मनपा व महाराष्ट्र बैंक बैठकर निकालें रास्ता
सिटी बस सेवा पर हाईकोर्ट के निर्देश
* हल नहीं निकलने पर 7 जून को सुनवाई
नागपुर/दि.4 – विगत करीब ढाई माह से ठप पडी अमरावती मनपा की सिटी बस सेवा को दुबारा शुरु करने के संदर्भ में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने अमरावती मनपा प्रशासन तथा बैंक ऑफ महाराष्ट्र प्रबंधन को समझाइशपूर्वक निर्देश देते हुए कहा कि, दोनों ही पक्ष किस मामले को लेकर आपस में समन्वयपूर्ण ढंग से बैठक करें और इस मामले में कोई समाधानकारक रास्ता निकाले.
बता दें कि, इससे पहले अमरावती मनपा की सिटी बस सेवा का ठेका पृथ्वी ट्रैवल्स के विपिन चव्हाण को दिया गया था. किंतु ठेकेदार द्बारा रॉयल्टी व कर अदा करने के संदर्भ में की जाने वाली गडबडियों के चलते मनपा आयुक्त व प्रशासक प्रवीण आष्टीकर ने पृथ्वी ट्रैवल्स के ठेका करार को बीच में ही रद्द करते हुए सभी सिटी बसों को अपने कब्जे में ले लिया था. जिसके बाद आनन-फानन में सिटी बस के ठेके हेतु नये सिरे से निविदा प्रक्रिया चलाते हुए महेश साबू की ट्रैवल्स एजेंसी को ठेका देना तय किया गया था. जिसका करारनामा करने के लिए बैंक ऑफ महाराष्ट्र से एनओसी मांगी गई थी. क्योंकि सभी सिटी बसें बैंक ऑफ महाराष्ट्र से पुराने ठेकेदार द्बारा कर्ज लेकर खरीदी गई थी और इस कर्ज में अमरावती मनपा को गारंटर बनाया गया था. परंतु बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने यह कहते हुए एनओसी देने से इंकार कर दिया था कि, पुराने ठेकेदार द्बारा कर्ज की किश्ते अदा नहीं की गई है. अत: पहले कर्ज की बकाया किश्त एकमुश्त अदा की जाए. इसके बाद ही बैंक द्बारा एनओसी दी जाएगी. ऐसे में एनओसी नहीं मिलने के चलते नये ठेकेदार के साथ किया जाने वाला करार अधर में लटक गया और सिटी बस सेवा का परिचालन पूरी तरह से ठप पडा रहा. जिसकी वजह से अमरावती के आम शहरवासियों तथा बाहरगांव से आने वाले लोगों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. इस बात के मद्देनजर एड. जेमिनी कासट के जरिए नागपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए अमरावती में सिटी बस सेवा को दुबारा शुरु करने के संदर्भ में कोई समाधानकारक आदेश जारी करने की अपील की गई.
इस जनहित याचिका पर न्या. चांदूरकर व न्या. चांदवाणी की खंडपीठ समक्ष हुई सुनवाई में नये ठेकेदार महेश साहू ने कहा कि, वह बैंक के पुराने बकाए को अदा करने के लिए तैयार है. लेकिन इसके लिए उसे बैंक द्बारा 12 किश्तों में रकम अदा करने की सहूलियत दी जानी चाहिए. वहीं सुनवाई के दौरान बैंक प्रबंधन ने अपनी भूमिका में कुछ नर्मी लाते हुए कहा कि, यदि उसे कम से कम 50 फीसद बकाया राशि का भुगतान कर दिया जाता है और शेष 50 फीसद राशि का भुगतान समय पर होने की गारंटी महानगरपालिका द्बारा दी जाती है, तो उसे एनओसी देने में कोई आपत्ति नहीं होगी. दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद खंडपीठ ने मनपा प्रशासन व बैंक ऑफ महाराष्ट्र प्रबंधन को निर्देशित किया कि, वे आपस में बैठकर इस मामले को हल करने के लिए और क्या रास्ता निकाला जा सकता है, इस पर विचार करें, साथ ही इस बातचीत की प्रक्रिया में नये ठेकेदार को भी शामिल करते हुए उसे हर बात से अवगत कराए तथा किसी भी उपाय को लेकर तीनों पक्षों की सहमति बन जाने के बाद उसकी जानकारी अदालत को देते हुए उस समाधान वाले रास्ते पर आगे बढे. साथ ही अगर तीनों ही पक्ष ऐसा करने में नाकाम साबित होते है, तो अदालत द्बारा आगामी 7 जून को एक बार फिर इस मामले में सुनवाई की जाएगी.
इस जनहित याचिका को लेकर अमरावती मनपा व अमरावती के आम शहरवासियों की ओर से एड. जेमिनी कासट ने पैरवी की.