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मां का शव पांच दिन पडा रहा शवागार में, बेटा नहीं आया शव लेने

कोविड महामारी में अपने भी हुए पराये...

  •  मनपा द्वारा अपने स्तर पर कराया गया शव का अंतिम संस्कार

  •  प्रशासन द्वारा परिवार से कई बार किया गया था संपर्क

  •  परिवार ने खुद को कोरोंटाईन बताकर जिम्मेदारी से झाडा पल्ला

  •  शहर में अपनी तरह की पहली घटना, खून के रिश्ते हुए दागदार

अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – जारी कोविड संक्रमण काल में जहां एक ओर हर कोई अपनी स्वास्थ्य और जान को लेकर फिक्रमंद होने के साथ ही काफी डरा हुआ है. वहीं कभी-कभी इस फिक्र और डर की वजह से कुछ ऐसी घटनाएं व कहानियां सामने आती है. जिन्हें हमारे सामाजिक व पारिवारिक रिश्तों के ताने-बाने के लिए खतरनाक कहा जा सकता है. इन दिनों संक्रमण को लेकर डर का इतना अधिक आलम है कि, लोगबाग अपने अपनों व करीबियों का अंतिम संस्कार करने से भी कतरा रहे है. ऐसा ही एक मामला अमरावती में भी सामने आया है, जब शहर के सुपर कोविड अस्पताल में भरती महिला की मौत हो गयी. जिसके बाद उसके शव को करीब पांच दिनों तक जिला सामान्य अस्पताल के शवागार में रखना पडा, क्योंकि इस महिला के बेटे, बहु व बेटी ने उसका अंतिम संस्कार करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई, बल्कि खुद कोरोंटाईन रहने की वजह आगे करते हुए अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड लिया. पश्चात पांच दिन बाद मनपा प्रशासन द्वारा इस महिला के शव का अपने स्तर पर अंतिम संस्कार किया गया. इस घटना को एक तरह से पारिवारिक रिश्तों पर कलंक के रूप में देखा जा सकता है.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक शहर के रविनगर परिसर में रहनेवाली एक महिला की कोविड टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटीव आने के बाद उसे शहर के सुपर कोविड अस्पताल में इलाज हेतु भरती कराया गया था. जहां पर 22 अप्रैल को इस महिला की इलाज के दौरान मौत हो गयी. जिसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन द्वारा महिला के परिवार को दी गई. इस महिला के परिवार में बेटा, बहु, पोता-पोती व एक तलाकशुदा बेटी है. किंतु परिवार की ओर से जवाब मिला कि, चूंकि वे सभी इस समय होम कोरोेंटाईन में है. ऐसे में वे अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सकते. ऐसे में प्रशासन द्वारा इस महिला के शव को जिला शवागार में रखते हुए परिवार से जुडे अन्य लोगों से भी संपर्क किया गया. किंतु अगले पांच दिनों तक कहीं से भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. पता चला है कि इस महिला की मौत होने के पांच दिन बाद उसका एक रिश्तेदार अस्पताल में उसके स्वास्थ्य की खबर लेने पहुंचा, तब उसे पता चला कि, इस महिला की मौत पांच दिन पहले ही हो चुकी है और फिलहाल उसका शव जिला शवागार में रखा हुआ है. इस व्यक्ति ने महिला के शव को अपने कब्जे में लेने और अंतिम संस्कार करवाने की तैयारी दर्शायी. पश्चात मनपा प्रशासन ने उस व्यक्ति के नाम शव की कस्टडी सौंपते हुए अंतिम संस्कार की व्यवस्था की और मनपा की स्वच्छता अधिकारी डॉ. सीमा नेताम ने इस महिला के शव के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को पूर्ण करवाया. बताया गया है कि, अंतिम संस्कार के समय मृतक महिला का बेटा भी श्मशान भूमि पहुंचा था.
भरापूरा परिवार रहने के बावजूद एक महिला का शव पांच दिनों तक जिला शवागार में केवल इसीलिए पडा रहा, क्योेंकि उस महिला की मौत कोविड संक्रमण की वजह से हुई थी और कोरोना के भय की वजह से उस महिला के परिवार का कोई भी व्यक्ति पांच दिनों तक बार-बार सूचित करने के बावजूद आगे नहीं आया. यदि पांचवे दिन भी एक रिश्तेदार सामने नहीं आता, तो मनपा प्रशासन द्वारा इस महिला के शव को लावारिस मानकर उसका अंतिम संस्कार करवाना पडता, यह भी तय था. तब यह स्थिति और भी अधिक शर्मनाक हो जाती.

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