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माईंड लॉजिक का जबलपुर वैद्यकीय विद्यापीठ में नया घोटाला

संगाबा अमरावती विद्यापीठ को लगाया था लाखों का चुना

अमरावती/प्रतिनिधि दि.17 – संगाबा अमरावती विद्यापीठ को करोडों रुपयों का चुना लगाकर लाखों विद्यार्थियों का भविष्य खराब करने वाली बंगलुर स्थित माईंड लॉजिक इन्फोटेक कंपनी का गोरखधंधा मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित मेडिकल कॉलेज विद्यापीठ में प्रकाश में आया है. मेडिकल विद्यापीठ ने काफी कठोर कार्रवाई करते हुए इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट करते हुए देश की किसी भी विद्यापीठ के परीक्षा काम से दूर किया है.
अमरावती विद्यापीठ की इस कंपनी के गैर कारभार पर अनेक शिकायतें होने के बाद कंपनी को इससे पहले ही परीक्षा कार्य से दूर किया गया. किंतु जांच के और उसके लिए नियुक्त समितियों के रिपोर्ट के आड में माईंड लॉजिक कंपनी के विरुध्द अभी भी फौजदारी कार्रवाई नहीं की गई. विद्यापीठ के अनेक सिनेट बैठक में भी माईंड लॉजिक कंपनी के कारभार की धज्जियां उडी. इससे पूर्व के विद्यापीठ प्रशासन ने माईंड लॉजिक को गैर कानूनी तरीके से कैेसे और कितना सहयोग किया, उसके बदले में मारोती एस्टीम कार से कैसे बिदाई मिली, एक पूर्व कुलगुरु ने अपने फेल कन्या को कैसे पास करवाया, उसकी कहानियां भी विद्यापीठ में पढी जाती है, लेकिन बावजूद इसके इस कंपनी को बचाने का प्रयास पिछले कम से कम 8 वर्षों से शुरु है. इस पृष्ठभूमि पर मध्यप्रदेश के जबलपुर मेडिकल विद्यापीठ ने मात्रा तत्काल कार्रवाई करते हुए विद्यापीठ के कुलगुरु, कुलसचिव से लेकर तो वैद्यकीय परिसर के उच्च अधिकारियों तक सभी की कुलपति व राज्यपाल ने तत्काल तबादला करते हुए इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया है. जिससे अब माईंड लॉजिक कंपनी के अमरावती विद्यापीठ के गैर कारभार का भंडाफोड होने की संभावना बढ चुकी है. इस मामले की विस्तृत खबर आयबीसी 24 इस न्यूज चैनल ने प्रकाश में लायी. जबलपुर वैद्यकीय महाविद्यालय ने यह घोटाला प्रकाश में लाने के साथ ही माईंड लॉजिक कंपनी के साथ का टेंडर रद्द किया. साथ ही इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर भविष्य में किसी भी विद्यापीठ में काम नहीं मिलेगा, ऐसी व्यवस्था भी की है. परीक्षा नियंत्रक सक्सेना व उपकुलसचिव डॉ. तृप्ती गुप्ता को तत्काल निलंबित किया गया है. कुलसचिव डॉ.जे.के.गुप्ता ने यह कार्रवाई की. मध्यप्रदेश में यह एकमात्र वैद्यकीय विद्यापीठ है. यहां रहने वाले विद्यार्थियों के अंक बढाने का गोरखधंधा माईंड लॉजिक इंफोटेक व्दारा शुरु था. इस घोटाले में परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को उत्तीर्ण किया गया. डॉ. तृप्ती गुप्ता के निजी ई-मेल से कुछ विद्यार्थियों के रोलनंबर भेजे जाने से यह घोटाला प्रकाश में आया है.

 

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