मैकेनिकल व सिविल इंजिनियरिंग सुनसान
दोनों शाखाओं के 28 कॉलेजों में एक भी विद्यार्थी का प्रवेश नहीं
* किसी समय दोनों शाखाओं को माना जाता था ‘कोर ब्रांच’, प्रवेश के लिए होती थी कडी प्रतिस्पर्धा
मुंबई /दि.21- किसी जमाने में इंजिनियरिंग करने के इच्छूक विद्यार्थी चाहते थे कि, उनका प्रवेश किसी भी तरह से सिविल, मैकेनिकल अथवा इलेक्ट्रीकल जैसी ‘कोर ब्रांच’ में हो जाए. जिसमें से सिविल एवं मैकेनिकल इंजिनियरिंग में प्रवेश प्राप्त करने हेतु काफी कडी प्रतिस्पर्धा हुआ करती थी. लेकिन धीरे-धीरे चित्र और हालात बदल गए है. क्योंकि अब मैकेनिकल और सिविल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु विद्यार्थी नहीं मिल रहे. राज्य के 16 कॉलोजों में मैकेनिकल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम हेतु तथा 12 कॉलोजों में सिविल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम हेतु एक भी विद्यार्थी ने प्रवेश नहीं लिया है. मैकेनिकल के 54 फीसद तथा सिविल के 66 फीसद कॉलेजों में 50 फीसद से भी कम सीटों पर विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ है. जिसके चलते कई कॉलेजों पर इन दोनों पाठ्यक्रमों वाली शाखाओं को बंद करने की नौबत आन पडी है. सीईटी सेल के जरिए मिले आंकडों से यह जानकारी सामने आयी है.
बता दें कि, राज्य के 253 इंजिनियरिंग कॉलेजों में सिविल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम पढाया जाता है. जिसमें प्रवेश हेतु कुल 17 हजार 268 सीटें उपलब्ध है. इसमें से केवल 7 हजार 114 विद्यार्थियों ेने ही प्रवेश लिया है. जिसके चलते समूचे राज्य में सिविल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम की करीब 10 हजार 154 सीटें रिक्त है. विशेष उल्लेखनीय है कि, राज्य के 253 में से 167 कॉलेजों में सिविल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम में 50 फीसद से कम विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है. इसमें भी 56 कॉलेज ऐसे है जहां पर 5 अथवा 5 से भी कम विद्यार्थियों द्बारा प्रवेश लिया गया है.
इसके अलावा राज्य के कुल 295 कॉलेजों में मैकेनिकल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम पढाया जाता है. इस पाठ्यक्रम में प्रवेश हेतु 23 हजार 193 सीटें उपलब्ध है. जिसमें से 12 हजार 59 सीटों पर ही विद्यार्थियों का प्रेवश हुआ है और लगभग 11 हजार सीटें रिक्त पडी है. मैकेनिकल इंजिनियरिंग पाठ्यक्रम पढाने वाले कॉलेजों में से 160 कॉलेजों में 50 फीसद से कम विद्यार्थी प्रवेशित है. वहीं 74 कॉलेज ऐसे भी है, जहां पर 5 अथवा 5 से कम विद्यार्थियों द्बारा प्रवेश लिया गया है. इसके कुछ निजी संस्थाओं के नामांकित महाविद्यालयों का भी समावेश है. यद्यपि सभी सरकारी व निजी अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में उपरी तौर पर प्रवेश की स्थिति अच्छी दिखाई दे रही है. परंतु हकीकत यह है कि, सभी सरकारी व निजी अभियांत्रिकी महाविद्यालय में सिविल इंजिनियरिंग व मैकेनिकल इंजिनियरिंग की शाखाओं में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों का प्रमाण और रुझान घट गए है.
* एआई व रोबोटिक्स की ओर बढा रुझान
राज्य में इंजिनियरिंग शाखा में प्रवेश हेतु 1 लाख 58 हजार 585 सीटें है. जिसमें से करीब 40 हजार से अधिक सीटें रिक्त पडी हुई है. जिनमें मैकेनिकल, सिविल व ऑटो मोबाइल जैसी प्रमुख व पारंपारिक पाठ्यक्रम की सर्वाधिक सीटें रिक्त पडी हुई है. वहीं दूसरी ओर कम्यूटर इंजिनियरिंग व आईटी सहित आधुनिक दौर के आर्टिफिशियल इंटेलिजन्स, डाटा सायन्स व रोबोटीक्स जैसे पाठ्यक्रमों के विद्यार्थियों द्बारा अच्छा खासा पसंद किया जा रहा है. जिसकी वजह से इन विषयों का पाठ्यक्रम रहने वाले महाविद्यालय में प्रवेश हेतु विद्यार्थियों की कतार लग रही है. वहीं अब तक बेहद प्रतिष्ठापूर्ण माने जाते सिविल इंजिनियरिंग व मैकेनिकल इंजिनियरिंग के पाठ्यक्रम हेतु प्रवेश का प्रमाण काफी हद तक घट गया है.