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54 विधायकों की सदस्यता खतरे में

नार्वेकर का बड़ा बयान

मुंबई दि.13– विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना विधानमंडल दल में फूट का कोई लिखित आवेदन अब तक उनके सामने नहीं आया है. केवल 16 नहीं तो 54 विधायकों की सदस्यता के संदर्भ में याचिका पर निर्णय होना है. एक मीडिया समूह के आयडिया एक्सचेंज कार्यक्रम में नार्वेकर बोल रहे थे. उन्होंने बड़ी साफगोई से कहा कि उन पर कोई दबाव नहीं है. वे हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं करेंगे. जनता के विधानमंडल पर भरोसे को खंडित नहीं होने देंगे.
सर्वोच्च न्यायालय के राज्य के सत्ता संघर्ष पर निर्णय उपरांत नार्वेकर ने उक्त कार्यक्रम में भाग लेते हुए अदालत के अनेक निष्कर्ष से असहमति जताई. उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे फ्लोर टेस्ट भी करते तो बहुमत न होने से सरकार गिर जाती. फिर राज्यपाल के आदेश को गलत बताकर न्यायालय ने रद्द किया. फिर भी बहुमत न रहने पर मुख्यमंत्री को उसी पद पर नियुक्ति कैसे योग्य मानी जा सकती है? ऐसा प्रश्न नार्वेकर ने उठाया.
नार्वेकर ने कहा कि विधानमंडल नियमानुसार अध्यक्ष के अधिकार सदन तक सीमित थे. किन्तु कोर्ट ने अब उनके अधिकारों की कक्षा बढ़ा दी है. अब पार्टी व्हिप का निर्णय करते समय राजनीतिक दल, उसके संविधान, उसके प्रमुख और किसके पास बहुमत है, इस आधार पर व्हिप को मान्यता देनी पड़ेगी. उनके पास दोनों गट ने एक-दूसरे के खिलाफ कुल 54 याचिका प्रस्तुत की है. उचित समय पर निर्णय करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी को उनका पक्ष रखने का अवसर देना पड़ेगा. गवाही और पुनरजांच होगी. नैसर्गिक न्याय आधार पर और कानून के प्रावधानों का पालन किया जाएगा. इसके लिए सुनवाई हेतु कितना समय लगेगा,यह अभी नहीं बता सकते. शीघ्र से शीघ्र निर्णय करने का उनका प्रयत्न रहेगा. नार्वेकर ने स्पष्ट किया कि भरत गोगावले को व्हीप के रुप में मान्यता देते समय पार्टी, ्रप्रमुख ओर अन्य बातों की जांच का निर्देश कोर्ट ने दिया है. उस पर जितनी जल्दी हो सके, निर्णय किया जाएगा.

फिर न्यायालय जाएंगे- ठाकरे
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने कुछ गलत सलत किया तो पुनः सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे. ठाकरे ने कहा कि कोर्ट के निर्णय से दुनिया में बदनामी हो गई. इसलिए प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्री का त्यागपत्र लेना चाहिए.

 

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