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नागपुर अग्निशमन की टीम ने किया डफरीन का दौरा

थर्ड पार्टी इनवेस्टिगेशन के तहत शुरू की मामले की जांच

* सीएस की अध्यक्षतावाली समिती ने वेंटिलेटर में बताया था फॉल्ट
* शॉर्ट सर्किट को लेकर डफरीन प्रशासन को दी गई थी क्लिनचिट
अमरावती/दि.27- विगत रविवार 25 सितंबर की सुबह करीब 9 बजे के आसपास स्थानीय जिला स्त्री अस्पताल यानी डफरीन अस्पताल के एसएनसीयू कक्ष में लगे वेंटिलेटर में शॉटसर्किट की वजह से आग लग जाने की घटना घटित हुई थी. उस समय वक्त रहते इस घटना की ओर ध्यान चले जाने की वजह से वॉर्ड में भरती 37 बच्चों की जान बचा ली गई. वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेेंद्र फडणवीस के निर्देश पर जिलाधीश पवनीत कौर ने जिला शल्य चिकित्सक डॉ. दिलीप सौंदले की अध्यक्षता में एक जांच समिती गठित की थी और इस समिती ने अपने द्वारा की गई जांच के बाद इस घटना के लिए वेंटिलेटर यंत्र में रहनेवाली तकनीकी खराबी को जिम्मेदार बताते हुए डफरीन अस्पताल प्रशासन को क्लिनचिट दे दी. ऐसे में गत रोज यह रिपोर्ट मिलने के बाद जिलाधीश पवनीत कौर ने मामले की जांच किसी बाहरी व तटस्थ एजेंसी के जरिये नये सिरे से करने का निर्णय लिया, ताकि पूरे मामले को लेकर किसी तरह का कोई शक या संदेह न रहे. जिसके तहत नागपुर के अग्निशमन विभाग को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपते हुए ‘थर्ड पार्टी इनवेस्टिगेशन’ कराने का निर्णय लिया गया है. जिसके तहत आज नागपुर अग्निशमन विभाग की टीम ने अमरावती पहुंचकर डफरीन अस्पताल का निरीक्षण और मुआयना किया. साथ ही इस बारे में डफरीन अस्पताल के डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ सहित प्रशासनिक अधिकारियों व कर्मचारियों से भी बातचीत की.
बता दें कि, विगत रविवार को डफरीन अस्पताल के एसएनसीयू में शॉर्ट सर्किट की वजह से आग लगने की बात ध्यान में आते ही वहां पर रखे गये सभी 37 बच्चों को तुरंत ही वॉर्ड से सकुशल बाहर निकाल लिया गया था और 12 बच्चों को अलग-अलग अस्पतालों में शिफ्ट किया गया था. जिसमें से सुपर स्पेशालीटी अस्पताल में शिफ्ट किये गये एक नवजात बच्चे की मौत हो गई थी. ऐसे में इस अग्निकांड को लेकर गंभीरता काफी अधिक बढ गई. हालांकि डफरीन अस्पताल प्रबंधन एवं स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बताया गया कि, उस बच्चे की मौत का इस अग्निकांड से कोई संबंध नहीं है. क्योंकि वह बच्चा पैदाईशी बेहद कमजोर था और निर्धारित समय से पहले जन्मा था. जिससे उसकी स्थिति पहले से ही काफी गंभीर चल रही थी तथा उसे सांस लेने में काफी दिक्कतें भी आ रही थी. खुद सीएस डॉ. दिलीप सौंदले ने इस संदर्भ में स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि, भातकुली तहसील की गणोजा निवासी महिला ने विगत 14 सितंबर को उस बच्चे को जन्म दिया था और वह बच्चा स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा था. जिसे बचाने के तमाम प्रयास किये गये, जो नाकाम रहे और उस बच्चे की मौत सेप्टीक सेमिया की वजह से हुई है. लगभग इसी समय के आसपास वह अग्निकांड भी घटित हुआ. यह अपने आप में एक संयोग था.
उल्लेखनीय है कि, जिलाधीश पवनीत कौर द्वारा गठित जांच समिती में सीएस डॉ. दिलीप सौंदले तथा डफरीन अस्पताल की वैद्यकीय अधिक्षिका डॉ. विद्या वाठोडकर का भी समावेश था. ऐसे में इस समिती की रिपोर्ट में डफरीन अस्पताल प्रबंधन को पूरी तरह से क्लिनचिट दिये जाने को लेकर संदेह जताये जाने की भी संभावना बन सकती है. इस बात के मद्देनजर जिलाधीश पवनीत कौर ने संभागीय आयुक्त डॉ. दिलीप पांढरपट्टे का मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए इस घटना की जांच किसी बाहरी व तटस्थ एजेेंसी से करवाने का निर्णय लिया. जिसके चलते जांच का जिम्मा नागपुर के अग्निशमन विभाग को सौंपा गया और आज नागपुर अग्निशमन विभाग की टीम ने डफरीन अस्पताल पहुंचकर अपनी जांच शुरू की.

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