मुख्य समाचारविदर्भ

उपजिला अस्पताल में पांच महीनों से विवाह पंजीयन बंद

शादी कर सकते ,लेकिन शादी की रजिस्ट्री नही ...!

  • जिलाधीश का अजीब आदेश …???
  • नवविवाहितों  के चक्कर पर चक्कर

परतवाड़ा/अचलपुर/प्रतिनिधी दि . ८ – स्थानीय सब डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल (उपजिला अस्पताल) में पिछले पांच महीनों से विवाह पंजीयन की प्रक्रिया बंद पड़ी है । नवविवाहितों को विवाह पंजीयन प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए अस्पताल के चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ रहे है । अस्पताल प्रबंधन से कोई समाधान जवाब नही मिलने से न्यूली मैरिड कपल्स में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिल रहा ।
इस संदर्भ में प्राप्त जानकारी के अनुसार पीएम मोदी द्वारा पहला लॉकडाउन घोषित करने के साथ ही उपजिला अस्पताल प्रबंधन ने जो सबसे पहला काम किया वो शादी प्रमाणपत्र आवंटित करना बंद कर दिया ।

PHOTO-wedding-amravati-mandal

माननीय जिलाधीश के आदेश से हम विवाह का पंजीयन करना बंद कर रहे है इस आशय की एक सूचना अस्पताल के पहले माले पर स्थित 20 क्रमांक के दफ्तर के बाहर चस्पां कर दी गई ।फिलहाल विवाह पंजीयन का कार्य रावसाहेब छापानी संभाल रहे है । ‘ ‘ ‘अमरावती मंडल ‘ संवाददाता ने इस बारे में अधिकृत जानकारी प्राप्त करने अस्पताल का भृमण किया तब वहां मालूम पड़ा कि छापानी किसी जरूरी काम से बाहर गए हुए है । अस्पताल अधीक्षक डॉ सरवत वर्मा की जगह नियुक्त हुए डॉ राजेन्द्र ढोले भी अपने केबिन में उपलब्ध नही थे । 20 नंबर के विवाह पंजीयन दफ्तर कर सामने विवाह प्रमाणपत्र प्रक्रिया बंद होने की सूचना लिखी जरूर नजर आई । इस सूचना में जिलाधिकारी के आदेश का जिक्र था ।
यहां बता दे कि जब से केंद्र सरकार ने विवाह पंजीकरण का नियम लागू किया है तब से महानगरों और विदेश में रहते युवक -युवतियों के लिए यह किसी वरदान से कम साबित नहीं हो रहा है । किसी भी अन्य देश मे भारतीय हिन्दू या दूसरे किसी भी धर्म अंतर्गत किया विवाह मान्य नही किया जाता है । सिर्फ और सिर्फ मैरिज रजिस्टार ( निबंधक ) द्वारा अंग्रेजी में जारी प्रमाणपत्र ही मान्य किया जाता है । यह प्रमाणपत्र विवाह के बाद रिजक कमाने फॉरेन जाते युवक -युवतियों को काफी मदतगार साबित होता है । विशेष रुप से सात समंदर पार अपने भविष्य के सपने संजोने पहुंची किसी महिला के वैवाहिक अधिकारों की रक्षा इसी प्रमाणपत्र के आधार पर की जा सकती है । इसी प्रकार देश के दूरस्थ महानगरों और अतिदुर्गम भाग में विवाह पश्चात जीवन निर्वाह कर रहे युगलों को भी इसी प्रमाणपत्र से सुरक्षा मिलती है । यही वजह है कि नवविवाहित रीति रिवाज से शादी होने के बाद भी इस प्रमाणपत्र को पाने के लिए काफी उत्सुक रहते है। ज्यादातर नवविवाहित सुरक्षा के मद्देनजर मैरिज सर्टिफिकेट को प्रधान्यता देते है ।

22 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया था । तब से उपजिला अस्पताल में विवाह पंजीयन बंद कर दिया गया है । इससे पूर्व विवाह पंजीयन तहसील कचहरी में और बाद में नगर पालिका में करने की व्यवस्था शासन की ओर से की गई थी । फिर अचानक क्या हुआ मालूम नही और राज्य सरकार ने नगर परिषद के अधिकार क्षेत्र से इस कार्य को निकाल कर उपजिला अस्पताल को सुपुर्द कर दिया।

उपजिला में पहले यह कार्य सायम नामक कर्मी की देखरेख में किया जाता रहा है। अब वर्तमान में रावसाहेब छापानी विवाह पंजीयन का काम संभाल रहे है ।
अस्पताल का दौरा करने के बाद जो जानकारी सामने आई उसमें कोरोना की आड़ में शादी का प्रमाणपत्र जारी नहीं करने का कोई ठोस कारण दिखाई नही देता । अस्पताल की पहली मंजिल पर विवाह पंजीयन होता है । इस मंजिल पर अन्य कोई चिकित्सा संबंधी काम नही किया जाता है ।किसी भी प्रकार की वैधकीय जांच , मरीजो के आने जाने का इस पहले माले से दूर -दूर तक कोई संबंध नहीं है । यह माला कोरोना काल मे भी बिल्कुल सुरक्षित है और इसे आने जाने का मार्ग भी बिलकुल स्वतंत्र रूप से बना होने से आप किसी भी मरीज , डॉक्टर्स या स्टाफ के संपर्क में नही आते है । इतना सब कुछ होने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन ने विवाह पंजीयन कार्य बंद रखा जो किसी आश्चर्य से कम नही कहा जा सकता है ।

प्रस्तुत प्रतिनिधि को करीब चार -पांच युगल 20 क्रमांक दफ्तर के सामने प्रतीक्षारत मिले लेकिन उन्हें वहां कोई समाधानकारक जवाब देने नही मिला ।एक युगल ने बताया कि वो अभी तक 25 मर्तबा यहां आ चुके लेकिन कोई भी सही जानकारी नही बताता है । इस युगल में जो युवक था उसने बताया कि हमे विदेश जाना है और मेरी पत्नी को फॉरेन वीजा तभी मिलेंगा जब हम मैरिज सर्टिफिकेट प्रस्तुत करेंगे । फॉरेन एंबेसी के अधिकारी विवाह प्रमाणपत्र के अलावा अन्य कोई दस्तावेज मान्य ही नही करते है ।पूछताछ करने पर यह भी मालूम पड़ा कि करीब 400 से 500 नवविवाहित पिछले पांच महीनों से रजिस्ट्रेशन के लिए चक्कर मार -मारकर हलाकान हुए जा रहे है । इसमें अधिकांश युगल परतवाड़ा से अचलपुर आना जाना करते है । एक चक्कर लगाने में ही नवयुगल के 100 -200रुपये खर्च हो जा रहे है ।
विरोधाभास की सरकारी कर्यप्रणाली भी देखिए । पूरे लॉकडाउन में जिला प्रशासन की ओर से विवाह आयोजन पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है । सिर्फ विवाह आयोजन हेतु शोर शराबा , गाजा-बाजा , लांस , मंगल कार्यालय आदि पर पाबंदी लगाई गई ।उसी प्रकार विवाह आयोजन में मेहमानों की उपस्थिति को भी मर्यादित 25 अथवा 50 की संख्या तक सीमित कर दिया गया है । अचलपुर के एसडीओ ,तहसीलदार की ओर से विवाह की बाकायदा लिखित अनुमति दी जा रही है । एक तरफ शासन युवा मन के सपनो की गृहस्थी बसाने को अनुमति दे रहा । युवा वर्ग भी कोरोना काल मे कम शक्कर में मीठी चाय की तर्ज पर इस अत्यंत कम खर्चीली शादी को सहर्ष स्वीकार कर रहा है । वही दूसरी ओर उपजिला अस्पताल विवाह का पंजीयन ना कर असंख्य युवाओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने पर तुला हुआ है ।

प्रस्तुत प्रतिनिधि ने अस्पताल अधीक्षक डॉ ढोले से मोबाइल पर सम्पर्क किया तो उन्होंने बताया कि मैने अभी -अभी कार्यभार संभाला है । पिछले आठ दस दिनों से मै अस्पताल की व्यवस्था को नियमित और अपडेट करने में लगा था । अब आपकी इस समस्या पर भी मै स्टडी करूंगा । उन्होंने कहा कि विवाह पंजीयन क्यो बंद रखा गया इसकी जांच -पड़ताल कर मैं आपको योग्य जानकारी दे पाऊंगा । डॉ ढोले ने यह भी कहा कि वो जल्द ही मैरिज रजिस्ट्रेशन शुरू करने के प्रयत्न भी करेंगे ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button