षल साखरकर, पवन ढोबले, पिंकी माहोरे, उमा इंगले समेत अनेकों कार्यकर्ता उपस्थित थे.

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