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‘मौलाना आझाद’ महामंडल में घोटाला!

  •  कर्मचारी नियुक्ति में गैरव्यवहार की आशंका

  •  सात उम्मीदवारों की नियुक्ति प्रस्ताव पर प्रश्नचिन्ह

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 16 – मौलाना आझाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल में कंत्राटी कर्मचारियों को कायम रुप से नियमित सेवा में शामिल करने पर बडा गैर व्यवहार होने की चर्चा है. हाईकोर्ट ने इंकार करने पर भी महामंडल के व्यवस्थापकीय संचालकों ने यहां के 7 कंत्राटी कर्मचारियों को कायम नियुक्ति देने का प्रस्ताव अल्पसंख्यक विकास विभाग के उपसचिव को भेजा है. जिससे इस मामले में लपेटे गए अधिकारी और कर्मचारियों की विभागीय जांच कर ठोस कार्रवाई की मांग सामने आयी है.
महामंडल में कंत्राटी पध्दति से काम करने वाले मात्र नियमित सेवा में आने के लिए उत्सूक हुए कुछ कर्मचारियों ने व्यवस्थापकीय संचालकों से मिलीभगत कर यह प्रकार किया है. महामंडल में 2003 से 9 कंत्राटी कर्मचारी सेटींग कर भर्ती हुए थे. ज्वाईंन होने के बाद 2015 में सेवा नियमित कर लेने के लिए संबंधितों ने औद्योगिक न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. किंतु 2018 में फैसले में न्यायालय ने कर्मचारियों की अपील खारीज की. परिणाम स्वरुप 2019 में संबंधित कर्मचारी न्यायालय में गए, मात्र 15 दिनों में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने इन कर्मचारियों की जगह फिर कंत्राटी कर्मचारी न ले, इस तरह के आदेश देकर याचिका का निपटारा किया था. यह मुकदमा लडने के लिए सरकार ने अब तक 10 लाख से ज्यादा रकम खर्च की. महत्वपूर्ण यह कि 14 फरवरी 2019 में तत्काल व्यवस्थापकीय संचालक अनिस शेख ने इन सभी कर्मचारियों की सेवा खत्म करने के आदेश दिये थे. किंतु काम पर से हटाने की बजाय सरकार की अथवा महामंडल संचालक मंडल की मंजूर न लेते हुए संबंधितों को फिर काम पर लिया था. जिससे सेटिंग कर ज्वाईंन हुए कर्मचारियों के बदले महामंडल इतनी सहानुभूति क्यों दिखा रही? इस तरह का प्रश्न निर्माण हुआ है.
महामंडल में कंत्राटी पध्दति पर रहने वाले अविश मदन म्हात्रे को सीधे सहायक व्यवस्थापक पद पर नियमित सेवा में लेने का प्रस्ताव व्यवस्थापकीय संचालक ने 26 फरवरी 2021 को अल्पसंख्यक विकास विभाग के उपसचिव को भेजा. इस प्रस्ताव की प्रत विभाग के प्रमुख रहने वाले अपर मुख्य सचिव जयश्री मुखर्जी को मात्र नहीं भेजी. इस प्रस्ताव में अविश मदने के खिलाफ औद्योगिक न्यायालय व हाईकोर्ट व्दारा दिये आदेश की जानकारी छिपाई है. वहीं म्हात्रे पर मेहरबानी करने वाले व्यवस्थापकीय संचालकों ने तीन दिन की समयावधि के बाद 1 मार्च 2021 को बचे हुए 6 कर्मचारियों की सेवा भी नियमित करने संदर्भ के प्रस्ताव में मात्र संबंधित कर्मचारियों को दाखल याचिका का संदर्भ दिया है.जिससे म्हात्रे बाबत जानकारी छिपाने वाले और स्वतंत्र प्रस्ताव भेजने वाले व्यवस्थापकीय संचालक के खिलाफ आर्थिक व्यवहार, सरकार की दिशाभूल करने के मामले में विभागीय जांच की मांग हो रही है.

  • प्रामाणिक कर्मचारियों के प्रस्ताव में सेटींगबाजियों की घुसपेैठ

मौलाना आझाद अल्पसंख्यक आर्थिक विकास महामंडल ने 2011 मेें विज्ञापन देकर कर्मचारी भर्ती की थी. लिखित परीक्षा व इंटरव्यू का सामना करते हुए गुणवत्ता सूची व्दारा समूची प्रक्रिया पूर्ण करते हुए संबंधित कर्मचारी भर्ती निपटाई गई. कायम रुप से काम कंत्राटी पध्दति से कर लिये जाने से 30 कर्मचारियों ने 2013 में सेवा नियमित करने बाबत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाईकोर्ट ने भी 12 जुलाई 2019 को यह प्रक्रिया पूर्ण करते हुए भर्ती हुए संबंधित कंत्राटी कर्मचारियों की सेवा नियमित करने के आदेश दिये. सरकार ने 1 अगस्त 2019 को न्यायालय में प्रतिज्ञा पत्र पेश करते हुए यह फैसला मान्य किया. उसपर 4 सप्ताह में चयन समिति गठित कर आगामी 2 महिने मे निर्णय लेने के आदेश न्यायालय ने दिये. महामंडल ने 24 सितंबर 2019 में राजपत्र में सेवा प्रवेश नियम नियमित करने बाबत प्रकाशित किया. प्रतिज्ञापत्र में दी हुई जानकारी के अनुसार सरकार ने भर्ती प्रक्रिया पूर्ण नहीं की. इस कारण कर्मचारियों ने जनवरी 2020 में न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की.

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