अमरावतीमुख्य समाचार

मेरी लडाई शिक्षकों के हक में, जीत सुनिश्चित

  • विमाशि संघ प्रत्याशी प्रकाश कालबांडे का कथन

  • शिक्षकों को हर समस्या से मुक्त करना पहली प्राथमिकता

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 18 – पहले के समय में शिक्षकों के अधिकारों हेतु लडने वाले केवल 2 ही संगठन हुआ करते थे. जिसमें से विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ तो आजादी पूर्व काल से ही संभाग के शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने वाला सबसे सशक्त संगठन है. जिसने कई बार विधान परिषद में शिक्षकों का प्रतिनिधित्व भी किया है. लेकिन कालांतर में प्राईवेट लिमिटेड कंपनी की तरह कई नये शिक्षक संगठन बन गये. जिनके संचालकों का शिक्षकों की समस्याओं से कम और अपनी खुदकी भलाई पर अधिक ध्यान है. यही वजह है कि, दिनों-दिन शिक्षकों की समस्याएं लगातार विकराल होती जा रही है और समाज को दिशा देने वाले शिक्षक इस समय खुद काफी हद तक दिग्भ्रमित व दिशाहिन है. ऐसे में शिक्षकों को समस्या मुक्त करने के लिए नये शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव लड रहा है. जिसके लिए विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुझे अपना प्रत्याशी बनाया है. इस आशय का प्रतिपादन विमाशि संघ की ओर से शिक्षक विधायक पद का चुनाव लड रहे प्रकाश कालबांडे ने किया.
अपनी दावेदारी के संदर्भ में दै. अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए प्रकाश कालबांडे ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही कहा कि, जब तक यह चुनाव शिक्षक संगठनों के बीच हुआ करता था और कोई शिक्षक ही इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधि चुना जाता था तब तक संभाग में शिक्षकों की कोई खास समस्या नहीं हुआ करती थी, क्योंकि सभी मसलों को समय पर ही हल कर लिया जाता था. लेकिन जब से इस चुनाव में राजनीति से वास्ता रखने वाले लोगों का प्रवेश हुआ है. तब से शिक्षक एवं शिक्षकों की समस्याएं हासिये पर चले गये है तथा राजनीति हावी हो गई है. जिसकी वजह से शिक्षकों की जो मूलभूत समस्या है उनकी ओर किसी का ध्यान ही नहीं है और इसका खामियाजा कुछ शिक्षकों को भुगतना पड रहा है.
इस साक्षात्कार में प्रकाश कालबांडे ने कहा कि, इस समय शिक्षकों के वेतन, पेंशन व अनुदान से संबंधित अनेकों समस्याएं प्रलंबित पडी है. साथ ही ज्ञानदान का काम करने वाले शिक्षकों को कई अशैक्षणिक काम भी करने पडते है. लेकिन कोई भी इसे लेकर आवाज उठाने हेतु तैयार नहीं है. ऐसे मेें यह बेहद जरुरी है कि, शिक्षकों की समस्याओं को हल करने के लिए कुछ शिक्षकों के बीच से ही कोई प्रतिनिधि विधान परिषद में शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करें, तभी इन समस्याओं को गंभीरता पूर्वक हल किया जा सकेगा. इस बार संभाग के शिक्षक भली-भांति समझ चुके है. यहीं वजह है कि, इस बार विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ प्रत्याशी के रुप में उन्हें संभाग के शिक्षकों का जबर्दस्त प्रतिसाद मिल रहा है.
विमाशि संघ के डी.यू. डायगव्हाणे के वर्ष 1992 से 2010 तक के तीन कार्यकाल का उल्लेख करते हुए प्रकाश कालबांडे ने कहा कि, उस समय नागपुर व अमरावती संभाग सहित समूचे राज्य के शिक्षकों की समस्याओं को तुरंत हल करने के लिए प्रभावी रुप से कदम उठाये जाते थे. किंतु कालांतर में जैसे ही इस निर्वाचन क्षेत्र में राजनीतिक लोगो का प्रभुत्व बढा, वैसे ही शिक्षकों के लिए स्थितियां एकदम से बदल गई. यह बात अब शिक्षकों के समझ में आ गई है और सभी शिक्षक यह चाहते है कि, उनका प्रतिनिधित्व उनके बीच से ही कोई व्यक्ति करें. अपने खुद के राजनीतिक व सहकार क्षेत्र में कार्यरत रहने के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर प्रकाश कालबांडे ने कहा कि, वे सबसे पहले पेशे से शिक्षक है और उन्होंने शिक्षक, मुख्याध्यापक, प्राध्यापक व प्राचार्य सहित सिनेट सदस्य जैसे पदों पर काम किया है. शिक्षक कर्मचारी होने के नाते ही वे जिला बैंक के संचालक मंडल में निर्वाचित होकर पदाधिकारी बने और उन्होंने अपने ग्रामीण क्षेत्र के विकास हेतु मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखते हुए जिला परिषद सदस्य के तौर पर काम किया. साथ ही अब वे अपने साथी शिक्षक बंधूओं की समस्याओ को हल करने के लिए काम करना चाहते है तथा उन्हें पूरा विश्वास है कि, इस बार संभाग के शिक्षक डायगव्हाणे के दौर को याद रखते हुए विमाशि संघ प्रत्याशी को ही अपना प्रतिनिधि चुनेंगे.
इस चुनाव में मौजूदा शिक्षक विधायक प्रा. श्रीकांत देशपांडे को शिवसेना ने अपना प्रत्याशी बनाया है और उन्हें महाविकास आघाडी का समर्थन भी प्राप्त है, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है. चूंकि आप लंबे समय से कांग्रेस पार्टी से जुडे हुए है, ऐसे समय आपको कांग्रेस का समर्थन कैसे प्राप्त होगा, इस सवाल पर प्रकाश कालबांडे का कहना रहा कि, किसी भी प्रत्याशी को समर्थन देने का फैसला पार्टी के वरिष्ठ स्तर से लिया जाता है. लेकिन उस पर अमल का फैसला स्थानिय स्तर के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के हाथ में होता है और उन्हें स्थानिय स्तर के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने पूरा साथ और सहयोग मिल रहा है. इस सवाल के जवाब में प्रकाश कालबांडे ने दोबारा जोर देकर कहा कि, इस चुनाव में राजनीति विशेष मायने नहीं रखती और इस चुनाव का दलगत राजनीति से कोई खास लेना-देना भी नहीं रहता. बल्कि यहा पर शिक्षकों से संबंधित मसले और मद्दे ही सबसे प्रमुख होते है.
इस चुनाव में आपकी मुख्य प्रतिस्पर्धा किस प्रत्याशी से है. यह सवाल पूछे जाने पर विमाशि संघ के प्रत्याशी प्रकाश कालबांडे ने कहा कि, वे किसी को भी अपना प्रतिस्पर्धा या प्रतिद्बंदी मानकर नहीं चल रहे. बल्कि केवल अपने काम पर फोकस कर रहे है और अपनी दावेदारी पर पूरी ताकत के साथ शिक्षकों के बीच रख रहे है. संभाग के मौजूदा शिक्षक विधायक प्रा. श्रीकांत देशपांडे के कार्यकाल को लेकर पूछे गये सवाल पर प्रकाश कालबांडे का कहना रहा कि, इस बात का मूल्यांकन संभाग के शिक्षकों द्बारा किया जाना चाहिए कि 6 साल पहले शिक्षकों की जो समस्याएं थी. आज उसमें से कितनी समस्याएं हल हुई है और कितने मसले प्रलंबित है. वहीं इस चुनावी रेस में सशक्त उम्मीदवार माने जा रहे भाजपा प्रत्याशी प्रा. नितिन धांडे के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर प्रकाश कालबांडे ने कहा कि, कोई भी चुनाव लडने का लोकतांत्रिक अधिकार हर व्यक्ति को है. लेकिन अब संभाग के शिक्षकों की यह भावना है कि, विधान परिषद की इस सीट पर कोई शिक्षक ही उनका प्रतिनिधित्व करें.
इस चुनाव में अपनी जीत को पूरी तरह से सुनिश्चित बताते हुए प्रकाश कालबांडे ने कहा कि, उनकी लडाई पूरी तरह से संभाग सहित समूचे राज्य के शिक्षकों के लिए है. क्योंकि शिक्षक विधायक पद पर निर्वाचित होने वाला व्यक्ति केवल अपने संभाग के ही नहीं बल्कि समूचे राज्य के शिक्षकों के हित में काम करता है और वह सरकार के साथ मिलकर जो नीतियां बनवाता है वह समूचे राज्य के शिक्षकों पर लागू होती है. ऐसे में शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र का चुनाव राज्य के लाखों शिक्षकों के जीवन से जुडा चुनाव है. इस बात को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों द्बारा बेहद गंभीरतापूर्वक विचार-विमश कर अपने मताधिकार का प्रयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि, इन दिनों जिस तरह से शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव में राजनीतिक दलों सहित प्रा.लि. कंपनी की तरह काम करने वाले छोटे-मोटे संगठनों की घुसपैठ बढ गई है, उसे दूर करते हुए यह चुनाव विशुद्ध रुप से शिक्षकों हेतु और शिक्षकों का चुनाव होना चाहिए. तभी इस पद की पवित्रता व गरीमा बनी रह सकती है. साथ ही इस जरिए शिक्षकों को समाज में एक बार फिर मान सम्मान व प्रतिष्ठा का सम्मान हासिल हो सकता है.

Related Articles

Back to top button