अमरावती की जनता सहित संविधान और संसद की अपराधी हैं नवनीत राणा
पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल का पत्रवार्ता में कथन
-
बोले : राणा ने संविधान व संसद को धोखा देने के साथ ही एससी वर्ग का अधिकार छीना
-
सांसद पद के लाभ सहित चुनाव पर हुए सरकारी खर्च की होनी चाहिए वसूली
-
तुरंत प्रभाव से संसद सदस्यता की जानी चाहिए खारिज
-
देश के राष्ट्रपति, पीएम व लोकसभा अध्यक्ष को भी कराया गया है मांग से अवगत
अमरावती/दि.11 – अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित अमरावती संसदीय सीट से फर्जी जाति प्रमाणपत्र का आधार लेते हुए नवनीत राणा द्वारा चुनाव लडना पूरी तरह से गैरकानूनी था. यह बात मुंबई हाईकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले से पूरी तरह साफ हो गई है. खुद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा है कि, अनुसूचित जाति से वास्ता नहीं रखने के बावजूद फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर चुनाव लडते हुए नवनीत राणा ने भारतीय संविधान के साथ जालसाजी की है. यह अपने आप में अक्षम्य अपराध है. इसके साथ ही नवनीत राणा झूठ बोलकर चुनाव लडने और जीतने के लिए देश की संसद सहित अमरावती जिले की जनता की भी अपराधी है. ऐसे में नवनीत राणा द्वारा सांसद के रूप में अब तक जितने भी लाभ प्राप्त किये गये है, उनकी वसूली करने के साथ ही विगत लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग द्वारा किये गये पूरे खर्च की राशि भी नवनीत राणा से वसूल की जानी चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन जिले के पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल द्वारा यहां बुलाई गयी पत्रकार परिषद में की गई है.
जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कंपाउंड स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गयी पत्रवार्ता को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल ने कहा कि, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अमरावती संसदीय सीट अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित थी और उस चुनाव में भी नवनीत राणा ने बतौर प्रत्याशी हिस्सा लिया था. जिसके लिए उन्होंने फर्जी जाति प्रमाणपत्र व फर्जी जाति वैधता प्रमाणपत्र का सहारा लिया था. इसे मुंबई हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिस पर लगातार सुनवाई जारी थी. इसी बीच वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव हुआ. जिसमें नवनीत राणा ने एक बार फिर फर्जी दस्तावेजों का आधार लेकर चुनाव लडा और वे इसमें विजयी भी हुई. किंतु अब चूंकि यह साबित हो चुका है कि, उनके द्वारा पेश किये गये दस्तावेज पूरी तरह से फर्जी थे और अदालत ने उन पर 2 लाख रूपयों का दंड लगाते हुए उन्हें छह सप्ताह के भीतर अपना जाति प्रमाणपत्र व जाती वैधता प्रमाणपत्र सरेंडर करने हेतु कहा है. जिसका सीधा मतलब है कि, नवनीत राणा द्वारा अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित संसदीय सीट से चुनाव लडना पूरी तरह नियमबाह्य व गैरकानूनी कार्य था. ऐसे में उनकी जीत और सांसद निर्वाचित होने का कोई औचित्य बाकी नहीं रहता.
पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल के मुताबिक उन्होंने गत रोज ही देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा लोकसभा अध्यक्षा ओम बिरला से प्रत्यक्ष मुलाकात करते हुए उन्हें एक निवेदन सौंपा है. जिसमें कहा गया है कि, नवनीत राणा की संसद सदस्यता तुरंत प्रभाव से खत्म की जाये. साथ ही वर्ष 2019 से अब तक नवनीत राणा ने बतौर सांसद जो भी आर्थिक लाभ प्राप्त किये है, उनसे उसकी वसूली की जाये. इसके अलावा चूंकि अब अमरावती संसदीय सीट पर नियमानुसार तरीके से उप चुनाव करवाना पडेगा. अत: वर्ष 2019 के संसदीय चुनाव में अमरावती सीट पर चुनाव करवाने हेतु सरकारी खजाने से जितनी रकम खर्च हुई है, वह पूरा खर्च नवनीत राणा से नुकसान भरपाई के तौर पर वसूला जाये. इसके अलावा नवनीत राणा के खिलाफ खुद देश की संसद द्वारा संसद व संविधान के साथ जालसाजी करने को लेकर अपराधिक मामला भी दर्ज कराया जाये.
इस पत्रवार्ता में पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल द्वारा यह भी कहा गया कि, खुद को अनुसूचित जाति संवर्ग से बताते हुए नवनीत राणा ने कई लोगों के खिलाफ एट्रॉसिटी एक्ट के तहत मामले दर्ज करवा रखे है, उन सभी मामलों को खारिज करने के साथ ही संबंधितों को नुकसान भरपाई मिलनी चाहिए. इस समय पूछे गये सवालों का जवाब देते हुए पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल ने बताया कि, हाईकोर्ट का फैसला आते ही राणा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील की जायेगी, यह बात पूरी तरह स्पष्ट थी. ऐसे में हाईकोर्ट का फैसला आने के दूसरे ही दिन उन्होेंने सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाईन तरीके से कैवेट दाखिल कर दिया. साथ ही पूर्व सांसद अडसूल ने यह भी कहा कि, वैसे तो हाईकोर्ट द्वारा बेहद पुख्ता और तथ्यात्मक फैसला दिया गया है. ऐसे में नवनीत राणा को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है. लेकिन वे (अडसुल) खुद चाहते है कि, नवनीत राणा इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाये, ताकि नवनीत राणा द्वारा की गई धोखाधडी पर देश की सर्वोच्च अदालत भी अपनी मुहर लगाये.
इस समय पूर्व सांसद अडसूल ने वर्ष 2019 के चुनाव में हुई नवनीत राणा की जीत को नागपुर हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए दायर की गई निर्वाचन याचिका के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, मुंबई हाईकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले से निश्चित तौर पर इस याचिका को ताकत मिलेगी. अब बहुत जल्द नागपुर हाईकोर्ट द्वारा नवनीत राणा का निर्वाचन निरस्त करने के संदर्भ में फैसला जारी किया जा सकता है. इसके अलावा नवनीत राणा के परिवार का मूल निवासस्थान रहनेवाले पंजाब राज्य के रोपड थाने में भी हमारी एक शिकायत प्रलंबित पडी है. अब वह शिकायत के आधार पर भी निश्चित तौर पर कार्रवाई होगी. इसके अलावा पंजाब पिछडावर्गीय आयोग के समक्ष दायर क्रिमिनल पिटीशन पर भी सुनवाई जोर पकडेगी. वहीं मुंबई के मुलूंड पुलिस थाने में दर्ज करायी गयी शिकायत में भी चार्जशिट दाखिल होना बाकी है. इस पर भी जल्द ही कार्रवाई आगे बढेगी.
पूर्व सांसद अडसूल के मुताबिक अभी तो केवल दिवाणी मामले में नवनीत राणा को दो सप्ताह के भीतर दो लाख रूपयों का जुर्माना भरने की सजा सुनाई गई है, वहीं अब नवनीत राणा के खिलाफ दर्ज अपराधिक मामलों में फैसले आयेंगे. चूंकि उन्हें संविधान के साथ धोखाधडी करने का अपराधी उच्च न्यायालय द्वारा साबित किया जा चुका है. अत: संविधान सहित देश की संसद तथा अमरावती जिले की जनता के साथ की गई धोखाधडी व जालसाजी के मामले में उन्हें जेल की यात्रा भी करनी पड सकती है और वे (अडासूल) इस बात के लिए पूरा प्रयास करेंगे कि, नवनीत राणा को जेल जाना पडे, ताकि देश के समक्ष एक उदाहरण पेश किया जा सके और भविष्य में दोबारा कोई भी संविधान व संसद सहित देश की जनता के साथ धोखाधडी व जालसाजी की पुनरावृत्ति न करे. इस समय पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल ने जोर देकर यह भी कहा कि, जिस संसद में संविधान के मूल तत्वों की रक्षा करते हुए देश की सर्वसामान्य जनता को न्याय दिलाने हेतु कानून बनाये जाते है, उसी संसद में फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर और अनुसूचित जाति का अधिकार छीनकर कोई व्यक्ति पहुंचता है, तो इससे बडा अपराध और कुछ नहीं हो सकता. ऐसे झूठे लोगों की मौजूदगी संसद जैसे पवित्र स्थल को अपवित्र करती है. अत: ऐसे लोगों के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई होनी ही चाहिए.