कांगे्रस के भाव चढे
नागपुर/दि.7- प्रदेश में गत 1 वर्ष दौरान दो प्रमुख प्रादेशिक दलों में पडी फूट के बाद आगामी लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे का गणित बदल गया है. पिछली बार महायुती में सर्वाधिक 162 सीटें लडनेवाली भाजपा को इस बार 140 स्थानों पर लडना पडेगा. जबकि महाआघाडी में राकांपा पवार तथा उबाठा शिवसेना को कांग्रेस की कडी सौदेबाजी का मुकाबला करना पड सकता है. कांग्रेस के लिए अधिक सीटें प्राप्त करने का अवसर जानकार मान रहे हैं.
चर्चा के अनुसार महायुती ने भाजपा और शिवसेना शिंदे गट ने लोसभा तथा विधानसभा चुनाव हेतु सीट वितरण पर चर्चा की थी. जिसमें भाजपा विधानसभा की 238 और शिंदे गट 50 सीटों पर चुनाव लडने की संभावना नेताओं ने व्यक्त की थी. किंतु अब राकांपा दो फाड हो गई है. अजीत पवार के नेतृत्व में विधायकों का बडा समूह महायुती की सत्ता में सहभागी होने से लोकसभा-विधानसभा चुनाव के सीट बंटवारे की बडी दिक्कत भाजपा की होने वाली है.
अजीत पवार ने विधानसभा की 90 सीटें महायुती में लडने की घोषणा कर दी है. ऐसे में शिंदे गट के 50, अजीत पवार गट के 90 तो भाजपा के हिस्से में 140 सीटें रहेगी. उसमें भी रिपा आठवले और छोटे दलों को उसे समाहित करना पडेगा.
जानकारों के मुताबिक लोकसभा चुनाव में विजय का गणित सही रखने भाजपा को अपना शत प्रतिशत भाजपा की घोषणा फिलहाल रोकनी पडेगी. 140 स्थानों पर विधानसभा लडने की स्थिति में भाजपा को निश्चित ही बहुमत का 145 मैजिक फिगर सहयोगी दलों को साथ लेकर प्राप्त करना होगा. तीनों दलों की महायुती विधानसभा तक कायम रही तो, यह गणित लागू रहेगा.
दूसरी तरफ कांग्रेस व राकांपा में पिछला विधानसभा चुनाव 2019 में मिलकर लडा था और दोनों के 144-144 प्रत्याशी थे. इस बार कांग्रेस का भाव बढ गया है. महाविकास आघाडी के दो घटक शिवसेना एवं राकांपा फूट गए हैं. जिससे कांग्रेस 100 से अधिक स्थानों पर लडने की तैयारी करनेवाली है. फलस्वरुप ठाकरे और पवार गट को कम स्थानों पर समाधान मानना पडेगा. अब राज्य में भाजपा और कांग्रेस यह राष्ट्रीय दल ही फूटे नहीं है. लोकसभा में कांग्रेस को अधिक सीटें मिली तो विधानसभा में उसकी सीटों की डिमांड बढ जाएगी, ऐसा माना जा रहा है.