मेरी पत्नी को मिले शहीद का दर्जा
-
उज्वल निकम करे सरकार की ओर से पैरवी
-
पूरे मामले की न्यायीक जांच होने तक शांत नहीं बैठुंगा
-
वन अधिकारी दीपाली चव्हाण के पति राजेश मोहिते ने कहा
अमरावती/प्रतिनिधि दि.26 – मेलघाट के गुगामल वन्यजीव विभाग चिखलदरा अंतर्गत आने वाले हरिसाल की वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण को शहीद का दर्जा देने की मांग उसके पति राजेश मोहिते ने की है. मोहिते ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले की न्यायीक जांच होनी चाहिए और इस मामले में न्यायालय ने सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील उज्वल निकम ही पैरवी करें, इस तरह की मांग वे सरकार से करेेंगे और मांग पूर्ण होने तक चैन से नहीं बैठेंगे, ऐसा राजेश मोहिते ने ‘दै.अमरावती मंडल’ से बातचीत में की है. आज दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के तीसरे दिन राजेश मोहिते ने कहा कि उनकी पत्नी दीपाली चव्हाण ने अपनी ड्युटी के दौरान मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प अंतर्गत आने वाले अनेकों गांवों का पुनर्वसन किया. मांगीया गांव का पुनर्वसन शिरगांव कसबा के पास किया गया. तब पुनर्वसित लोगों को सरकार की ओर से मिलने वाले 10-10 लाख रुपए से लेकर तो उन्हें गाडियां दिलवाने का काम उन्होंने प्राथमिकता से किया. इसी कारण मांगिया गांव के साथ ही वाघोली, मालुर आदि पुनर्वसित गांव के लोग दीपाली चव्हाण के चहेते थे.
राजेश मोहिते के अनुसार वन विभाग में महिला अधिकारियों पर होने वाले अत्याचार का उनकी पत्नी दीपाली शिकार हुई है. उन्हें उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार ने जितने ‘शो-कॉज’ नोटीस दिये है उसकी जांच होनी चाहिए और यह जांच न्यायालयीन यानी निवृत्त न्यायीक अधिकारी व्दारा कराने की मांग वे सरकार से करेंगे. यहां तक की इस मामले में न्यायालय में सरकार का पक्ष रखने के लिए विशेष सरकारी वकील उज्वल निकम को नियुक्त करने की मांग भी प्रशासन से की जाएगी. राजेश मोहिते के अनुसार दीपाली की आत्महत्या के लिए जितने उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार जिम्मेदार है, उतने ही पीसीसीएफ श्रीनिवास रेड्डी भी जिम्मेदार है. क्योंकि दीपाली के साथ जो कुछ भी अत्याचार किये जा रहे थे, इसकी समूची जानकारी श्रीनिवास रेड्डी को थी. मोहिते के अनुसार दीपाली चव्हाण को अकारण मानसिक रुप से परेशान किया जा रहा था. दीपाली ने आत्महत्या से पहले लिखित चिठ्ठी में भले ही रेड्डी के बारे में सम्मानजनक शब्द लिखे होंगे, लेकिन उसी पत्र में दीपाली ने यह भी लिखा है कि समय आने पर आप अधिकारी का ही पक्ष लेंगे और दीपाली की आत्महत्या के मामले में वहीं हुआ. अगर श्रीनिवास रेड्डी इस मामले की समय पर दखल लेते तो आज दीपाली आत्महत्या ही नहीं करती. राजेश मोहिते ने ‘मंडल’ से बातचित में यह भी कहा कि रेड्डी साहब के आदेश पर ही गुगामल में दीपाली ने 10 लाख रुपए की जाली खरीदी की. यह आदेश उन्होंने मौखिक रुप से दिये थे, लेकिन जब उसकी रकम अदा करने का समय आया तो रेड्डी स्पष्ट रुप से कहते थे कि किसके आदेश पर जाली खरीदी. यानी शासकीय साहित्य खरीदी के आदेश मौखिक देते थे, लेकिन वर्क आर्डर के समय दीपाली को यह अधिकारी मानसिक रुप से प्रताडित भी करते थे. इसी कारण मैं दीपाली की आत्महत्या के मामले की न्यायीक जांच करने की मांग कर रहा हूं. राजेश मोहिते के अनुसार आज दीपाली की मृत्यु के तीसरे दिन का विधि दोपहर 12 बजे कौंडण्यपुर में निपटाया गया. वहीं से वे ‘मंडल’ से बातचित कर रहे थे. मोहिते ने कहा कि आज का यह विधि निपट चुका है और अब घर जाने के बाद दीपाली की मृत्यु के बारे में शासकीय स्तर पर जो पत्रव्यवहार करने है, वह करुंगा और दीपाली को न्याय मिलने तक लढते रहुंगा.