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पेंडिंग प्रीमियम पर लगायी जा रही पेनॉल्टी भी
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पूरी रकम एकमुश्त भरने कहा जा रहा, अन्यथा पॉलीसी के लैप्स् होने का है खतरा
अमरावती/दि.१४ – बीते आर्थिक वर्ष के ऐन अंतिम समय कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए लॉकडाउन लागू कर दिया गया था. जिसके बाद अगले करीब ढाई-तीन माह तक व्यापार-व्यवसाय और रोजगार से संबंधित तमाम गतिविधियां बंद रही. जिसकी वजह से लोगों का आर्थिक नियोजन बुरी तरह से गडबडा गया. इस बात के मद्देनजर केंद्र सरकार के दिशानिर्देश पर सभी बैंकों एवं वित्तीय संस्थाओं ने कर्ज की अदायगी एवं ब्याज की दों में राहत और सहूलियत देने को लेकर नीतियां बनायी. साथ ही महावितरण व जलापूर्ति जैसे महकमों ने भी लॉकडाउन काल के दौरान जारी हुए बिलों को भरने में किश्तों की सुविधा उपलब्ध करायी, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर व्यवसाय करनेवाली भारतीय जीवन बीमा निगम नामक बीमा कंपनी ने अब तक अपने लाखों-करोडों ग्राहकों को लॉकडाउन काल के दौरान पडनेवाली बीमा किश्तों की अदायगी में सहूलियत देने हेतु कोई कदम नहीं उठाये है, बल्कि मार्च माह के बाद पेंqडग रह गये तमाम प्रीमियम एकमुश्त भरने कहा जा रहा है. साथ ही पेंडिंग किश्तों पर पेनॉल्टी भी वसूली जा रही है.
बता दें कि, भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआयसी देश की सबसे बडी जीवन बीमा कंपनी है. जिस पर काफी हद तक सरकारी नियंत्रण भी होता है. जिस तरह से रेल महकमे को देश का सबसे बडा जमीनदार माना जाता है, उसी तरह एलआयसी को देश का सबसे बडा साहूकार माना जाता है. क्योंकि वक्त जरूरत पडने पर एलआयसी की हैसियत सरकार को भी कर्ज उपलब्ध कराने की है. ‘जिंदगी के साथ भी, जिंदगी के बाद भी‘ इस ब्रीदवा्नय तथा ‘योगक्षेमं वहाम्यहम‘ इस आश्वासन के साथ जीवन बीमा का व्यवसाय करनेवाली एलआयसी को संभवत: इस वक्त अपने ग्राहकों को जिंदगी के दौरान पेश आ रही दिक्कतें दिखाई नहीं दे रही. यहीं वजह है कि, एलआयसी द्वारा प्रीमियम वसूल करने में कोई मुरव्वत नहीं दिखाई जा रही. ज्ञात रहे कि, एलआयसी द्वारा अपने ग्राहकों से मासिक, तिमाही, छहमाही और वार्षिक पध्दति से बीमा प्रीमियम स्वीकार किया जाता है और एलआयसी पॉलीसी लेनेवाले तमाम ग्राहक भी अपने प्रीमियम की अदायगी सही समय पर ही करते है, क्योंकि यह बचत के साथ-साथ किसी भी ‘ऐसे-वैसे‘ समय खुद पर आश्रित परिवार की आर्थिक सुरक्षा से जुडा मसला है. लेकिन २३ मार्च से लॉकडाउन शुरू हो जाने के बाद कई लोग मार्च माह से अपने प्रीमियम नियमित तौर पर अदा नहीं कर पाये और कुछ प्रीमियम पेंडिंग रह गये. यदि तिमाही प्रीमियम का ही उदाहरण दे तो यदि किसी व्यक्ति का मार्च माह में प्रीमियत ड्यू था, तो उसका जून माह का प्रीमियम भी ड्यू रह गया है और सितंबर का प्रीमियम भी उसे भरना है. यदि ऐसा कोई व्यक्ति एलआईसी में जाकर कहे कि, वह अपना मार्च माह का प्रीमियम अब अक्तूबर माह में भरना चाहता है तथा जून व सितंबर माह के प्रीमियम को आगामी कुछ समय में अदा कर देगा, या फिर यह कहे कि, उसके प्रीमियम की जितनी राशि पेंडिंग है, उसकी किश्तें बनाकर दी जाये और वह आगामी प्रीमियम के साथ पेंडिंग प्रीमियम की राशि अदा कर देगा, ताकि पॉलीसी रेग्युलर चलती रहे, तो ऐसी कोई व्यवस्था एलआईसी द्वारा अपने ग्राहकों के लिए उपलब्ध नहीं है. बल्कि ऐसे ग्राहकों को साफ और स्पष्ट तौर पर बताया जा रहा है कि, उन्हें मार्च माह से अब तक के पेंडिंग प्रीमियम की पूरी राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा. साथ ही पेंडिंग प्रीमियम पर पेनॉल्टी भी देनी होगी. अन्यथा तीन प्रीमियम पेंडिंग हो जाने की वजह से उनकी पॉलीसी को लैप्स् यानी खत्म किया जा सकता है. पॉलीसी लैप्स् होने का सीधा मतलब है कि, संबंधित ग्राहक और एलआईसी के बीच ऐसे-वैसे समय परिवार की आर्थिक सुरक्षा को लेकर जो करार हुआ है, वह अब खत्म हो गया. प्रीमियम पेंडिंग रहनेवाले कई ग्राहक ऐसे भी है, जिनकी पॉलीसी अब लगभग मैच्युअर होने में है, या पॉलीसी टर्म की आधे से अधिक अवधि बीत चुकी है.
ऐसी सूरत में यदि उनकी पॉलीसी लैप्स् होती है, तो उनका आर्थिक तौर पर काफी नुकसान हो सकता है. हालांकि बाद में संबंधित व्यक्ति निर्धारित अवधि के भीतर एलआईसी के साथ सेटलमेंट करते हुए अपनी लैप्स् पॉलीसी को दुबारा भी शुरू कर सकता है. लेकिन एक अध्ययन के मुताबिक भारत में आधे से अधिक लैप्स् पॉलीसियां दुबारा शुरू नहीं हो पाती.क्योंकि उन्हें शुरू करने के लिए ग्राहकों को लैप्स् अवधि की पूरी रकम एकमुश्त भरनी होती है, जो निम्न एवं मध्यमवर्गीय ग्राहकों के लिए काफी मुश्किल होता है. और ऐसी सूरत में लैप्स् पॉलीसी हमेशा के लिए लैप्स् ही हो जाती है. जानकारी के मुताबिक ऐसी हजारों-लाखों लैप्स् पॉलीसी से एलआईसी को प्रतिवर्ष करोडों रूपयों की कमाई होती है. क्योंकि उस सूरत में बीमा राशि पर संबंधित ग्राहक का कोई दावा नहीं बचता. यहां इस बात की ओर विशेष तौर पर ध्यान दिलाया जा सकता है कि, देश के लाखों-करोडों निम्न एवं मध्यम वर्गीय परिवार के कमाउ सदस्य इस आस में जीवन बीमा निगम की पॉलीसी खरीदते है, ताकि यदि उन्हें कुछ हो गया, तो उनके बाद परिवार के पास आर्थिक सुरक्षा हो. लेकिन कोरोना संक्रमण के खतरे की वजह से लगाये गये लॉकडाउन में सर्वाधिक प्रभावित निम्न एवं मध्यम वर्गीय लोग ही हुए और उन्हें लंबे समय तक बेरोजगारी का सामना भी करना पडा. ऐसे में जहां एक ओर दो वक्त की रोटी के लाले पडे हुए थे, तो वे एलआईसी का प्रीमियम कहां से अदा करते. वहीं अब जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जिंदगी कुछ हद तक पहले की तरह पटरी पर लौट रही है, तो अधिकांश बीमा ग्राहक अपने बकाया प्रीमियम अदा करने एलआईसी ऑफिस सहित एलआयसी एजेंटोें के पास पहुंच रहे है और उम्मीद कर रहे है कि, उन्हें बकाया प्रीमियम अदा करने में किश्तों की सहूलियत मिले, लेकिन उन्हें एलआईसी की ओर से बताया जा रहा है कि, उन्हें तमाम बकाया प्रीमियम एकमुश्त ही अदा करने होंगे. साथ ही बकाया प्रीमियम पर पेनॉल्टी भी अदा करनी होगी और यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उनकी पॉलीसी लैप्स् हो सकती है. ऐसे में अब कई बीमाधारक इस पशोपेश में है कि, वे तीन-तीन तिमाही प्रीमियम और पेनॉल्टी की राशि एकमुश्त कहां से लाकर भरे.
हमारे हाथ में कुछ नहीं, सारे आदेश उपर से ही
कुछ बीमा धारकों की ओर से मिली शिकायतों की तस्दीक करने हेतु जब प्रस्तुत प्रतिनिधि ने एलआईसी के विभागीय व्यवस्थापक सुजॉय दत्ता से संपर्क किया, तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि, एलआईसी की ओर से पेंडिंग प्रीमियम अदा करने हेतु किसी तरह की कोई किश्तवाली सुविधा नहीं दी जा रही. साथ ही पेंडिंग प्रीमियम पर पेनॉल्टी भी ली जा रही है. इस समय जब उन्हें अन्य विभागों द्वारा बकाया बिलों या देयकों पर किश्तों की सुविधा दिये जाने की जानकारी दी गई, तो उन्होंने कहा कि, हर महकमे का काम करने का अपना तरीका होता है और सभी के नियम भी अलग-अलग होते है. दत्ता के मुताबिक यह सारा फैसला एलआईसी के हेड ऑफिस से ही होता है. जहां पर सभी नीतियां बनायी जाती है. वे स्थानीय स्तर पर इसमें कुछ नहीं कर सकते. और उनके हाथ में केवल हेड ऑफिस से आनेवाले निर्देशों का पालन करना भर है.