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तेजतर्रार पुलिस अधिकारी के साथ ही निष्णात डॉक्टर भी हैं अमरावती की नई सीपी डॉ. आरती सिंह

  • बीएचयू से एमबीबीएस में किया था टॉप

  • वर्ष २००६ में बनी आयपीएस अधिकारी

  • न्नसल प्रभावित क्षेत्र में किया शानदार काम

  • पुलिस कर्मियोें के स्वास्थ्य को लेकर रहती है काफी सजग

  • महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने को लेकर बेहद गंभीर

  • जुर्म की दुनिया के खिलाफ है बेहद कठोर

अमरावती/दि.३ – अमरावती शहर पुलिस आयुक्तालय के इतिहास में पहली बार डॉ. आरती सिंह के रूप में कोई महिला पुलिस अधिकारी शहर पुलिस आयुक्त बनने जा रही है. गत रोज ही राज्य सरकार द्वारा राज्य के ४५ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के तबादले का आदेश जारी किया गया है. जिसमें अमरावती शहर पुलिस आयुक्त के पद पर संजय बावीस्कर के स्थान पर डॉ. आरती सिंह को भेजे जाने का आदेश जारी हुआ. डॉ. आरती सिंह इस समय नाशिक के ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात है और संभवत: आगामी एक-दो दिन में वे अमरावती पहुंचकर अपनी नई जिम्मेदारी संभाल लेंगी. अमरावती शहर की नई पुलिस आयुक्त बनने जा रही डॉ. आरती सिंह मूलत: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से वास्ता रखती है और उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मेडिकल पाठ्यक्रम एमबीबीएस में टॉप करने के साथ ही वाराणसी के एक सरकारी अस्पताल में बतौर चिकित्सक अपनी सेवाएं प्रदान की. साथ ही वर्ष २००६ में अपने दूसरे प्रयास में उन्होंने युपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए आयपीएस बनने का बहुमान हासिल किया. डॉ. आरती सिंह इससे पहले महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में बतौर पुलिस अधीक्षक पदस्थ रह चुकी है. जिनमें विदर्भ क्षेत्र के नागपुर, वाशिम व भंडारा सहित औरंगाबाद व नाशिक जिले का समावेश है. इसके साथ ही एक समय पर वे न्नसल प्रभावित गडचिरोली जिले के भामरागड क्षेत्र की उपविभागीय पुलिस अधिकारी भी रह चुकी है और उन्होंने कई न्नसल विरोधी अभियानों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया है. डॉ. आरती सिंह ने चाहे नक्सली क्षेत्र हो या फिर चर्चित मुरमाडी कांड, सूझबूझ के साथ कई गंभीर केसेज साल्व किए. अपराधों पर लगाम लगाई वहीं अपराधियों पर शिकंजा कसा

कभी सोचा नहीं था कि सिविल सर्विस में जाना है

डॉ. आरती सिंह के बारे में पता चला है कि उन्होंने बतौर स्त्रीरोग विशेषज्ञ करियर की शुरुआत की थी, लेकिन सोचा नहीं था कि सिविल सर्विसेस ज्वाइन करना है. मन में ये कहीं न कहीं था कि कुछ अलहदा करना है, एमबीएस की डिग्री लेने के बाद लगा कि मंजिल अभी दूर है. लेकिन उन्हें उनकी मंजिल जल्द ही मिल गई और वे आईपीएस बनीं.

पहली पोस्टींग ही न्नसल क्षेत्र में मिली, कई रिकॉर्ड भी बनाये

वर्ष २००६ बैच की आईपीएस अधिकारी डॉ. आरती सिंह की पहली पोस्टिंग नक्सलवादियों का गढ कहे जाते दक्षिण गढचिरोली में थी, जहां पर उन्होंने न्नसलियों के सफाये हेतु कई अभियान चलाये. बाद में उनकी पोस्टिंग २०११ में भंडारा हुई. भंडारा में वे ५६ वर्षों में वे पहली महिला अधिकारी बनीं. वहीं ७० वर्ष में पहली बार बतौर महिला पुलिस अधीक्षक के रूप में नागपुर ग्रामीण पुलिस अधीक्षक नियुक्त हुर्इं, जहां पर वे रेत के अवैध धंधे और आपराधिक तत्वों पर नकेल कसने में कामयाब रहीं.

मानसिक पिछडापन छोडना होगा

एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद बतौर स्त्रीरोग विशेषज्ञ कार्य कर चुकी डॉ. आरती सिंह के मुताबिक आज भी जब कोई बच्चा पैदा होता है, तो बच्चे की मां पूछती है कि लडका हुआ या लडकी. इस बात को लेकर उन्हें बहुत आश्चर्य होता है. यह एक तरह से २१ वी सदी में भी मानसिक पिछडापन है और ये तभी दूर होगा, जब मां की मानसिकता बदलेगी.

कई चुनौतियों का किया सफलतापूर्वक सामना

नक्सल प्रभावित गडचिरोली जिले के भामरागढ में डीवाईएसपी के रूप में उल्लेखनीय कार्य करने के साथ ही वर्ष २०११ में भंडारा जिले के एसपी के रूप में कार्य करते समय बहुचर्चित मुरमाडी प्रकरण में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा. फरवरी २०१३ में भंडारा में गांव से तीन नाबालिग बहनों की मौतों की जांच सिंह की सबसे बडी चुनौती थी, जिसे उन्होंने सफलतापूर्वक सुलझाया. डॉ. आरती सिंह को नक्सली क्षेत्र में कार्य के लिए कई मेडल भी मिले हैं.

पोर्नोग्राफी चिंता का विषय

अमरावती शहर के नवनियुक्त पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह महिलाओं के खिलाफ बढते अपराधों को लेकर काफी मुखर मानी जाती है और वे ऐसे अपराधों के लिए उपभोक्तावाद को जिम्मेदार मानती हैं. उनका मानना है कि आज-कल जिस तरह विज्ञापनों में महिलाओं की छवि को परोसा जाता है, वह बेहद घातक होने के साथ ही काफी गलत भी है. साथ ही डॉ. आरती सिंह का ये भी कहना है कि पोर्नोग्राफी का बाजार दुनिया में गैरकानूनी कमाई का दूसरा सबसे बडा जरिया है. वहीं हर हाथ में मोबाइल और उनमें देखी जाने वाली पोर्नोग्राफी खासी चिंता का विषय है. इन दिनों नाबालिगोें का महिलाओं से जुडे अपराधों में शामिल होना बेहद चिंतनीय है. हालांकि नए कानून में हो रहे संशोधन से इसे रोका जा सकता है. साथ ही डॉ. सिंह का यह भी मानना है कि, इन दिनों पोर्नोग्राफी की साइट्स इतनी ज्यादा हैं कि उन सभी को बंद भी नहीं किया जा सकता है

पुलिसवालों को सॉफ्ट स्किल्स सीखने की जरूरत

उल्लेखनीय है कि, अपनी नियुक्तीवाले हर स्थान पर अपने अधिनस्थ पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों के स्वास्थ्य को लेकर डॉ. आरती सिंह बेहद सजग रहती है और वे लगातार काम के तनाव व बोझ से जूझनेवाले पुलिस कर्मचारियों की फिजीकल फिटनेस को चुस्त-दुरूस्त रखने पर खासा ध्यान भी देती है. इसके अलावा वे पुलिसवालों को भी सॉफ्ट स्किल सीखने की जरूरत पर जोर देती है और पुलिसवालों के बातचीत का लहजे व व्यवहार को बदलने की महती आवश्यकता पर काम करती हैं. बतौर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बेहद बिजी शेडयूल होने के बाद भी फिटनेस को जरूरी समझने वाली डॉ. आरती योगा करना बेहतर समझती हैं उनका कहना है कि योग और मेडीटेशन संतुलन के लिए आवश्यक है.

 

 

 

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