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शहर में 200 से अधिक ओपन डंपिंग स्पेस

100 से भी कम हैं कंटेनर

  • पांच वर्ष में कंटेनरों की संख्या घटी

  • अधिकांश कंटेनर कचरे व पानी से सडे

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२७ – करीब पांच वर्ष पूर्व तत्कालीन महापौर रीना नंदा के कार्यकाल दौरान अमरावती शहर के विभिन्न रिहायशी व व्यवसायिक इलाकों से निकलनेवाले कचरे को संकलित करने के लिए बडे पैमाने पर कचरा कंटेनर उपलब्ध कराये गये थे. किंतु विगत पांच वर्षों के दौरान खुले में पडे रहनेवाले और हमेशा ही गीले व सूखे कचरे से भरे रहनेवाले अधिकांश कंटेनर गंदगी व पानी के संपर्क में लगातार रहने के चलते सडकर खराब हो गये है और इस समय बमुश्किल 100 के आसपास कचरा कंटेनर उपलब्ध है. जिन्हें अलग-अलग प्रभागों में कचरा संकलन हेतु रखा जाता है. साथ ही कंटेनरों की कमी रहने के चलते शहर में 200 से अधिक स्थानों पर ओपन ग्राउंड डंपिंग स्पेस बनाये गये है. जहां पर दैनंदिन सफाई ठेकेदारों द्वारा अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत निकलनेवाले कचरे को लाकर फेंका जाता है और कचरा ठेकेदार द्वारा इन स्थानों से कभी रोजाना व कभी एक-दो दिन के आड में कचरे को उठाकर कंपोस्ट डिपो पर ले जाकर फेंका जाता है. यह जानकारी दैनिक अमरावती मंडल द्वारा अपने स्तर पर की गई पडताल में सामने आयी है.
बता दें कि, विगत एक सप्ताह से दैनिक अमरावती मंडल द्वारा शहर में व्याप्त कचरे और गंदगी के साथ ही साफ-सफाई की व्यवस्था के अभाव को लेकर व्यापक जनहित में खबरें प्रकाशित की जा रही है. इसके तहत हमने सबसे पहले आधे से अधिक शहर का जमीनी मुआयना करने के साथ ही अमरावती शहर का कचरे से भरा सूरते-हाल स्थानीय प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के सामने रखा था. साथ ही शहर की साफ-सफाई का जिम्मा किस तरह से ठेकेदारों पर सौंपा गया है और ठेकेदारों द्वारा अधिकारियों के साथ मिलीभगत करते हुए किस तरह लापरवाह पूर्ण ढंग से साफ-सफाई संबंधीत काम किये जा रहे है, इसका भी सच सबसे सामने रखा गया था. यहीं वजह रही कि, विगत शनिवार को स्थानीय विधायक सुलभा खोडके ने आनन-फानन में मनपा आयुक्त सहित मनपा के स्वच्छता विभाग अधिकारियों के साथ एक बैठक की और शहर की साफ-सफाई को लेकर आवश्यक दिशानिर्देश भी जारी किये. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि, दैनिक अमरावती मंडल द्वारा साफ-सफाई की अव्यवस्था के खिलाफ तथा कचरे व गंदगी की समस्या को लेकर समाचारों की श्रृंखला प्रकाशित किये जाते ही स्थानीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन हडबडाकर नींद से जागे. जिसके बाद साफ-सफाई संंबंधी काम को कुछ हद तक चुस्त-दुरूस्त करने का काम शुरू किया गया है.
लेकिन सबसे बडी समस्या यह है कि, मनपा प्रशासन के पास पहले की तरह बहुतायत में कचरा कंटेनर नहीं है और कचरा संकलन के लिए शहर में करीब 200 से 250 स्थानों पर ओपन ग्राउंड डंपिंग स्पेस तय किये गये है. यानी इन 200 से 250 स्थानों पर दैनंदिन सफाई ठेकेदारों द्वारा खुले में लाकर कचरा फेंका जाता है. जिसे कचरा ठेकेदार द्वारा अपने ट्रकों में भरकर कंपोस्ट डिपो तक पहुंचाया जाता है, लेकिन खुले में लाकर डाला जानेवाला यह कचरा भी काफी समस्याओं को पैदा कर रहा है. अव्वल तो यह कचरा हवा चलने पर इधर से उधर उडकर बिखर जाता है. साथ ही खुले में पडे रहने की वजह से बारिश होने की स्थिति में गंदा पानी सीधे जमीन में रिसता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, मनपा द्वारा जल्द से जल्द कंटेनर खरीदी पर ध्यान दिया जाये.

  • कम मनुष्यबल भी एक बडी समस्या

एक अनुमान के तौर पर हजार लोगों की जनसंख्या के लिए कम से कम दो सफाई कर्मियों का रहना जरूरी है. हालांकि यह कर्मचारी संख्या भी अपर्याप्त और अत्यल्प कही जा सकती है. किंतु यदि इसी अनुपात को ग्राह्य माना जाये, तो 8 लाख की जनसंख्यावाले अमरावती महानगर में साफ-सफाई की व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखने के लिए करीब 15 से 16 हजार सफाई कर्मचारियों की फौज का रहना आवश्यक है. लेकिन इस समय 22 सफाई ठेकेदारों द्वारा काम पर लगाये गये और मनपा द्वारा नियुक्त किये गये कर्मचारियों की संख्या कुल जमा 2200 से 2300 के आसपास है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, जनसंख्या के लिहाज से अमरावती शहर में महज 10-12 फीसद ही सफाई कर्मचारी है. साथ ही अमरावती महानगर का लगातार विस्तार हो रहा है और जनसंख्या भी बढ रही है. जिसकी वजह से कचरे के प्रमाण और साफ-सफाई संबंधी कामों का दायरा लगातार बढ रहा है.

  • हर व्यक्ति रोजाना 250 ग्राम कचरा उत्पन्न करता है

इस संदर्भ में किये गये एक अध्ययन के मुताबिक हर व्यक्ति रोजाना करीब 250 ग्राम कचरा उत्पन्न करता है. यदि इसे 8 लाख की जनसंख्या के अनुपात में जोडा जाये, तो यह रोजाना करीब 2 लाख किलो यानी 2 हजार क्विंटल मतलब 200 टन के आसपास पहुंचता है. पाया गया है कि, कई नागरिकों द्वारा अपने मकान अथवा दुकान से निकलनेवाले कचरे को बडी बेतरतीबी के साथ सडकों अथवा सर्विस गली के आसपास ले जाकर फेंक दिया जाता है और यहीं कचरा नालियों में जाकर फंस जाता है. जिसकी वजह से नालियों का प्रवाह भी अवरूध्द होता है और बारिश के दिनों में जगह-जगह जलजमाववाली स्थिति बन जाती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, कचरे के निस्सारण को लेकर सबसे पहली जिम्मेदारी खुद महानगर परिसर में रहनेवाले नागरिकों की है. इस बात पर दैनिक अमरावती मंडल द्वारा इस समाचार श्रृंखला के तहत पहले दिन से जोर दिया जा रहा है.

  • आगामी फरवरी माह में होगा ठेकेदारों के रिनिवल पर विचार

बता दें कि, अमरावती महानगरपालिका द्वारा वर्ष 2019 में तीन वर्षों के लिए कचरे का ठेका दिया गया था. साथ ही यह व्यवस्था भी की गई है कि, तीन वर्ष की कालावधि खत्म होने पर इस दौरान सभी ठेकेदारों द्वारा किये गये कामों का मूल्यांकन किया जायेगा और जिन ठेकेदारों का कामकाज समाधानकारक रहेगा, उन्हें अगले एक वर्ष तथा फिर अगले एक वर्ष ऐसे दो वर्ष के लिए ठेके की समयावृध्दि दी जायेगी. यानी आगामी फरवरी व मार्च माह के आसपास सभी ठेकेदारों के ठेेके की अवधि खत्म हो जायेगी और मनपा का स्वच्छता विभाग स्थायी समिती के साथ मिलकर ठेकेदारों के कामों की समीक्षा करने के साथ-साथ उनके ठेके को समयावृध्दि दिये जाने के प्रस्ताव पर भी विचार करेगा.

  • समय-समय पर होती रही है दंडात्मक कार्रवाई

स्वच्छता विभाग के विश्वसनीय सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ठेकेदार की ओर से नियुक्त सफाई कर्मचारियों द्वारा किये जानेवाले कामों पर बीट प्यून द्वारा नजर रखी जाती है, जो सैनेटरी इंस्पेक्टर यानी स्वच्छता निरीक्षक को अपनी रिपोर्ट पेश करता है तथा इन कामों की झोन स्तर पर वरिष्ठ स्वच्छता निरीक्षक व झोन के सहायक आयुक्त द्वारा समीक्षा की जाती है और इसकी रिपोर्ट स्वच्छता अधिकारी व मनपा आयुक्त को सौंपी जाती है. इस काम में कहीं पर भी कोई गडबडी या कोताही पाये जाने पर संबंधित ठेकेदार के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की जाती है. जिसके तहत 10 हजार से लेकर 50 हजार रूपये का आर्थिक दंड लगाते हुए यह रकम उनके भूगतान से काट ली जाती है. इसके साथ ही इससे पहले राजापेठ एवं गाडगेनगर प्रभाग के ठेकेदार को मनपा प्रशासन द्वारा ब्लैक लिस्टेड भी करने की प्रक्रिया शुरू कि गई थी. किंतु इसी बीच कोविड संक्रमण काल शुरू हो जाने के चलते काम के लगातार बढते बोझ को देखते हुए दोनों ठेकेदारों पर केवल पेनॉल्टी लगाने की कार्रवाई करते हुए उन्हें कंटीन्यू किया गया. यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, सफाई ठेकेदारों के कचरा संकलित करनेवाले वाहनों के साथ-साथ कचरा ठेकेदार के कचरा उठाकर कंपोस्ट डिपो पहुंचानेवाले वाहन जीपीएस सिस्टीम से लैस रहना अनिवार्य है, ताकि इन वाहनों द्वारा लगायी जानेवाली फेरियों पर प्रशासन की पूरी नजर रहे.

  • नालियों पर अवैध निर्माण भी एक समस्या

यहां इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती कि, शहर में हर व्यक्ति को अपने घर अथवा दूकान के ठीक सामने तक सीमेंट की सडक और पेविंग ब्लॉक तो चाहिए, लेकिन कोई भी अपनी प्रॉपर्टी के आसपास नाली नहीं बनने देना चाहता और यदि नाली बनायी भी जाती है, तो उस पर अवैध रूप से रपटे बनाकर उसे उपर से बंद कर दिया जाता है. ऐसे में नालियों की साफ-सफाई और उसमें अटके कचरे को निकालना भी अपने आप में एक समस्या होती है. इसी तरह शहर में कई रिहायशी इलाके ऐसे भी है, जहां पर कंटेनर रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है और साथ ही कंटेनर उठानेवाले ट्रकों की आवाजाही और उन्हें मोडने के लिए पर्याप्त रूप से चौडी सडकें नहीं है, इस वजह से भी कई रिहायशी परिसरों के बाहर ओपन स्पेस डंपिंग ग्राउंड बनाये गये है. ऐसा करते समय स्वास्थ्य निरीक्षकों द्वारा किये गये सर्वे को ध्यान में रखा गया है.

  • हम भी अपनी जिम्मेदारी समझें, तो सुधर सकते है हालात

कहावत हैं कि अकेला चना भाड नहीं फोड सकता और ताली एक हाथ से नहीं बजती. ये दोनों ही कहावतें अमरावती शहर में व्याप्त कचरे व गंदगी की समस्या तथा साफ-सफाई की अव्यवस्था पर भी लागू होती है. यहा इस तथ्य की अनदेखी नहीं की जा सकती कि, नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बननेवाला कचरा खुद नागरिकों के घरों से ही निकलता है. अत: सबसे पहली जिम्मेदारी आम नागरिकों की भी बनती है कि वे कचरे के निस्सारण में प्रशासन के सहयोगी बने. वहीं साफ-सफाई और कचरे के निकासी का काम कोई एक अकेला व्यक्ति नहीं कर सकता है. बल्कि यह अपने आप में एक टीम वर्क की तरह होता है. ऐसे में नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, प्रशासन, ठेकेदारों व सफाई कर्मियों को आपसी समन्वय व तालमेल के साथ काम करते हुए इस समस्या से पार पाना होगा.

  • अपनी शिकायतें और तकलीफें हमें बताये

दैनिक अमरावती मंडल द्वारा व्यापक जनहित में विगत एक सप्ताह से शहर में व्याप्त कचरे व गंदगी के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है. जिसे सभी शहरवासियों द्वारा खासा प्रतिसाद दिया जा रहा है और कई शहरवासियों ने इस अभियान की सराहना भी की और हमें अपनी समस्याओं व तकलीफों से भी अवगत कराया. ऐसे में हम सभी से आवाहन करते है कि, यदि आपके रिहायशी परिसर में भी साफ-सफाई की व्यवस्था का अभाव है और कचरे व गंदगी की समस्या है, तो उसकी जानकारी हमें अवगत कराये. आप अपने रिहायशी क्षेत्र का नाम और परिसर में व्याप्त गंदगी के फोटो हमें हमारी ई-मेल आयडी पर मेल कर सकते है. जिन्हें प्रकाशित करते हुए हम आपकी समस्या को प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के सामने रखेंगे.
हमारा ई-मेल आयडी है [email protected]

  • किस प्रभाग की सफाई का ठेका कितने रूपये में किसके पास

प्रभाग              ठेकेदार ठेका                                                        रकम
प्र.क्र. 1     शेगांव-रहाटगांव साई सुशिक्षित बेरोजगार नाग. से. सह. सं.   7,85,000
प्र. क्र. 2    पीडीएमसी विजय बालकिसन गंगन                                   9,13,313
प्र. क्र. 3    नवसारी संजय रामराव हिरपूरकर                                     8,47,000
प्र. क्र. 4    जमील कालोनी सुशिक्षित बेरोजगार सागर नाग. से. सह. सं.  9,00,000
प्र. क्र. 5    महेंद्र कालोनी श्याम बबनराव शिनगारे                               9,03,183
प्र. क्र. 6    विलास नगर-मोरबाग ईश्वर मेहतर नाग. से. सह. सं.            9,24,703
प्र. क्र. 7   जवाहर स्टेडियम गोविंदा सफाई काम नाग. से. सह. सं.         8,90,000
प्र. क्र. 8   जोग स्टेडियम मैत्री सुशिक्षित बेरो. नाग. से. सह. सं.             8,69,777

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