आधे से अधिक बुजुर्गों का अपने परिजनों से संवाद नहीं
पारिवारिक प्रताडना से तंग आकर खुद बुजुर्गों ने की बोलचाल बंद
मुंबई/दि.16– अपने परिजनों द्वारा किये जानेवाले अत्याचार से तंग आकर 47 फीसद बुजुर्गों ने अपने परिजनों से बातचीत करना ही बंद कर दिया है. यह सनसनीखेज हकीकत ‘हेल्प एज इंडिया’ की रिपोर्ट से सामने आयी है. कल बुधवार 15 जून को ‘विश्व वृध्द अत्याचार जागरूकता दिवस’ के उपलक्ष्य में देशभर के 22 शहरों में हेल्प एज संस्था द्वारा किये गये ‘ब्रिज द गैप : अंडरस्टैडिंग एल्डर निडस्’ सर्वेक्षण के जरिये यह तथ्य सामने आया है. विशेष उल्लेखनीय है कि, यह सर्वेक्षण शहरी क्षेत्र में किया गया.
बता दें कि, देश में इस समय बुजुर्ग नागरिकों की संख्या 13 करोड 80 लाख के आसपास है, जो कुल जनसंख्या की तुलना में करीब 10 प्रतिशत है. कोविड संक्रमण काल के बाद बुजुर्गों के स्वास्थ्य, आय, रोजगार, सामाजिक स्थिति तथा डिजीटल समावेशन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रोें में काफी बडे पैमाने पर फर्क आया है. जिसे ध्यान में रखते हुए ‘हेल्प एज इंडिया’ द्वारा कोविड संक्रमण काल का बुजुर्गों पर हुए परिणामों का अपने सर्वे के तहत अध्ययन किया गया.
‘हेल्प एज इंडिया’ ने देश के 22 शहरों में रहनेवाले 4,399 बुजुर्ग नागरिकों तथा बुजुर्गों के 2,200 युवा देखरेखकर्ताओं से संवाद साधकर यह रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें पता चला है कि, देश के 59 फीसद बुजुर्गों को समाज में अपने साथ अन्याय व प्रताडना होने की बात महसूस होती है. वहीं 10 फीसद बुजुर्गों ने खुद किसी न किसी तरह से प्रताडना का शिकार होने की बात कही है. जिसमें 36 फीसद बुजुर्गों ने अपनी रिश्तेदारों, 35 फीसद बुजुर्गों ने अपने बेटे तथा 21 फीसद बुजुर्गों ने अपनी बहु द्वारा प्रताडित किये जाने की बात कही. जिसमें अनादर करना, शाब्दिक गाली-गलौज, अनदेखी, आर्थिक शोषण, मारपीट जैसे विभिन्न तरीकोेंवाले अत्याचारों का शिकार रहने की बात इन बुजुर्गों द्वारा कही गई है. ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर 45 फीसद बुजुर्गों ने अपने परिजनों से बातचीत करना ही बंद कर दिया है. अपने परिवार से बातचीत करना बंद कर चुके बुजुर्गों में अकेले मुंबई के ही 33 फीसद बुजुर्गों का समावेश है. ऐसा भी इस सर्वेक्षण के जरिये पता चला है.
* 40 फीसद बुजुर्ग करना चाहते हैं नौकरी
इस सर्वेक्षण के अनुसार 71 फीसद बुजुर्ग कोई काम नहीं करते, वहीं 40 फीसद बुजुर्ग नागरिक अपने लिए संभव होने तक काम करने की इच्छा रखते है, ताकि आय के साधन का अभाव न रहे. बढती महंगाई की वजह से आय कम न हो और अकेलेपन को दूर करने के लिए कोई न कोई काम में व्यस्त रहा जा सके. इस सर्वेक्षण में शामिल 82 फीसद बुजुर्ग नागरिक अपने परिवार के साथ ही रहते है. जिसमें से 79 फीसद बुजुर्गों को लगता है कि, उनके परिजनों द्वारा उन्हें पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा. ऐसे में परिवार के साथ रहने के बावजूद ही उन्हें अकेलापन महसूस होता है. साथ ही वे चाहते है कि, परिवार के युवा सदस्य उनकी ओर थोडा ध्यान दिया जाये.