मनपा के चतुर्थ श्रेणी कर्मी देविदास कुंडे की कोरोना से मौत
उपायुक्त नरेंद्र वानखडे के कक्ष में थी तैनाती
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पीडीएमसी में चल रहा था इलाज
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पॉजीटिव रिपोर्ट आने से पहले ही दम तोडा
प्रतिनिधि/दि.१
अमरावती – स्थानीय बेलपुरा परिसर निवासी मनपा के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी देविदास हरिभाउ कुंडे (५३) की विगत गुरूवार की रात पीडीएमसी अस्पताल में इलाज जारी रहने के दौरान मौत हो गयी थी. जिसके चलते अस्पताल प्रबंधन द्वारा देर रात करीब १.३० बजे देविदास कुंडे का पार्थिव उनके परिवार को सौंप दिया गया था. पश्चात कुंडे परिवार ने शुक्रवार की सुबह देविदास कुंडे के पार्थिव का अंतिम संस्कार किया था. कींतु शुक्रवार की दोपहर देविदास कुंडे की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आने की जानकारी मिली. ऐसे में अब देविदास कुंडे के परिवार सहित उसके अंतिम संस्कार में शामिल हुए सभी लोग हाईरिस्क झोन में आ गये है और उन्हें कोरोंटाईन करते हुए उनके थ्रोट स्वैब सैम्पल लिये जा रहे है. जानकारी के मुताबिक मनपा उपायुक्त नरेंद्र वानखडे के कक्ष में बतौर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम करनेवाले देविदास कुंडे की तबियत आठ-दस दिन से खराब चल रही थी. जिसकी देविदास कुंडे ने अनदेखी की और बीते गुरूवार को तबियत काफी बिगड जाने के बाद उन्हें पीडीएमसी अस्पताल में भरती कराया गया. जहां पर उनका थ्रोट स्वैब सैम्पल लेने के साथ ही इलाज शुरू किया गया है. लेकिन गुरूवार की रात देविदास कुंडे की मौत हो गयी. जिसके बाद उनका पार्थिव उनके परिजनों को सौंप दिया गया. इस समय तक देविदास कुंडे की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट आना बाकी था. पश्चात शुक्रवार की सुबह कुंडे परिवार एवं आसपडौस के लोगों ने मिलकर देविदास कुंडे के पार्थिव का अंतिम संस्कार कर दिया. जानकारी के मुताबिक इस समय कुंडे परिवार सहित परिसर के करीब १५० लोग अंतिम यात्रा व अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे. वहीं शुक्रवार की दोपहर में पता चला कि, देविदास कुंडे के थ्रोट स्वैब सैम्पल की रिपोर्ट पॉजीटिव आयी है. यह जानकारी पता चलते ही कुंडे की अंतिम यात्रा में शामिल होनेवाले सभी लोगों में जबर्दस्त हडकंप व्याप्त हो गया है. वहीं परिसरवासियों द्वारा आरोप लगाया जा रहा है कि, जब देविदास कुंडे के थ्रोट स्वैब सैम्पल की रिपोर्ट आना बाकी थी, तो उसका पार्थिव उसके परिजनों को कैसे सौंपा गया.
जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर पीडीएमसी के डीन डॉ. पद्माकर सोमवंशी ने बताया कि, किसी भी कोरोना संक्रमित या संदेहित व्यक्ति की मौत हो जाने के बाद उसके शव को अपने पास रोकने का अधिकार किसी अस्पताल के पास नहीं होता, क्योंकि संबंधित व्यक्ति के अंतिम संस्कार का पहला अधिकार उसके परिजनों का ही होता है. ऐसे में संबंधित परिवार को आवश्यक दिशानिर्देश व हिदायत देने के बाद ही उन्हें उनके दिवंगत परिजन का शव सौंपा जाता है. इसके साथ ही यह अपेक्षा की जाती है कि, संबंधित परिवार द्वारा सभी निर्देशों का पालन करते हुए उस व्यक्ति के पार्थिव का अंतिम संस्कार किया जायेगा. साथ ही डॉ. सोमवंशी ने यह भी बताया कि, यदि किसी मृतक व्यक्ति के परिजनों द्वारा अंतिम संस्कार करने से मना कर दिया जाता है, तो उस स्थिति में संबंधित परिवार से लिखित में अनुमति लेकर अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्थानीय प्रशासन का सहयोग लेकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया निपटायी जाती है. ऐसे में इस मामले में भी पीडीएमसी अस्पताल ने उपरोक्त प्रक्रिया का ही पालन किया.