आज शाम हो सकती है चांद मुबारक की शहादत
-
कल से शुरू होगा रमजान का मुबारक महिना
-
मुस्लिम समाज बंधुओं को बेसब्री से माहे रमजान की आमद का इंतजार
-
रोजा रखने के साथ ही इबादत और दुआओं का दौर होगा शुरू
अमरावती/प्रतिनिधि दि. 13 – इस्लाम में पवित्र रमजान माह का सबसे अधिक महत्व होता है, जिसे बेहद बरकतों व नेमतोंवाला महिना माना जाता है और इस रमजान माह की आमद का इंतजार इस्लाम मजहब के मानने वालों को पूरे सालभर बडी बेसब्री से रहता है. रमजान माह में रोजा रखना और नमाज पढ़ना मुस्लिम समुदाय के लिए जरूरी माना गया है. हर साल मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखते हैं और रमजान के त्योहार को मनाते हैं. ये समय उनके लिए बेहद खास होता है. दरअसल, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सन् 2 हिजरी में अल्लाह के हुक्म से मुसलमानों पर रोजे रखना जरूरी किया गया. इसी महीने में शब-ए-कदर में अल्लाह ने कुरान जैसी नेमत दी और तभी से इस समुदाय के लोग रमजान के पाक महीने में रोजे रखते हुए आ रहे हैं. बता दें कि, इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार रमजान का यह महीना नौवां महीना माना जाता है. इस बार आज 13 अप्रैल की शाम रमजान का पवित्र महीना चांद के दिखने के बाद माहे रमजान आरंभ होगा, जिसके बाद मुस्लिम समाज बंधूओं द्वारा करीब एक महीने तक रोजा रखते हुए इस पूरे एक महीना में खुदा की इबादत की जायेगी और माहे रमजान के आखिरी दिन ईद का त्योहार मनाया जायेगा. जो संभवत: अगले माह 13 या 14 अप्रैल को पडेगी.
इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए मुस्लिम धर्मगुरू व अमन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष हाफिज नाजीमोद्दीन अंसारी ने बताया कि, रोजे रखने के पीछे ये मकसद है कि लोगों में इबादत का शौक पैदा हो और उनका अल्लाह पर यकीन बना रहे. साथ ही इस दौरान सभी तरह के गलत कामों से तौबा की जाती है. यही नहीं, लोगों से हमदर्दी रखना, लोगों को नेकी का काम करने को लेकर प्रेरित करना आदि का संदेश भी माहे रमजान के जरिये दिया जाता है. उन्होंने बताया कि, इस्लामिक नियम के आधार पर रोजे और इबादत का यह महीना तीन अशरों में विभाजित किया गया है जिनका अपना-अपना महत्व है.
-
रमजान से जुड़ी प्रमुख परंपराएं
– सहरी – रमजान के दिनों में दिन निकलने से पहले बेहद तडके जब भोजन किया जाता है, तो उसे सहरी कहते हैं. सेहरी करने को सुन्नत कहते है.
-इफ्तार – दिनभर रोजा रखने के बाद शाम के समय जब सूरज डूब जाता है, तब रोजा खोला जाता है इसे इफ्तार कहा जाता है
– शब-ए-कद्र – रमजान के महीने में शब-ए-कद्र मनाई जाती है. इस दिन मुस्लिम समाज बंधु रात भर जागकर इबादत करते हैं.
– तराबीह – यूं तो मुस्लिम समाज बंधुओं को पूरे साल पांच वक्त की नमाज अदा करनी होती है रमजान के पाक महीने में पांचों वक्त की नमाज के अलावा तराबीह की नमाज भी अदा की जाती है और देर रात तक दुआओं का सिलसिला भी चलता है.
– ऐहतेकाफ – माहे रमजान के दौरान कई मुस्लिम समाज बंधू खुद को निश्चित वक्त के लिए पूरा समय अल्लाह की इबाबत के लिए समर्पित कर देते है. इस दौरान वे अपना घरबार और कामकाज छोडकर तथा बाहरी दुनिया से पूरी तरह से नाता तोडकर मस्जिद में रहते है. इसे ऐहतेकाफ कहा जाता है. ऐहतेकाफ की अवधि 30 दिन, 10 दिन अथवा 3 दिन की हो सकती है.
-
रमजान के महीने में तीन अशरे
– पहला अशरा – रमजान का पहला अशरा रहमत का होता है. इस महीने के पहले 10 दिन में रोजा रखने वालों पर अल्लाह की रहमत होती है. इस्लामिक धर्म के अनुसार इन दिनों में अधिक से अधिक दान करना चाहिए और जरूरतमंद, गरीब लोगों की मदद करनी चाहिए. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार इन दिनों में सभी के साथ प्यार से रहना चाहिए.
-दूसरा अशरा – रमजान का दूसरा अशरा माफी का होता है. दूसरा अशरा 11वें रोजे से 20वें रोजे तक चलता है. इस्लामिक धर्म के अनुसार इन दिनों में इबादत कर, अल्लाह से किए गए गुनाओं की माफी मांगी जाती है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार दूसरे अशरे के दौरान जो भी व्यक्ति अपने गुनाहों के लिए मांफी मांगता है, उसे अल्लाह माफ करते हैं.
– तीसरा अशरा – रमजान का तीसरा यानी अंतिम अशरा जहन्नम की आग से खुद को बचाने के लिए होता है. ये अशरा सबसे महत्वपूर्ण भी माना जाता है। 21वें रोजे से शुरू होकर 30वें रोजे तक ये अशरा चलता है. इस्लामिक धर्म के अनुसार तीसरे और अंतिम अशरे के दौरान अल्लाह से जहन्नम से बचने के लिए दुआ की जाती है.
तारीख – सहरी का समय -इफ्तार का समय
14 अप्रैल – सुबह 4:13 बजे – शाम 6:21 बजे
15 अप्रैल – सुबह 4:12 बजे – शाम 6:21 बजे
16 अप्रैल – सुबह 4:11 बजे – शाम 6:22 बजे
17 अप्रैल – सुबह 4:10 बजे – शाम 6:22 बजे
18 अप्रैल – सुबह 4:09 बजे – शाम 6:23 बजे
19 अप्रैल – सुबह 4:07 बजे – शाम 6:23 बजे
20 अप्रैल – सुबह 4:06 बजे – शाम 6:24 बजे
21 अप्रैल – सुबह 4:05 बजे – शाम 6:24 बजे
22 अप्रैल – सुबह 4:04 बजे – शाम 6:25 बजे
23 अप्रैल – सुबह 4:03 बजे – शाम 6:25 बजे
24 अप्रैल – सुबह 4:02 बजे – शाम 6:26 बजे
25 अप्रैल – सुबह 4:01 बजे – शाम 6:26 बजे
26 अप्रैल – सुबह 4:00 बजे – शाम 6:27 बजे
27 अप्रैल – सुबह 3:59 बजे – शाम 6:28 बजे
28 अप्रैल – सुबह 3:58 बजे – शाम 6:28 बजे
29 अप्रैल – सुबह 3:57 बजे – शाम 6:29 बजे
30 अप्रैल – सुबह 3:56 बजे – शाम 6:29 बजे
01 मई – सुबह 3:55 बजे – शाम 6:30 बजे
02 मई – सुबह 3:54 बजे – शाम 6:30 बजे
03 मई – सुबह 3:53 बजे – शाम 6:31 बजे
04 मई – सुबह 3:52 बजे – शाम 6:31 बजे
05 मई – सुबह 3:51 बजे – शाम 6:32 बजे
06 मई – सुबह 3:50 बजे – शाम 6.32 बजे
07 मई – सुबह 3:49 बजे – शाम 6:33 बजे
08 मई – सुबह 3:48 बजे – शाम 6:34 बजे
09 मई – सुबह 3:47 बजे – शाम 6:34 बजे
10 मई – सुबह 3:46 बजे – शाम 6:35 बजे
11 मई – सुबह 3:45 बजे – शाम 6:35 बजे
12 मई – सुबह 3:44 बजे – शाम 6:36 बजे
13 मई – सुबह 3 : 44 बजे – शाम 6:36 बजे
-
रोजे में किसे छूट?
वैसे तो रमजान के पाक महीने में बड़े लोगों के साथ बच्चे भी बढ़-चढ़कर रोजे रखते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें रोजे में छूट होती है. जैसे- अगर कोई व्यक्ति बीमार है तो इस वजह से उसे रोजे में छूट मिल जाती है. (डॉक्टर की सलाह से आपको कदम उठाना चाहिए.), कोई सफर पर हो, बच्चे को दूध पिलाने वाली मां को, गर्भवती महिलाओं को और जो काफी ज्यादा बुजुर्ग होते हैं उन्हें भी रोजे में छूट होती है.