अमरावतीमुख्य समाचार

धूमधडाके के साथ मनी दीपावली

हर ओर रही शानदार जगमग

  • देर रात तक चलता रहा आतिशबाजी का दौर

  • नये-नवेले कपडे पहनकर इतराये लोग-बाग

  • विधि-विधान के साथ किया गया लक्ष्मीपूजन

अमरावती/दि.5 – गत रोज अमरावती शहर सहित जिले में दीपावली का पर्व बडे ही धूमधडाके के साथ मनाया गया. दीपोत्सव पर्व के चलते सभी घरों के सामने शाम ढलते ही आकर्षक दीप पंक्ती सज गई और बिजली के बल्बों की लडियों सहित आकाश दिये भी रौशन हो गये. जिसकी वजह से हर ओर अलौकिक जगमगाहट दिखाई देने लगी. इसके साथ ही गोधुली बेला बीतते-बीतते सभी घरों के सामने आकर्षक रंगोलियां सजने लगी और विधि-विधान के साथ लक्ष्मीपूजन का दौर शुरू हुआ. वहीं लक्ष्मीपूजन निपटते ही आतिषबाजी की धूम-धडाक शुरू हुई, जो देर रात तक चलती रही. इस आतिशबाजी के चलते जहां हर थोडी-थोडी देर में किसी न किसी इलाके से पटाखे के धमाकों की आवाज सुनाई देती रही, वहीं आसमान में जाकर फूटनेवाले पटाखों के चलते हर थोडी-थोडी देर में शहर के आसमान पर विभिन्न आकार-प्रकार की रंग-बिरंगी रोशनी छितराती रही. कुल मिलाकर करीब दो वर्ष बाद दीपावली पर्व पर एक बार फिर उत्साहपूर्ण वातावरण दिखाई दिया.
गत रोज सुबह से ही दीपावली एवं लक्ष्मीपूजन को लेकर जबर्दस्त उत्साह व चहल-पहल का माहौल रहा. जब दीपावली पर्व की तैयारियों हेतु शहर के बाजारों में दोपहर बाद तक खरीददारी व ग्राहकी का दौर चला. विशेष रूप से जहां कपडा प्रतिष्ठानों में अच्छीखासी भीडभाड रहीं, वहीं सडक किनारे लगी दूकानों में भी काफी भीड-भडक्का रहा. सर्वाधिक भीड आम के पत्तों, झेंडू के फूल, कमल के फुल व केले के पत्तों को खरीदने के लिए रही. इसके बाद लोगबाग अपने-अपने घरों व प्रतिष्ठानों पर आम के पत्तों व झेंडू के फूल के तोरण व बंदनवार सजाने में व्यस्त हो गये. साथ ही अपने-अपने दुपहिया व चार पहिया वाहनों को धोने व उनकी साफ-सफाई करने का भी दौर शुरू हुआ. शाम ढलते-ढलते दीपोत्सव पर्व को लेकर तैयारियां और उत्साह अपने चरम पर रहे. पश्चात हर कोई नये-नवेले कपडे पहनकर दीपोत्सव पर्व मनाने के लिए तैयार हुआ. साथ ही महिलाएं व युवतियां नये वस्त्रों के साथ-साथ आभूषणों व अलंकारों से लख-दख होकर लक्ष्मीपूजन करने हेतु तत्पर दिखाई दिये. सर्वाधिक उत्साह नये कपडों में सजे-धजे बाल-गोपालों में दिखाई दिया, जो फुलझडी व ‘चिटूर-मिटूर’ पटाखों के साथ दीपावली और आतिशबाजी का आनंद लेने में व्यस्त हो गये. इसके बाद सभी घरों व प्रतिष्ठानों में पूरे विधि-विधान के साथ लक्ष्मीपूजन का दौर शुरू हुआ. जिसमें सभी लोगों ने पूरे भक्तिभाव के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी का आवाहन करने के साथ-साथ सूख-समृध्दि व कल्याण की मंगलकामना की. इसके बाद हर ओर आतिशबाजी का दौर शुरू हुआ और धूम-धडाम की आवाजें गूंजने के साथ ही आतिशबाजी की रोशनी चमकनी शुरू हो गई. इस बाद जमीन पर फूटनेवाले पटाखों के साथ-साथ आसमान में जाकर फूटनेवाले पटाखे जमकर चलाये गये. साथ ही अनार व चक्री जैसे बिना आवाजवाले पटाखों का भी जमकर प्रयोग हुआ.

Back to top button