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व्यापारियों को नेतृत्व कर नितीन मोहोड को आयी अक्ल

  •  अब कभी भी व्यापारियोें का नेतृत्व नहीं करने की खायी कसम

  •  लॉकडाउन का विरोध कर औंधे मुंह गिरने की नौबत आयी

  •  नेतागिरी करने का शौक हुआ हवा, अपने निर्णय पर जताया पछतावा

अमरावती/प्रतिनिधि दि.2 – विगत दो-तीन दिनों से लॉकडाउन का विरोध कर रहे व्यापारियोें का नेतृत्व करनेवाले नितीन मोहोड लगातार चर्चा में चल रहे थे और उम्मीद जतायी जा रही थी कि, मोहोड जैसे तेजतर्रार व्यक्ति के नेतृत्व में निश्चित तौर पर अमरावती शहर के व्यापारियों द्वारा लॉकडाउन का उल्लंघन करते हुए मंगलवार से अपनी दुकाने खोल दी जायेगी. लेकिन हुआ ठीक अपेक्षा से विपरित और इसकी वजह से नितीन मोहोड पर औंधे मुंह गिरने की नौबत आन पडी. जिससे नेतागिरी करने को लेकर उनकी अक्ल भी ठिकाने आ गयी और अब नितीन मोहोड ने निर्णय लिया है कि, वे जिंदगी में कभी अमरावती के व्यापारियों का नेतृत्व नहीं करेंगे और अपने काम से काम रखेंगे.
मंगलवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ती में नितीन मोहोड ने अपने फैसले और भुमिका पर पछतावा व्यक्त करते हुए कहा कि, लॉकडाउन की वजह से व्यापारियोें पर जबर्दस्त आर्थिक संकट आन पडा है. ऐसे में विभिन्न संगठनों द्वारा किये गये निवेदन और तैयारी को देखते हुए उन्होंने सभी दुकानदारों व व्यापारियों से लॉकडाउन का पालन नहीं करने और मंगलवार से अपनी दुकाने खोलने का आवाहन किया था. लेकिन अमरावती के व्यापारी काफी डरपोक निकले और संभावित कार्रवाई से डरते हुए उन्होंने अपने प्रतिष्ठान खोले ही नहीं. मोहोड के मुताबिक उन्होंने मंगलवार की सुबह पुरे शहर का दौरा किया और व्यापारियों से अपने प्रतिष्ठान खोलने का आग्रह किया. लेकिन एक भी व्यापारी अपने दुकान खोलने के लिए राजी नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने भी अपना रेस्टॉरेंट बंद ही रखा. क्योेंकि उनके अकेले के रेस्टॉरेंट को खोलने से प्रशासन पर कोई दबाव नहीं बनता था. उल्टे वे खुद हंसी का पात्र बन जाते. ऐसे में ऐसे डरपोक व्यापारियों का नेतृत्व करने को लेकर उन्हेें पश्चाताप हो रहा है और वे इस आंदोलन से अपने कदम पीछे खिंचना चाहते है.
इसके साथ ही नितीन मोहोड ने इस बात को लेकर भी अफसोस जताया कि, उनके द्वारा स्थापित अमरावती जिला परमीट रूम एसो. नामक संगठन का सदस्य रहनेवाले किसी भी परमिट रूम व बार संचालक ने उनसे इस संदर्भ में कोई संपर्क नहीं किया. जबकि वे इससे पहले बार मालिकों के हितोें के लिए भी प्रशासन से लडते रहे है. मोहोड ने इस बात को लेकर भी अफसोस जताया कि, उन्होेंने बिना वजह इससे पहले प्रशासन की ओर से जारी ड्राय डे संबंधी आदेशों को रद्द करवाया और जनहित हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर सभी बार मालिकों का 50 फीसदी शुल्क माफ करवाया. इन तमाम कामों के लिए उन्होंने अपनी जेब से पैसा खर्च किया और अधिकांश बार मालिकों ने इस काम के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करना भी जरूरी नहीं समझा. ऐसे में वे ऐसे स्वार्थी बार मालिकों का भी नेतृत्व करने के इच्छूक नहीं है और अमरावती जिला परमीट रूम एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे रहे है.
ऐसे में कहा जा सकता है कि, लॉकडाउन के खिलाफ उठाये गये कदम की वजह से औंधे मुंह गिरने के बाद नितीन मोहोड की अक्ल अब ठिकाने पर आ गई है और व्यापारियों का नेता बनने के दिवास्वप्न से बाहर आकर वे यथार्थ के धरातल पर आ गये है.

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