अमरावतीमुख्य समाचार

अमरावती में धूमधाम से मनी दीवाली

न प्रदूषण का डर, न कोरोना का भय

नियमों का उल्लंघन कर हर ओर हुई जबर्दस्त आतिशबाजी

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१६ – विगत आठ माह से कोरोना संक्रमण खतरे के मद्देनजर सभी पर्व एवं त्यौहारों पर जबर्दस्त सन्नाटा छाया रहा, लेकिन अब कोरोना संक्रमण का खतरा काफी हद तक टल जाने की वजह से लोगों ने जहां एक ओर दशहरा पर्व के बाद बडे पैमाने पर अपने घरों से बाहर निकलकर दीपावली पर्व की खरीददारी की. वहीं गत रोज शहर सहित जिले में दीपावली का पर्व भी बडी धूमधाम से मनाया गया. जिसके तहत जहां एक ओर सभी घरों में नये-नवेले कपडे पहनकर लक-दक होते हुए पूरे हर्षोल्लास के साथ लक्ष्मीपूजन किया गया, वहीें दूसरी ओर लक्ष्मीपूजन के बाद पूरे जोशो-खरोश के साथ पटाखे जलाकर आतिशबाजी भी की गई.
बता दें कि, प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित रखने हेतु प्रशासन ने केवल रात 8 से 10 बजे तक ही आतिशबाजी करने की अनुमति दी थी. साथ ही सरकारी स्तर से भी पटाखामुक्त दीपावली मनाने का आवाहन किया गया था, लेकिन दीपावलीवाली रात इस आवाहन एवं दिशानिर्देश का कहीं पर भी पालन होता दिखाई नहीं दिया. शाम 7-8 बजे से शुरू हुआ आतिशबाजी का सिलसिला देर रात तक लगातार चलता रहा और पूरा समय किसी न किसी इलाके से पटाखों की गूंज सुनाई देती रही. वहीं इससे पहले शुक्रवार व शनिवार को शहर सहित जिले के तमाम व्यापारिक इलाकों में खरीददारी के लिए भारी भीडभाडवाली स्थिति देखी गयी. इसमें भी सोशल डिस्टंसिंग व मास्क संबंधी नियमों का बडे पैमाने पर उल्लंघन हुआ.
दीपावलीवाली रात समूचा शहर रोशनी से जगमगाया हुआ दिखाई दे रहा था. सभी घरों के सामने आकर्षक रंगोली सजाने के साथ ही दीप पंक्तियां भी सजायी गयी थी. साथ ही घरों की मुंडेर पर लटके आकाशदिये भी रोशनी बिखेर रहे थे. इसी उत्साहपूर्ण वातावरण के बीच शनिवार की रात लक्ष्मीपूजन का पर्व मनाया गया. लंबे समय बाद किसी पर्व पर लोगों में जमकर उत्साह दिखाई दिया. लक्ष्मीपूजन के बाद लोगों ने अपने घर-आंगन में जमकर आतिशबाजी भी की. आतिशबाजी का यह सिलसिला शनिवार की शाम 7 बजे से शुरू होकर रात 11-12 बजे तक चला. हालांकि इसके बावजूद प्रतिवर्ष की तुलना में इस वर्ष आतिशबाजी का प्रमाण काफी हद तक कम रहा और लोगों ने केवल परंपरा का निर्वहन करने शगुन के लिए पटाखे चलाये.

  • चहुंओर उत्साह, उमंग व उल्हास का वातावरण

ज्ञात रहे कि, कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए विगत 23 मार्च से समूचे देश में लॉकडाउन लगा दिया गया था, जो करीब ढाई माह तक चला. इस दौरान सभी लोगबाग अपने-अपने घरों में कैद होकर रहने के लिए मजबूर हो गये थे. वहीं अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद कोरोना प्रतिबंधात्मक दिशानिर्देशों का बेहद कडाई से पालन करवाया गया. जिसकी वजह से गणेशोत्सव व नवरात्रौत्सव जैसे पर्वों के साथ-साथ राखी, पोला व दशहरा जैसे पर्व भी पूरी तरह से सन्नाटे में बीते. इसके बाद सरकार एवं प्रशासन ने लॉकडाउन की शर्तों को कुछ अधिक शिथिल किया. जिसके चलते दशहरा पर्व के बाद दीपावली पर्व से संबंधित खरीददारी के लिए बाजार में भीड उमडनी शुरू हुई और यह सिलसिला रोजाना तेज होता गया. यहीं वजह रही कि, धनतेरस व दीपावलीवाले दिन बाजार में कहीं पर भी पांव रखने की भी जगह नहीं थी और हर ओर जबर्दस्त भीडभाडवाला आलम दिखाई दे रहा था. इसी तरह दीपावलीवाली शाम नयेनवेले कपडे पहनकर चहकते हुए लोगों में भी जबर्दस्त उत्साह देखा गया. यह लंबे समय पश्चात कोरोना संक्रमण के भय से मिली मुक्ति का असर कहा जा सकता है.

Related Articles

Back to top button