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नाबालिग पर दुराचार का प्रयास करने वाले को पांच साल की सजा

जिला न्यायालय क्रमांक 2 के न्यायाधीश का फैसला

अमरावती प्रतिनिधि/दि.19 – स्थानीय जिला न्यायालय क्रमांक 2 के न्यायाधीश वी.एस.गायके ने नाबालिग पर दुराचार करने का प्रयास करने वाले आरोपी युवक अजय गाडगे को पांच साल की सख्त सजा व 3 हजार रुपए का दंड सुनाया है. दंड नहीं भरने पर एक माह की अतिरिक्त सख्त सजा भी सुनाई है.
घटना की हकीकत ऐसी है कि 10 दिसंबर 2017 की सुबह 10 बजे के करीब मंगरुल चव्हाला थाना क्षेत्र में आने वाले ग्राम पापड में रहने वाली पीडिता धरमदेव चौक से अपने बडे पिताजी के घर जा रही थी. इस समय पीडिता के पास उसकी चचेरी बहन भी थी. इस समय आरोपी अजय गाडगे गोठे के सामने खडा था. पीडिता वहां से गुजर रही थी तब आरोपी ने पीडिता के पास आकर उसके दोनों हाथ पकडकर उसे गोठे में ले जाने का प्रयास किया. जिससे पीडिता खबरा गई और उसने शोर मचाना शुरु किया तभी पीडिता की चचेरी बहन भागते हुए पीडिता के घर पहुंची. पीडिता की आवाज सुनते ही उसके बडे पिताजी और आसपास के लोग दौडकर आये. लोगों को देख आरोपी पीडिता को गोठे में छोडकर वहां से खेत की दिशा में भाग गया. उसके बाद पीडिता उसके बडे पिताजी के साथ घर पहुंची और कुछ समय बाद उसके चचेरे भाई ने पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करायी. पीडिता की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ धारा 354, 3 (1), डब्ल्यू और धारा 7, 8 पोस्को के तहत अपराध दर्ज किया गया. मामले की जांच पडताल करने के बाद मामला न्याय प्रविष्ठ किया गया. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से पांच गवाहों के बयान जांचे गए. इस मामले की जांच डॉ.अविनाश प्रल्हाद पालवे ने की. इस मामले में आरोपी के खिलाफ 354 अ (1), धारा 3, (1), (डब्ल्यू ) और धारा 7, 8 पोस्को अधिनियम अंतर्गत अपराध सिध्द होने पर न्यायालय क्रमांक 2 के न्यायाधीश वि.एस.गायकी ने आरोपी को धारा 354 अ (1) के तहत एक साल का सख्त कारावास व 1 हजार रुपए दंड का व दंड नहीं भरने पर एक माह की अतिरिक्त कारावास, धारा 7, 8 पोस्को अधिनियम के तहत पांच वर्ष का सख्त कारावास व 1 हजार रुपए दंड तथा दंड नहीं भरने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास व धारा 3, (1), (डब्ल्यू ) अंतर्गत एक साल का सश्रम कारावास व 1 हजार रुपए दंड, दंड नहीं भरने पर एक माह की अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले में सरकारी पक्ष की ओर से सहायक सरकारी वकील एड.दिलीप तिवारी ने पैरवी की. वहीं उनकों पैरवी अधिकारी के रुप में श्याम पिंजरकर ने सहयोग दिया.

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