मेलघाट का पर्यटन हुआ जानलेवा
पर्यटकों की व्याघ्र प्रकल्प की कार्यप्रणाली को लेकर निराशा
अमरावती/दि.16 देश के नौ व्याघ्र प्रकल्पो में से एक मेलघाट पर्यटकों को आकर्षित करनेवाला विदर्भ का एकमात्र पर्यटक स्थल माना जाता है. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प की तरफ से पर्यटकों को आकर्षित करने के लि विशेष कोई प्रयास न होते रहे तो भी वन्यजीव प्रेमी बडी संख्या में जंगल सफारी के लिए आते रहते है. लेकिन इन पर्यटकों को उचित सुविधा देने में वन्यजीव विभाग विफल साबीत हो रहा है.
पर्यटकों के लिए कोई भी विशेष सुविधा न रहने से मेलघाट में वन्यजीव विभाग द्वारा निश्चित किया गया शुल्क अदा करने के बाद भी पर्यटकों को कोई भी सुविधा मिलती न रहने से मेलघाट में घूमना जानलेवा होने से पर्यटक परेशान हो गए है. 1571.74 चौरस किलोमीटर तक फैले मेलघाट में पर्यटकों को आकर्षिथ करने वाले अनेक स्थल है. इसमें से चिखलदरा, नरनाला, सेमाडोह और कोलकास इन चार स्थलो पर बडी संख्या में पर्यटक आते है. इन पर्यटन स्थलो पर पहुंचने के लिए शुल्क रखा गया है. साथ ही यहां रहने की व्यवस्था के लिए अतिरिक्त शुल्क तथा पर्यटन के लिए भी शुल्क लिया जाता है. जंगल का लुफ्त उठाने के लिए पर्यटक भी यह शुल्क अदा करने की तैयारी रखते है. लेकिन पर्यटन की संपूर्ण व्यवस्था वन्यजीव विभाग द्वारा निजी व्यक्ति को सौंपे जाने से पर्यटकों को पर्यटन का आनंद मिल सकें, इस बाबत कोई शाश्वती नहीं है. निजी व्यक्ति के साथ जंगल सफारी करते समय कोई संकट आन पडा तो यह ठेका कर्मी यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है, ऐसा कहते हुए पर्यटकों को किसी भी तरह की सहायता न करते रहने से दोबारा मेलघाट न आना ही बेहतर इस तरह का दुर्भाग्यवश विचार अनेक पर्यटकों को करना पडता है.
मेलघाट में शनिवार और रविवार को पर्यटकों की भारी भीड रहती है. लेकिन शनिवार और रविवार अवकाश का दिन रहने से इश इलाके में कार्यरत जिम्मेदार अधिकारी अमरावती अथवा परतवाडा अपने घर निकल जाते है. इस कारण इस दिन पर्यटकों पर कोई संकट आन पडा तो उनके द्वारा शिकायत किसके पास करना यह बडा प्रश्न निर्माण होता है. मेलघाट में मोबाईल फोन की रेंज न रहने से जंगल कभी कोई संकट आ गया तो किसी से संपर्क भी किया जा सकता. ऐसी परिस्थिति में पर्यटकों को गंभीर दुविधा का सामना करना पडता है. घने जंगल में सफारी करने जाते समय पर्यटकों से 120 से 200 रुपए तक शुल्क लिया जाता है. इस मार्ग पर पर्यटकों के वाहन बंद पडने अथवा कोई संकट आने पर उनकी सहायता के लिए कोई भी सुविधा यहां उपलब्ध नहीं है.
जिप्सी बाबत अनेक शिकायत
मेलघाट के पर्यटन स्थल पर घूमने के लिए वन्यजीव विभाग द्वारा ठेका प्रणाली पर निजी व्यक्तियों की तरफ से खुली जिप्सी की व्यवस्था की गई है. काफी दयनीय अवस्था में रही यह जिप्सी चिखलदरा के पर्यटन स्थल के अलावा जंगल सफारी समेत नरनाला किला और नरनाला परिसर के अभयारण्य में पर्यटकों को घुमाने इस्तेमाल की जाती है. पूरे दिन में यह जिप्सी कभी भी बीच रास्ते में बंद हो जाती है. इस कारण पर्यटकों को काफी परेशानी का सामना करना पडता है. वाहनों की हालत काफी खराब रहने और उनकी कालावधि समाप्त होने के बावजूद उसे चलाया जा रहा है. लेकिन वन्यजीव विभाग का इस पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं दिखाई देता.
शिकायत की अनदेखी
अमरावती जिले के जैवविविधता समिति के सदस्य डॉ. श्रीकांत वर्हेकर अपने परिवार गत 5 नवंबर को मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के वैराट में जंगल सफारी के लिए गए तब इस सफारी में उनके साथ छोटे बच्चे, महिला और वरिष्ठो का समावेश था. सफारी के लिए 3500 रुपए में जिप्सी वाहन क्र. एम.एच.27-एच-404 और एम.एच.31-एजी-1914 ऐसे दो वाहन पंजीकृत किए गए. इसमें से एक जिप्सी पर वाहन चालक के साथ गाईड भी था. वाहन चालक ने अंधिगति से वाहन चलाते हुए मोड मार्ग पर वाहन नाली में घुसा दिया. इस दुर्घटना में डॉ. श्रीकांत वर्हेकर समेत उसके वृद्ध माता-पिता, पत्नी और बच्चे जख्मी हो गए. इस बाबत उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों के पास शिकायत की तब उन्हें कोई भी जवाब नहीं मिला. मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक के पास जब शिकायत की तो केवल जां करने का आश्वासन दिया गया. देश के शानदार इस पर्यटन स्थल पर अधिकारियों की इस तरह की उदासिन भूमिका पर्यटकों को परेशान करने जैसी है. मेलघाट की पर्यटन व्यवस्था बाबत शासन व प्रशासन द्वारा गंभारता से विचार करना चाहिए, ऐसी भावना डा. वर्हेकर ने व्यक्त की.
आरटीओ करेंगे जांच
मेलघाट के पर्यटन के लिए इस्तेमाल की जानेवाले सभी जिप्सी वाहनों की जांच आड़टीओ की तरफ से करने का निर्णय लिया गया है. जंगल सफारी के लिए पर्यटकों को ले जानेवाले इन वाहनों पर लाइसेंस के मुताबिक व्याघ्र प्रकल्प का वनविभाग का लोगो आवश्यक रहता है. वह परवाना वाहन के कांच पर लगा दिखाई नहीं देता. मेलघाट में 200 से अधिक ऐसे वाहन है जो पर्यटको सफारी कराते है. इन सभी वाहनों की अब जांच होनेवाली है.