लक्ष्मी मूर्तियों से सज रहा बाजार
शहर के मूर्तिकारों में जगी आस, इस बार नहीं बढेंगे दाम
अमरावती प्रतिनिधि/दि.७ – दीपावली का त्यौहार समूचे महाराष्ट्र में ही नहीं तो देश में मनाया जाता है. दीपावली पर लक्ष्मी और गणेशजी की पूजा किए जाने से लक्ष्मी की मूर्तियों को सर्वाधिक डिमांड रहती है. हालांकि गत वर्ष की तरह इस वर्ष गुजरात, अहमदाबाद से लायी गयी लक्ष्मी की मूर्तियां शहर में उपलब्ध नहीं हो पाएंगी. शहर के कुंभारवाडा में लक्ष्मी की एक से बढकर एक मूर्तियां बनायी जा रही है. जिसके कारण इस वर्ष पर्याप्त मात्रा में मूर्तियां उपलब्ध रहने से मिट्टी, कलर, साहित्य के दाम भले ही बढे हैं, लेकिन मूर्तियों के दाम नहीं बढेंगे. जो शीघ्र ही मार्केट में उपलब्ध होगी.
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कोरोना से ट्रान्सपोर्ट पर असर
मूर्तिकारों की माने तो लक्ष्मी मूर्तियां बनाने के लिए अधिकांश रूप से पीओपी का ही इस्तेमाल किया जाता है. घर-घर में महालक्ष्मी पूजन हेतु फोटो, प्रतिमा, सिक्के के साथ महालक्ष्मी की मूर्तियां ली जाती है. धनतेरस के पूर्व शहर में गुजरात के अहमदाबाद से भी तीन से चार ट्रकों से मूर्तियों का माल बाहरी जिलों में नहीं पहुंचाया जा रहा हैं और ना ही बाहरी राज्यों से माल लाया जा रहा है. गुजरात और अहमदाबाद से लायी जानेवाली मूर्तियां पीओपी की रहने से यह मूर्तियां हल्की और सबसे कम दाम में मिलने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों के थोक दूकानदार, मूर्ति विक्रेता २०० से ३०० मूर्तियों का माल उठाते थे. यह मूर्तियां सस्ती होने के कारण भी ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक डिमांड रहती हैं. जबकि शहर में मिट्टी से बनाई गई मूर्तियों की कीमत इस वर्ष ३०० से ४०० रूपये तक है. यह मूर्तियां ९ इंच से २ फीट तक बनायी गई है.
त्यौहार नहीं केवल फॉर्मूलिटी
मूर्तियों का बाहरी जिलों में नहीं भेजे जाने से शहर में मूर्तियों की संख्या सर्वाधिक हो चुकी है. जिसके कारण साहित्य के दाम भले ही बढे हैं किन्तु ग्राहकों को पुराने दामों पर ही मूर्तियां देनी पडेगी. कोरोना के कारण यह त्यौहार केवल फॉर्मूलिटी बनकर रह गया है. – अविनाश रोतले मूर्तिकार
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कमल, हाथीवाली मूर्ति
एक मूर्तिकार द्वारा ४०० से ५०० मूर्तियां ही बनाई जा रही है. जिले का माल बाहर नहीं जाने से मूर्तियों की संख्या अधिक हैं. जिसमें कोरोना के कारण पीओपी को छूट मिलने से मिट्टी की मूर्तियां अधिकांश नहीं बनायी गई. लक्ष्मी की मूर्ति आकर्षक रहने से पीओपी की मूर्तियां आकर्षक बनती है. कमल, हाथी पर सवार, सिंहासन पर विराजमान मूर्तियों की डिमांड होती है.
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सजाए जा रहे प्रतिष्ठान
शहर में मूर्तियों के लिए प्रतिष्ठान सजाना शुरू हो चुका है. राजापेठ, इर्विन चौक, सायन्सकोर, गांधी नगर, रवि नगर, साईनगर, गोपालनगर, दस्तूरनगर, कांग्रेस नगर में लक्ष्मी मूर्तियों की दुकाने लगायी जाती है. इसके अलावा कठोरा नाका, गाडगेनगर में भी मूर्तियों के साथ ही दीपावली का मार्केट सजाया जाता है. लेकिन इस वर्ष इतने बडे पैमाने पर प्रतिष्ठानों को अनुमति मिलेगी अथवा नहीं यह प्रश्नचिन्ह लगा है.