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जनसंवाद यात्रा के तहत पहुंचे अमरावती
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मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा राज्यव्यापी दौरा
अमरावती/प्रतिनिधि दि.५ – मराठा और कुणबी एक ही है और इस बात को लेकर हमारे बीच कोई विवाद नहीं है. खुद छत्रपति शाहु महाराज को राजर्षि की पदवी कुणबी समाज द्वारा दी गई है. वहीं अब बदलते समय के अनुसार मराठा समाज को भी आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन सांसद छत्रपति संभाजी राजे भोसले द्वारा किया गया.
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर बेहद आक्रामक भूमिका अपनाने के साथ ही इस मांग के लिए राज्यव्यापी जनसंवाद यात्रा पर निकले सांसद संभाजी राजे छत्रपति बीती शाम अमरावती पहुंचे और उन्होंने नागपुर महामार्ग पर रहाटगांव के निकट स्थित होटल गौरी इन में सकल मराठा समाज की एक बैठक को संबोधित करते हुए उपरोक्त प्रतिपादन किया. इस समय उन्होंने कहा कि, वर्ष 1917 में छत्रपति शाहु महाराज खामगांव में आयोजीत परिषद में हिस्सा लेने हेतु आये थे और उन्होंने कहा था कि, मराठा व कुणबी समाज के पास पढाई-लिखाई के अलावा अन्य कोई पर्याय उपलब्ध नहीं है. अत: समाज को शिक्षा की मुख्य धारा में आना चाहिए. इस परिषद में उपस्थित डॉक्टर पंजाबराव उर्फ भाउसाहेब देशमुख ने प्रेरणा प्राप्त की और विदर्भ में श्री शिवाजी शिक्षा संस्था को स्थापित करते हुए शिक्षा की गंगा प्रवाहित की. साथ ही डॉ. पंजाबराव देशमुख ने मराठाओं से आवाहन किया था कि, यदि शैक्षणिक व आर्थिक प्रगती करनी है, तो कुणबी प्रवर्ग में शामिल हो जाओ. जिसे प्रतिसाद देते हुए अधिकांश मराठा उस समय कुणबी प्रवर्ग में शामिल हो गये. किंतु जो ऐसा करने से वंचित रह गये, आज उन मराठाओं को परिस्थिति के अनुरूप आरक्षण दिया जाना मौजूदा समय की जरूरत है. साथ ही सांसद संभाजी राजे ने इस बात की याद भी दिलाई कि, राजर्षि छत्रपति शाहु महाराज ने ही वर्ष 1902 में बहुजन समाज को आरक्षण दिलवाया था.
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एमपीएससी उत्तीर्ण उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाये
राज्य में 440 से अधिक उम्मीदवारों द्वारा एमपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की गई है. किंतु इन उम्मीदवारों को नियुक्ति नहीं दी जा रही. जिससे त्रस्त होकर पुणे में एक युवा द्वारा आत्महत्या कर ली गई. इस बात का उल्लेख करते हुए सांसद छत्रपति संभाजी राजे ने कहा कि, राज्य सरकार द्वारा इस विषय को लेकर युध्दस्तर पर निर्णय लेने हेतु उच्च स्तरीय समिती गठित की जाये और एमपीएससी उत्तीर्ण युवाओं को न्याय दिया जाये. अन्यथा हम इसे बेहद गंभीरता से लेंगे और सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे.