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निर्माण मजदूरों की मध्यान्ह भोजन योजना हुई बंद

ठेकेदारों को 1 नवंबर से काम रोकने का आदेश

* योजना में बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की बात उजागर
* मजदूरों की बजाय ठेकेदार, आपूर्तिकर्ता व अधिकारियों ने मारा ‘ताव’
मुंबई/दि.27 – भवन निर्माण मजदूरों को 2 वक्त का भोजन देने के उद्देश्य से शुरु की गई मध्यान्ह भोजन योजना आगे चलकर भष्ट्राचार का जरिया बन गई. जिसे लेकर लगातार मिल रही शिकायतों और जांच में सही पाए गए तथ्यों को देखते हुए आखिरकार इस योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया है. जिसके चलते राज्य के कामगार विभाग ने संबंधित ठेकेदारों को 1 नवंबर से अपना काम रोक देने का आदेश दिया है.
बता दें कि, बेहद विवादास्पद साबित हुई इस योजना में विगत 4 वर्षों के दौरान बागेस कामगार दिखाते हुए ठेकेदारों ने हजारों करोड रुपयों की सरकारी निधि पर हाथ साफ कर दिया. ऐसी शिकायतें विगत कुछ समय से सामने आ रही थी. जिनमें कहा गया कि, विगत 1 वर्ष के दौरान ही इस योजना की आड लेते हुए ढाई से तीन हजार करोड रुपयों की निधि पर डल्ला मारा गया. यह मुद्दा विधानमंडल में उपस्थित होने के बाद राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया था. जिसके पश्चात अब इस योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया.
ज्ञात रहे कि, इमारत व निर्माण कामगार कल्याणकारी मंडल को उपकर के जरिए हजारों करोड रुपए की निधि मिलती है. इस निधि को मजदूरों के कल्याण हेतु खर्च किया जाना अपेक्षित होता है. इसी बात के मद्देनजर कामगारों को 2 वक्त का पोष्टिक भोजन देनेे हेतु योजना शुरु करने का निर्णय फरवरी 2019 में लिया गया है. जिसके तहत मजदूरों को नि:शुल्क व पौष्टिक भोजन के तौर पर चपाती, सब्जी, दाल, चावल, अचार, सलाद व गुड का समावेश रहने वाली थाली दिए जाने की योजना तैयार की गई थी. इसके लिए मुंबई, नवी मुंबई व औरंगाबाद विभाग हेतु मे. गुनिना कमर्शियल प्रा.लि., नाशिक व कोंकण विभाग हेतु मे. इंडो अलाइड प्रोटीन फुड्स प्रा.लि. तथा पुणे, अमरावती व नागपुर विभाग हेतु मे. पारसमल पगारिया एण्ड कंपनी को ठेका दिया गया था. पहले यह योजना केवल पंजीकृत कामगारों के लिए ही शुरु की गई थी. जिसे कोविड काल के दौरान गैर पंजीकृत व नाका कामगारों के लिए भी खुला कर दिया गया था. परंतु विकासक, कामगार ठेकेदार व मध्यान्ह भोजन आपूर्तिकर्ताओं ने कामगार विभाग के अधिकारियों के साथ मिलीभगत करते हुए इस निधि पर हाथ साफ कर दिया. ऐसा स्पष्ट हो गया है. जिसके चलते इस योजना में काम को रुकवाने का आदेश महाराष्ट्र इमारत व अन्य निर्माण कामगार कल्याणकारी मंडल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक कुंभार ने संबंधित ठेकेदारों को दिया है.

* जांच में भ्रष्टाचार हुआ उजागर
कई जिलों में कामगारों की संख्या कम रहने के बावजूद केवल कागजों पर कामगार दिखाकर करोडों रुपए के देयक का भुगतान उठाए जाने की जानकारी सामने आयी है. विधान मंडल को पावसकालीन सत्र में इसे लेकर आवाज उठने पर कामगार मंत्री सुरेश फाडे ने कामगार आयुक्त के जरिए जांच करवाने की घोषणा की और इस जांच में पता चला कि, योजना के अमल में वित्तीय व प्रशासकीय स्तर पर काफी अनियमितता हुई है. साथ ही इस योजना को लेकर अब भी कई शिकायतें सामने आ रही है. जिन्हें देखते हुए सरकार ने मध्यान्ह भोजन योजना को बंद करने का निर्णय लिया गया है.

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