गीता पढकर व तुकडोजी महाराज को जानकर मन को मिली शांति
विल हैरीस ने पत्रपरिषद में दी जानकारी
अमरावती /दि.31– पहली बार गीता पढते समय मुझे कृष्ण, अर्जुन, भिष्म, भीम जैसे कई चरित्रों व उनके रिश्तों के बारे में जानकारी मिली. आप दिन भर कितने भी परेशान हो या मानसिक तनाव में रहे. गीता पढने के बाद सारी बीमारियों का हल निकल जाता है. जब मैने गीता पढी, तब मन को बहुत ही ज्यादा शांति मिली. उसी तरह राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज को जानने के बाद उनके व्दारा फैलाये जा रहे शांति मार्ग का दर्शन हुआ. यहीं कारण है कि मैं और मेरे मित्र बार बार भारत में आकर तुकडोजी महाराज के पुण्यतिथी महोत्सव में शामिल होकर एक तरह की शांति का अनुभव करते है. इस तरह के वक्तव्य अमरिका के वाशिंगटन डी. सी. से आए विलियम हैरिस ने कहे.
स्थानीय होटल ग्रैंड महेफिल में मंगलवार की दोपहर आयोजित पत्रपरिषद के माध्यम से विदेश से आए विलियम हैरिस सहित 8 विदेशी नागरिकों ने पत्रकारों से साथ खुलकर चर्चा की व राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज व भारतीय संस्कृति सहित गीता व ग्रामगीता आदि के बारे में अपने मत रखे.
बता दें कि राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की पुण्यतिथी अवसर पर विगत कई वर्षों से अमरिका निवासी विलियम हैरिस अपने साथियों के साथ भारत दौरा करते है तथा अमरावती पहुंचते है. इस बार इस दौरे में उनके साथ कैंडिस व्हिटेकर (मेरीलैंड), सार्जिया ग्राजियानो (स्पेन), योराना बोस्टर (न्यू जर्सी), डैनियल मिलर (यूएसए), मिशेल फोरियर (कोलोरैडो), बेंजामिन शॉ (न्यू मेक्सिको), फ्रैंक लोविन (न्यूयार्क), सारा मोरेल (यूएसए), मिशेल डिलार्ड (लास वेगास) भारत पधारे है. वे आगामी 2 नवंबर को राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के पुण्यतिथी कार्यक्रम में शामिल होगे.
पत्रकारों से चर्चा करते समय विलियम हैरी ने बताया कि दुनिया में इतने सारे लोग है. मगर राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज के पास जो ज्ञान है, शायद ही किसी के पास हो. यहां आकर हमें मन को शांति मिलती है. मुझे कोई फर्क नहीं पडता कि मैं क्या पहनता हुं, क्या करता हुं, मगर जब मैं राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज की समाधिस्थल पर जाता हुं, तो वहां जैसा बोला जाता है, वैसा परिधान पहनकर कर चाहे तिलक लगाकर या सिर पर टोपी पहनकर कहा जाता है तो मैं जाता हुं. क्योंकि इंसान की पहचान उसके कपडों से कभी नहीं करनी चाहिए, उसके मन से करनी चाहिए. ऐसा विलियम हैरिस ने कहते हुए आगे बताया कि मैने ग्रामगीता को अंग्रेजी में ट्रांसलेट करने की अनुमती मांगी थी. मगर जिस तरह राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज ने अपने पुरे मन से ग्रामगीता लिखी है. वह हम नहीं लिख सकते. यह तो वैसा ही हो जाएगा कि शक्कर खाकर उसकी मिठास का अनुभव बताना, इसमें फर्क है.
* भारत प्रेम व इंसानियत का संदेश देने वाला देश
विलियम हैरिस के साथ आए विदेशी नागरिक डैनियल मिलर ने बताया कि भारत में मैं कई बार आया हुं, यहां प्रेम व इंसानियत का संदेश देने वाला देश है. भले ही हम कितने ही दुनिया के देश घुम चुके. वहां देश टेक्नोलॉजी में कितना भी आगे बढ गया हो. मगर भारत की संस्कृती से आगे नहीं बढ सकता है.
* अपनी मूल संस्कृती को न भुलाने का संदेश देता है भारत
मैरीलैंड से आयी कैंडिस व्हिटेकर ने बताया कि भारत एक ऐसा देश है, जो किसी भी देश में जाने के बाद अपनी संस्कृति को न भुलाने वाला देश है. यहां आकर लोग यहां की संस्कृती में ढल जाते है. यह बेहतरीन देश है.
* आम लोगों को मारना गलत
वर्तमान में चल रहे हमास व इजराईल युध्द के बारे में विलियम हैरिस ने कहा कि, दुनिया में अपने देश का प्यार व सरकार से प्यार यह दो अलग अलग चीजें है. हर कोई नहीं चाहता कि, किसकी सरकार बने या किसकी नहीं. नकारात्मक दृष्टी से ही इंसान बुरा हो जाता है. आज जो इजराईल व हमास के बीच युध्द छिडा है. उसमें आम जन व बच्चों को मारना बहुत गलत बात है. यह सब बंद होना चाहिए. दुनिया में शांति का संदेश फैलाना चाहिए.