अमरावती/प्रतिनिधि दि.30 – आज भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी का पर्व रहने के चलते भाविक श्रध्दालुओं भारी उमंग, उल्हास व उत्साह का वातावरण दिखाई दिया और चहुंओर जन्माष्टमी की जबर्दस्त धूम रही. हालांकि कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए शहर सहित जिले में इस समय तमाम मंदिरों के दरवाजे आम श्रध्दालुओें के लिए बंद है. ऐसे में हर वर्ष की भांति इस वर्ष मंदिरों में भाविकों की भीडभाड दिखाई नहीं दी, बल्कि सभी भाविक श्रध्दालुओं ने अपने-अपने घरों पर ही पूरे विधि-विधान के साथ कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया. जिसके तहत घरों में छोटे बच्चों को बालकृष्ण के रूप में सजाया गया. साथ ही साथ रविवार व सोमवार की दरम्यानी रात भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव मनाने के साथ ही नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैय्यालाल की का जयघोष किया गया.
बता दें कि, अमरावती को महाभारत कालीन नगर माना जाता है और खुद भगवान श्रीकृष्ण के पावन पदस्पर्श से अमरावती की भूमि पवित्र हुई है. मान्यता है कि, रूख्मिणी हरण हेतु भगवान श्रीकृष्ण का अमरावती आगमन हुआ था और उन्होंनेे यहां पर तीन दिनों तक वास किया था. जिस जगह वे रूके थे, वहां आज भव्य श्रीकृष्ण मंदिर बना हुआ है. लेकिन मंदिर प्रबंधन की ओर से कोरोना के नियमों का पालन करते हुए इस वर्ष जन्मोत्सव अत्यंत सादगीपूर्ण तरीके से मनाने का निर्णय लिया गया है. इसी तरह शहर के अन्य सभी कृष्ण मंदिरों व देवालयों में भी तमाम धार्मिक अनुष्ठान करते हुए कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया. बेशक मंदिरों में प्रतिबंध के कारण जन्माष्टमी पर कार्यक्रम नहीं हो रहे है, पर मंदिरों की सजावट आकर्षक की गई है. भले ही लोग मंदिरों में सामूहिक रूप से जन्मोेत्सव का आनंद नहीं ले पायेगे. लेकिन अधिकांश घरों में यह उत्सव मनाया जा रहा है. जिससे मध्यरात्रि के श्रीकृष्ण के जन्म पर पूरा शहर नंद के घर आनंद भयो के स्वर से गूंज उठा.
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दुग्ध शर्करा योग, जन्माष्टमी के साथ अंतिम श्रावण सोमवार
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के साथ ही आज श्रावण मास का अंतिम सोमवार है. जिसके चलते भक्तों में भारी उत्साह है. अनेक शिवमंदिरों को भी श्रावण सोमवार होने के कारण आकर्षक रूप से श्रृंगारित किया गया है. जिसके चलते भक्तगणों में इसे दुग्ध शर्करा योग माना.