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न्याय पाने नवनीत राणा पहुंचीं सुप्रीम कोर्ट

  •  अनुच्छेद 136 के तहत स्पेशल लीव पीटीशन दायर की

  •  विशेषाधिकार याचिका में हाईकोर्ट के फैसले का निरीक्षण करने की मांग

  •  हाईकोर्ट के फैसले को खुद के लिए बताया अन्यायकारक

  •  विशेष कोर्ट करेगा याचिका को स्वीकृत या रद्द करने का फैसला

  •  याचिका स्वीकृत होने पर सुनवाई हेतु जज की नियुक्ति होगी

  •  सुप्रीम कोर्ट खुलने के बाद याचिका पर सुनवाई होगी शुरू

अमरावती/प्रतिनिधि दि.18 – जिले की सांसद नवनीत राणा की ओर से संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्पेशल लीव पिटीशन यानी विशेषाधिकार याचिका दायर की गई है. जिसमें जातिवैधता प्रमाणपत्र को लेकर मुंबई हाईकोर्ट द्वारा दिये गये फैसले को खुद के लिए अन्यायकारक बताते हुए इस फैसले का निरीक्षण करने की मांग की गई है. गुरूवार 17 जून को नवनीत राणा द्वारा सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में दायर की गई इस याचिका को स्वीकृत करने अथवा रद्द करने का फैसला सुप्रीम कोर्ट की विशेष अदालत द्वारा किया जायेगा. साथ ही यदि यह याचिका स्वीकृत होती है, तो इसके लिए बेंच तय करते हुए सुनवाई शुरू होगी.
बता दें कि, वर्ष 2014 में नवनीत राणा ने अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित अमरावती संसदीय सीट से पहली बार लोकसभा का चुनाव लडा था. जिसके लिए उन्होंने खुद को ‘मोची’ जाति से बताते हुए अपना जाति प्रमाणपत्र व जातिवैधता प्रमाणपत्र हलफनामे के साथ पेश किया था. हालांकि उस चुनाव में शिवसेना प्रत्याशी आनंदराव अडसूल विजयी हुए थे. पश्चात तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल द्वारा नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र को फर्जी बताते हुए इसे लेकर मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. अभी इस याचिका पर सुनवाई जारी ही थी कि, वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव आ गया. इस चुनाव में भी अमरावती संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी और नवनीत राणा व आनंदराव अडसूल एक बार फिर प्रतिस्पर्धी के रूप में आमने-सामने थे और इस चुनाव में नवनीत राणा विजयी हुई थी. जिसके बाद शिवसेना नेता तथा जिले के पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल ने नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र के साथ-साथ उनकी जीत को भी मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी थी. इसमें से विगत दिनों मुंबई हाईकोर्ट में सबसे पहले दायर याचिका पर सुनवाई पूरी हो गयी और हाईकोर्ट ने सांसद नवनीत राणा के जाति प्रमाणपत्र व जातिवैधता प्रमाणपत्र को फर्जी करार देते हुए उन्हें ये दोनोें ही दस्तावेज छह सप्ताह के भीतर जातिवैधता जांच समिती के समक्ष सरेंडर करने का आदेश दिया और दो सप्ताह के भीतर दो लाख रूपये का आर्थिक जुर्माना भरने का हुक्म सुनाया. साथ ही हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि, नवनीत राणा ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र का सहारा लेकर चुनाव लडते हुए देश के संविधान के जालसाजी की है.
मुंंबई हाईकोर्ट द्वारा सुनाये गये इस फैसले को खुद के लिए अन्यायकारक बताते हुए सांसद नवनीत राणा द्वारा इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी शुरू की गई. किंतु चूंकि इस समय सुप्रीम कोर्ट में अवकाश चल रहा है. ऐसे में सांसद नवनीत राणा द्वारा अपने वकीलों के मार्फत संविधान के अनुच्छेद 136 के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन क्रमांक 007776-007778/2021 दायर की गई है. जिसमें महाराष्ट्र राज्य, मुंबई जिला जातिवैधता जांच समिती, पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल व अमरावती निवासी राजू श्यामराव मानकर को प्रतिवादी बनाया गया है.
गत रोज सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में सांसद नवनीत राणा के वकील एड. ई. सी. अग्रवाल के मार्फत पेश की गई इस याचिका का अवकाशकाल में कार्यरत विशेष अदालत द्वारा निरीक्षण किया जायेगा और इस याचिका को सुनवाई हेतु स्वीकृत करने या खारिज करने के बारे में फैसला लिया जायेगा. यदि यह याचिका सुनवाई हेतु स्वीकृत होती है, तो फिर सुप्रीम कोर्ट का अवकाश खत्म होने के बाद इस पर सुनवाई हेतु जज व बेंच तय किये जायेंगे. जहां पर इस याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के फैसले का निरीक्षण किया जायेगा.

 

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  • अडसूल ने पहले ही दाखिल कर रखा है कैवेट

उल्लेखनीय है कि, हाईकोर्ट का फैसला आने के दूसरे ही दिन पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाईन पध्दति से कैवेट दाखिल कर दिया गया था, ताकि यदि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सांसद नवनीत राणा सुप्रीम कोर्ट पहुंचती है, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनके (अडसूल) पक्ष को भी सुना जाये. पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल द्वारा अपने वकील क्रिशनसिंह चौहान के जरिये यह कैवेट दाखिल किया गया था. ऐसे में अब यदि यह याचिका सुनवाई के लिए स्वीकृत होती है, तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा इसकी इत्तिला पूर्व सांसद आनंदराव अडसूल को दी जायेगी. साथ ही अदालत द्वारा याचिका के साथ दाखिल किये गये सभी दस्तावेजों की जांच की जायेगी और दस्तावेजों की पूर्तता पुर्ण रहने पर मामले की सुनवाई शुरू की जायेगी. जिसमें दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनते हुए इस मामले में फैसला सुनाया जायेगा. यदि अदालत द्वारा सांसद नवनीत राणा को हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश दिया जाता है, तब सांसद राणा को इस मामले में राहत मिल सकती है और यदि कहीं उपरी अदालत ने स्थगनादेश देने से मना कर दिया, तो उनकी मुश्किलें बढ सकती है. कानूनी क्षेत्र के जानकारों के मुताबिक इस मामले की सुनवाई की पहली ही तारीख पर सारी बातें स्पष्ट हो जायेगी. ऐसे में अब सभी की निगाहें सांसद नवनीत राणा की ओर से दायर की गई स्पेशल लीव पिटीशन खारिज होती है अथवा इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया जाता है, इस ओर सभी की निगाहें लगी हुई है.

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