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चांदूर बाजार फसल मंडी में तय हो सकता है नया फार्मूला

एक-एक वर्ष के लिए हो सकता है सभापति व उपसभापति का चयन

* सभापति पद के लिए सतीश मोहोड व नंदू वासनकर के नामों की चर्चा
* उपसभापति पद के लिए अश्विन भेटालू व मंगेश देशमुख है रेस में
* अंतिम निर्णय विधायक बच्चू कडू का, सभी में है उत्सुकता
चांदूर बाजार/दि.5 – हाल ही में हुए चांदूर बाजार फसल मंडी के चुनाव में पूर्व राज्यमंत्री व विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व वाले पैनल ने एक तरफा जीत हासिल की और सभी 18 सीटों पर विधायक बच्चू कडू के पैनल को जीत मिली. ऐसे में अब फसल मंडी का चुनाव निपट जाने व सभी 18 संचालक एक ही पैनल के रहने की वजह से सभी की निगाहे इस ओर लगी हुई है कि, क्यों मंडी सभापति व उपसभापति का चयन सभी 18 संचालकों की आम सहमति से होता है. या फिर इन दोनों पदों के लिए चुनाव करवाने पडते है. साथ ही उत्सुकता इस बात को लेकर भी चल रही है कि, खुद पैनल के नेता व विधायक बच्चू कडू द्बारा सभापति व उपसभापति पद के लिए किन दो नामों पर अपनी अंतिम मुहर लगाते है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बाजार समिति के चुनाव में प्रहार जनशक्ति पार्टी के पैनल को जीत दिलाने हेतु सतीश मोहोड की भूमिका काफी उल्लेखनीय रही. ऐसे में शुरु से ही सतीश मोहोड को अध्यक्ष पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है. वहीं दूसरी ओर इससे पहले बबलू देशमुख के गुट में रहते हुए चांदूर बाजार फसल मंडी के सभापति बनने वाले नंदकिशोर वासनकर ने अपनी दूसरी पारी में सभापति पद पर मौका नहीं मिलने के चलते बबलू देशमुख गुट का साथ छोड दिया था और विधानसभा चुनाव में बच्चू कडू की जीत के लिए जमकर मेहनत की थी. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि, संभवत: उस मेहनत के प्रतिफल के तौर पर विधायक बच्चू कडू द्बारा नंदकिशोर वासनकर को चांदूर बाजार फसल मंडी का सभापति बनाया जा सकता है. इसके अलावा उपसभापति पद के लिए अश्विन भेटालू के साथ ही मंगेश देशमुख के नाम फिलहाल सबसे आगे बताए जा रहा है.
वहीं इस बीच एक नई जानकारी सामने आयी है कि, संभवत: पैनल में आपसी राजी-नाराजी न हो, इस बात के मद्देनजर विधायक बच्चू कडू ने एक अलग ही फार्मूला तय किया है. जिसके मुताबिक मंडी के सभापति व उपसभापति को एक-एक वर्ष का कार्यकाल ही दिया जाएगा और प्रतिवर्ष नये सभापति व उपसभापति का चयन किया जाएगा. रोटेशन पद्धति से होने वाले इस चयन के तहत पैनल के सभी संचालकों को अगले 5 वर्ष के दौरान सभापति अथवा उपसभापति पद पर काम करने का मौका मिलेगा. इससे किसी ने भी एक-दूसरे को लेकर राजी-नाराजी नहीं रहेगी. साथ ही किसी भी एक सभापति या उपसभापति का मंडी पर एकाधिकार भी नहीं बन पाएंगा.

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