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वैक्सीन को बर्बाद होने से बचाने ‘नया नियोजन’

जिले में 10 फीसदी वैक्सीन हुई बर्बाद

  • प्रशासन में नियोजन को लेकर शुरू हुआ मंथन

  •  वैक्सीन की बोतल खोलने के बाद चार घंटे में प्रयोग जरूरी

  •  एक बोतल से 10 लोगों को लगाया जा सकता है टीका

  •  कोविशील्ड व को-वैक्सीन की बोतल में एक जैसी होती है दवाई की मात्रा

अमरावती/प्रतिनिधि दि. 19 – इन दिनों हर कोई खुद को कोविड प्रतिबंधतात्मक दवाई का टीका मिलने को लेकर प्रतीक्षा कर रहा है. वहीं दूसरी ओर पता चला है कि कोविड टीकाकरण अभियान शुरू होने के बाद से अब तक अमरावती जिले में करीब 10 फीसदी कोवीड प्रतिबंधात्मक टीके खराब हो चुके हैं, जिनका उपयोग ही नहीं किया जा सका है. इसमें भी यह विशेष उल्लेखनीय है कि इन टीकों के खराब होने में मानवीय भूल मुख्य रूप से जिम्मेदार है, ऐसे में अब प्रशासन इस बात को लेकर मंथन कर रहा है कि आखिर टीकों को सुरक्षित रखने में चूक कहां पर हो रही है. साथ ही अब टीकों के संरक्षण को लेकर भविष्य हेतु तमाम नियोजन भी किये जा रहे हैं.
बता दें कि इन दिनों कोरोना महामारी के खिलाफ कोविशील्ड व को-वैक्सीन नामक दवाईयों के डोज लगाये जा रहे हैं. इन दोनों दवाईयों की बोतलों का आकार एक जैसा होता है और इनमें सम-समान मात्रा में दवाई होती है. एक बोतल से करीब 10 लोगों को वैक्सीन का डोज लगाया जाता है और पहला डोज लगाने के लिए बोतल को खोलने के बाद चार घंटे के भीतर उस बोतल की पूरी दवाई का उपयोग करना आवश्यक होता है. ऐसे में सभी केंद्रों पर 10-10 लोगों का गुट बनाकर टीकाकरण किया जाता है. किंतु यदि किसी केंद्र पर अंतिम गुट में दस लोग उपलब्ध नहीं हुए, तो उपलब्ध लोगों को टीका लगाने के बाद शेष बची हुई दवाई व्यर्थ चली जाती है और उसे फेंकना पड़ता है. इस तरह से अबतक औसतन ककरीब 10 फीसदी दवाई व्यर्थ ही फेंकनी पड़ी है. यह स्थिति केवल अमरावती जिले की ही नहीं है, बल्कि समूचे देश में कमोबेश यही हालात हैं.
जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम तथा जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप रणमले के मुताबिक जिले के 59 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, 1 1 ग्रामीण अस्पतालों, 4 उपजिला अस्पतालों तथा 13 शहरी स्वास्थ्य केंदरें, ऐसे कुल 86 स्थानों पर टीकाकरण की सुविधा उपलब्ध है. जहां पर अबतक करीब 80 हजार लोगों को कोविड प्रतिबंधात्मक टीका लगाया जा चुका है. किंतु ऐसा करते समय करीब 10 फीसदी डोज खराब हुए हैं, ऐसा अनुमान सीएस डॉ. निकम द्वारा व्यक्त किया गया है. यानि करीब 8 हजार लोगों को लगाई जा सकनेवाली कोविड प्रतिबंधात्मक दवाई को यूं ही व्यर्थ में फेंक देना पड़ा है. ऐसे में खुद को वैक्सीन लगवाने हेतु तैयार, किंतु पात्र नहीं रहनेवाले लोगों के लिए इसे बेहद संतापजनक खबर कहा जा सकता है. इन दोनों स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक इस स्थिति को टालना समूचे देश में कहीं पर भी संभव नहीं हो पाया है, क्योंकि टीकाकरण केंद्र में आखिरी बैच में जितने लोग उपस्थित होते हैं, यदि उनकी संख्या दस नहीं है, तो भी उन्हें वैक्सीन लगाने हेतु दवाई की नई बोतल खोलनी ही पड़ती है, तो इस बैच में उपस्थित लोगों को वैक्सीन का डोज लगाने के बाद जो दवा बोतल में शेष बच जाती है, उसे बाद में फेंक देना पड़ता है, क्योंकि यह दवाई चार घंटे बाद वैसे भी खराब ही हो जाती है. ऐसी स्थिति में दवाई की खुली बोतल को एक केंद्र से दूसरे केंद्र ले जाना भी संभव नहीं होता. साथ ही एक केंद्र पर उपस्थित लोगों को भी दूसरे केंद्र पर भेजना संभव नहीं होता, ताकि किसी एक केंद्र पर लाभार्थियों की संख्या को 10 किया जा सके. ऐसे में मजबूरी में अंतिम बैच के बाद शेष रहनेवाली दवाई को फेंकने के अलावा अन्य कोई पर्याय भी नहीं रहता. अन्यथा इस अदला-बदली के जरिए बड़े पैमाने पर इस बहुमूल्य व महत्वपूर्ण दवाई को बचाना संभव हो पाता.

 

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  •  अमरावती में बदला जायेगा मॉडेल

पंजीयन करने के बाद अलॉट हुए केंद्र पर वैक्सीन लगाना ही पड़ता है. साथ ही समय पर पंजीयन करानेवालों को भी वैक्सीन लगाई जाती है. ऐसे में अंतिम बैच के समय वैक्सीन को व्यर्थ फेंकने या खराब होने से बचाने का कोई रास्ता नहीं है. लेकिन स्वास्थ्य महकमे के ही कुछ लाभार्थियों को आरक्षित रखते हुए अंतिम बैच में उपस्थिति का कोरम पूर्ण करने को लेकर नया मॉडेल शुरू करने पर विचार जारी है, ताकि दवाई को खराब होने और व्यर्थ फेंकने से बचाया जा सके.
शैलेश नवाल,
जिलाधीश, अमरावती.

 

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  • नये पर्याय पर होगा काम

इस समय बुजूर्गों सहित कोमार्बीड मरीजों को टीका लगाया जा रहा है. यदि टीकाकरण को लेकर सरकार और प्रशासन की ओर से कोई नया निर्देश दिया जाता है, तो हम उस नये पर्याय पर जरूर काम करेंगे. ताकि अधिक से अधिक लोगों को टीका लगाया जा सके.
डॉ. श्यामसुंदर निकम,
जिला शल्य चिकित्सक, अमरावती.

 

  • शोक्त पद्धति से चल रहा काम

टीकाकरण का काम पूर्ण होने के बाद खाली हुई बोतलों और शेष बची हुई दवाई का निस्सारण पूरी तरह शोक्त पद्धति से किया जाता है. जिले में इस समय कोविशील्ड व को-वैक्सीन इन दोनों दवाईयों के जरिए टीकाकरण किया जा रहा है. साथ ही सरकारी निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है.
डॉ. दिलीप रणमले
जिला स्वास्थ्य अधिकारी, अमरावती .

  • टीकाकरण के लिए आयु मर्यादा का खुला होना जरूरी

कोरोना पर नियंत्रण पाने हेतु करीब एक साल के प्रयास पश्चात वैक्सीन तैयार करने में सफलता मिली. जिससे पूरे देश में आशा और आनंद का माहौल है. साथ ही हर कोई खुद को यह वैक्सीन मिलने का इंतजार भी करने लगा. लेकिन सरकार ने इस टीकाकरण के लिए चार चरण निश्चित करने के साथ ही आयुगुट की मर्यादा भी तय कर दी. ऐसे में कई लोग इच्छा रहने के बावजूद यह वैक्सीन नहीं लगवा पा रहे, वहीं दूसरी ओर आयु मर्यादा में शामिल लोग उपलब्ध नहीं होने की वजह से वैक्सीन फेंकने में जा रही है. ऐसे में अब यह मांग जोर पकड़ रही है कि टीकाकरण के लिए आयुमर्यादा की शर्त को शिथिल कर दिया जाये और सभी आयुगुट के लोगों हेतु यह वैक्सीन उपलब्ध कराई जाये, ताकि अधिकाधिक लोगों को यह वैक्सीन लगाई जा सके और इसे व्यर्थ में फेंकने तथा खराब होने से रोका जा सके.

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