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सांसद व विधायक कर रहे मेलघाट का पिकनीक दौरा

बस में बैठकर मुख्यमंत्री पर टीका करना केवल स्टंटबाजी

  • पत्रकार परिषद में प्रविण हरमकर ने लगाया आरोप

अमरावती प्रतिनिधि/दि.12- जिले की सांसद एवं उनके विधायक पति इस समय मेलघाट के आदिवासी इलाकों का दौरा कर केवल स्टंटबाजी करते हुए मुख्यमंत्री पर टिपण्णियां कर रहे है. यह कतई उचित नहीं है. जिसका शिवसेना की शहर एवं जिला शाखा की ओर से कडा निषेध किया जाता है. इस आशय का प्रतिपादन शिवसेना के महानगर प्रमुख प्रवीण हरमकर ने किया.
यहां बुलायी गयी पत्रकार परिषद में प्रविण हरमकर ने कहा कि, जिले की समस्याओं का निराकरण करने और उन समस्याओं को संसद के पटल पर उठाने के लिए जनता अपना सांसद चुनती है, लेकिन बीते डेढ से दो वर्षों से अमरावती के सांसद और उनके विधायक पति ने कोई भी ठोस काम नहीं किया है, क्योंकि उन दोनों को काम करने का जरा भी अनुभव नहीं है. वे विगत दस वर्षों से विधायक है और इस दौरान उन्होंने कितनी समस्याओं का निराकरण किया है. इसे लेकर कोई चर्चा नहीं की जा रही है. बल्कि अपनी विफलताओं को दूसरे पर मढने का काम किया जा रहा है. मेलघाट की समस्याएं जस की तस है. इन समस्याओं को दूर करने की बजाय केवल नौटंकियां करने में दोनों जनप्रतिनिधि व्यस्त हैं. महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कराया जाए, ऐसी मांग करने वाले जनप्रतिनिधि का हम निषेध जता रहे है. सांसद व विधायक ने लोगों को गुमराह करना उन्होंने बंद करना चाहिए. इनकी नौटंकियों से जनता उब चुकी है. गत रोज सांसद व विधायक ने मेलघाट क्षेत्र का दौरा किया है. यह दौरा उनका पूरी तरह से पिकनीक दौरा है. चलती बस में स्टंटबाजी की गई. जो पूरी तरह से अपराध है. संबंधित जनप्रतिनिधियों ने फेसबुक पर परतवाडा से धारणी तक का सफर किये जाने की पोस्ट शेयर की है. जबकि यह सरासर गलत है. उन्होंने हरिसाल से चित्री तक सफर किया है. स्थानीय जनप्रतिनिधि केवल मुख्यमंत्री पर टीका-टिप्पणी करते नजर आ रहे है.
इस पत्रकार परिषद में शिवसेना के राहुल माटोडे, पंजाबराव तायडे, प्रकाश मंजलवार, मोहन क्षिरसागर, पप्पु मुनोत, सुनिल राउत, रामा सोलंके, श्याम देशमुख, पार्षद ललित झंजाल, पार्षद जयश्री कुर्‍हेकर, आशिष धर्माले, वसंत गौरखेडे सहित अन्य शिवसैनिक मौजूद थे.

  • पत्रवार्ता किसकी, हरमकर की या शिवसेना की?

यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, शिवसेना के महानगर प्रमुख प्रवीण हरमकर के नेतृत्व में ली गयी इस पत्रकार परिषद में उपस्थित मीडिया कर्मियों को एक साधे कागज पर मात्र 10 लाईन का पत्र थमाया गया. जिसके नीचे किसी के हस्ताक्षर भी नहीं है. जबकि यह पत्र शिवसेना की महानगर शाखा के लेटरपैड पर होना चाहिए था, क्योेंकि सांसद व विधायक का निषेध शिवसेना की शहर व जिला शाखा की ओर से किया जा रहा है. साथ ही इस पत्र के नीचे पत्रवार्ता में उपस्थित सभी पदाधिकारियों के नाम व हस्ताक्षर भी होने चाहिए. लेकिन इस पत्रवार्ता में उपस्थित करीब 20 मीडिया कर्मियों में से एक का भी ध्यान इस बात की ओर नहीं गया. सर्वाधिक उल्लेखनीय बात यह है कि, इस पत्र एवं पूरी पत्रवार्ता में एक बार भी सांसद और विधायक का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया गया. ऐसे में यह साफ नहीं हो पाया कि, पत्रवार्ता शिवसेना की ओर से बुलायी गयी थी या शिवसेना के नाम पर खुद प्रवीण हरमकर ने अपने ही मन से यह पत्रवार्ता बुलायी. इस संदर्भ में प्रवीण हरमकर से संपर्क किये जाने पर उन्होंने शिवसेना के लेटरपैड पर दूसरा पत्र जारी करने की बात कही, लेकिन समाचार लिखे जाने तक वह अधिकृत पत्र मिलना बाकी था.

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