मां से गर्भस्थ शिशु को भी हो सकता है कोरोना
6 प्रतिशत बच्चों में पैदाईशी संक्रमण
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मौत का खतरा चारगुना अधिक
अमरावती/प्रतिनिधि दि.19 – अब तक यह माना जाता था कि, किसी भी बीमारी के संक्रमण में रहनेवाली गर्भवती महिला से उसके गर्भस्थ शिशु तक किसी भी तरह का संक्रमण नहीं पहुंच सकता है, क्योंकि मां और बच्चे को आपस में जोडनेवाला ‘प्लॅसेंटा’ किसी भी तरह के संक्रमण को रोकने हेतु एक मजबूत सुरक्षा दीवार के रूप में काम करता है. किंतु कोरोना ने इस अवधारणा व मान्यता को पूरी तरह से पलटकर रख दिया है, क्योंकि कोविड संक्रमित गर्भवती महिला की वजह से उसके गर्भस्थ शिशु तक भी कोविड वायरस का संक्रमण पहुंचता है. यह बात भारतीय संशोधकों द्वारा किये गये अध्ययन से सामने आयी है. पता चला है कि, कोविड संक्रमण के गंभीर लक्षण रहनेवाली महिलाओं द्वारा जन्म दिये गये छह प्रतिशत बच्चे पैदाईशी कोविड संक्रमित पाये गये है.
पता चला है कि, कोविड संक्रमण की पहली लहर आने के बाद इसका गर्भवती महिलाओं पर पडनेवाले प्रभाव का अप्रैल 2020 से ही अध्ययन करना शुरू कर दिया था. जिसके तहत राज्य के 18 मेडिकल कॉलेजो सहित नायर हॉस्पिटल, ऐसे कुल 19 सेंटरों में संक्रमित गर्भवती महिलाएं भरती हुई. वहीं दूसरी लहर आने के बाद जुलाई 2021 तक 6 हजार 500 गर्भवती महिलाओं को इन अस्पतालों में कोविड संक्रमित रहने के चलते भरती कराया गया. इन सभी पर और उनके द्वारा जन्म दिये गये बच्चों पर कोविड संक्रमण की वजह से हुए विविध तरह के प्रभावोें का अध्ययन किया गया. जिसमें देखा गया कि, गर्भवती महिला में रहनेवाले संक्रमण का उसके गर्भस्थ बच्चे पर कोई असर होता है अथवा नहीं. जिसके तहत अप्रैल 2020 से जुलाई 2021 के दौरान 524 बच्चों का परीक्षण व अध्ययन किया गया. जिसमें से 6 फीसद बच्चों में पैदाईशी कोविड संक्रमण के लक्षण पाये गये. इसमें से अधिकांश बच्चे गंभीर लक्षण रहनेवाली माताओं से पैदा हुए थे. वहीं इन 524 में से 13 बच्चों की मौत हो गई थी. जिसमें से 9 फीसद बच्चे कोविड संक्रमित थे. सबसे चिंताजनक बात यह है कि, यह अध्ययन करनेवाले स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मां और बच्चे को आपस में जोडनेवाले प्लॅसेंटा यानी गर्भनाल में भी कोविड वायरस का संक्रमण पाया. ऐसे में प्लॅसेंटा के जरिये भी बच्चे तक कोविड संक्रमण अपनी पहुंच बना सकता है. साथ ही गर्भधारणा होने के बाद अर्लीस्टेज यानी प्लॅसेंटा मजबूत होने से पहले गर्भस्थ शिशु तक कोविड संक्रमण पहुंचने की संभावना काफी अधिक होती है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च अंतर्गत राष्ट्रीय प्रजनन स्वास्थ्य संशोधन संस्था एनआयआरआरएच तथा नायर हॉस्पिटल मुंबई द्वारा जर्नल ऑफ ट्रॉपिकल पेडीयाट्रिक्स में प्रकाशित संशोधन के जरिये यह निष्कर्ष सामने आया है. बता दें कि, एनआयआरआरएच की पूर्व संचालिका डॉ. स्मिता महाले के आयसीएमआर-एनआयआरआरएच (मुंबई), महाराष्ट्र वैद्यकीय शिक्षा व औषधी द्रव्य विभाग, टोपीवाला नैशनल मेडिकल कॉलेज तथा नायर अस्पताल, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में प्रेग कोविड रजिस्ट्री की स्थापना अप्रैल 2020 में हुई थी. जिसके प्रमुख संशोधक राहुल गजभिये हैं तथा डॉ. राकेश वाघमारे 18 सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं डॉ. नीरज महाजन नायर अस्पताल मुंबई की स्टडी साईटस् के प्रमुख संशोधक हैं. इन सभी के साथ नायर अस्पताल में डॉ. सुषमा मलिक व डॉ. सुचित्रा सुर्वे की टीम ने नवजात बच्चों पर कोविड संक्रमण के होनेवाले परिणाम का अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है.