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सीधे उध्दव ठाकरे से टक्कर लेने के मूड में हैं नवनीत व रवि राणा

सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलते ही राणा दम्पत्ति नये जोश में

अमरावती/प्रतिनिधि दि.24 – अमरावती जिले की सांसद नवनीत राणा व बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा की विगत 9 वर्षों से स्थानीय स्तर पर शिवसेना के साथ खुन्नस, राजनीतिक दुश्मनी व सीधा संघर्ष जारी है. इसके तहत पहले राणा दम्पत्ति की लडाई केवल शिवसेना नेता व पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल तक सीमित थी, लेकिन विगत 22 जून को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत के बाद अब राणा दम्पत्ति द्वारा सीधे शिवसेना के पार्टी प्रमुख व राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे को अपने निशाने पर लिया गया है और दोनों पति-पत्नी सीएम उध्दव ठाकरे से टक्कर लेने के मूड में दिखाई दे रहे है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के फैसले पर स्थगनादेश दिये जाते ही सांसद नवनीत राणा ने आरोप लगाया कि, हाईकोर्ट के फैसले के पीछे जो ‘सो कॉल्ड’ खिचडी पकी, उसमें सीएम उध्दव ठाकरे तथा राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब का भी हाथ था. इसके साथ ही विधायक रवि राणा ने मीडिया से बातचीत के दौरान खुले तौर पर कहा कि, सीएम उध्दव ठाकरे ने बडे पैमाने पर विदेशों में अपना काला पैसा जमा कर रखा है और कई देशों में घर व होटल जैसी संपत्तियां खरीद रखी है. यह पहली बार है कि, राज्य में किसी विधायक ने मुख्यमंत्री पद पर आसीन व्यक्ति पर विदेशों में काला धन जमा कराने को लेकर आरोप लगाये है.
सांसद नवनीत राणा ने अपने हमले को और अधिक तेज करते हुए कहा कि, विदर्भ के एकमात्र पर्यटन स्थल चिखलदरा में राज्य की पूर्ववर्ती फडणवीस सरकार द्वारा देश के एकमात्र व सबसे पहले तथा एशिया के तीसरे रोप-वे स्कायवॉक का काम शुरू किया गया था. जिसका काम 70 से 80 फीसदी पूर्ण हो चुका है और शेष काम वन एवं पर्यटन मंत्रालय में अटका हुआ है. ये दोनों ही मंत्रालय ठाकरे पिता-पुत्र के पास है और ये दोनोें ही इस काम में जानबूझकर अडंगा डाल रहे है. सांसद नवनीत राणा ने यह तंज भी कसा कि, जिस तरह फडणवीस सरकार द्वारा शुरू किये गये महत्वाकांक्षी प्रकल्प को शिवसेना प्रमुख स्व. बालासाहब ठाकरे का नाम दिया गया है, उसी तरह फडणवीस सरकार की ओर से शुरू किये गये स्कायवॉक को भी ठाकरे सरकार द्वारा चाहे तो स्व. बालासाहब ठाकरे का नाम दिया जाये, लेकिन जल्द से जल्द इस स्कायवॉक का काम पूर्ण किया जाये.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर इस समय दो बातें सुनायी दे रही है. राणा दम्पत्ति के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आने तक हाईकोर्ट के फैसले पर यह स्थगनादेश कायम रहेगा. वहीं कुछ प्रसार माध्यमों के साथ बातचीत में अडसूल समर्थकों द्वारा कहा गया है कि, यह स्टे अंतिम नहीं है. अत: दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के बाद अब राणा दम्पत्ति आत्मविश्वास से लबरेज दिखाई दे रहे है और सीधे शिवसेना के सबसे वरिष्ठ नेतृत्व से ही भिड गये हैं.
यहां यह सर्वाधिक उल्लेखनीय है कि, विगत 22 जून को सुप्रीम कोर्ट से स्टे मिलने के एक दिन पहले से ही राणा दम्पत्ति की ओर से युवा स्वाभिमान के जरिये जश्न की जबर्दस्त तैयारियां शुरू कर दी गई थी. राणा दम्पत्ति की भाजपा से नजदिकियां किसी से छिपी हुई नहीं है. ऐसे में सीधे उध्दव ठाकरे पर तीखे हमले करने से राणा दम्पत्ति की राजनीतिक हिम्मत के तौर पर देखा जा रहा है. साथ ही दबे स्वर में यह भी कहा जा रहा है कि, राणा दम्पत्ति को यह हिम्मत ‘कहीं और’ से मिल रही है. जिसके दम पर राणा दम्पत्ति और सेना नेतृत्व के साथ सीधे टकराव के मूड में दिखाई दे रहे है.

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