70 फीसदी अस्पतालों में फायर का प्रावधान नहीं
फायर ऑडिट करने के बाद सामने आयी जानकारी
अमरावती/प्रतिनिधि दि.7 – अस्पतालों में लगने वाली आग की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए फायरबीट लगाना अनिवार्य किया जाये. लेकिन शहर के 70 फीसदी अस्पतालों में फायर व्यवस्था का प्रावधान नहीं होने की सनसनीखेज जानकारी सामने आयी है. हाल ही में किये गये फायर ऑडिट के बाद इस बात का खुलासा हुआ है.
यहां बता दें कि भंडारा, वीरार के अस्पतालों मेंं लगी आग में अनेक निष्पाप मरीजों को अपनी जान गवानी पड़ी. इसके बाद जिले के संबंधित यंत्रणाओं ने जागकर तत्कार फायर ऑडिट करवाना शुरु किया है. शहर में सरकारी व निजी मिलाकर 42 बड़े अस्पताल है. उनका हाल ही में ऑडिट पूरा हुआ है. सबसे ज्यादा मरीज संख्या रहने वाले जिला अस्पताल व पीडीएमसी वैद्यकीय महाविद्यालय में फायर से संबंधित पर्याप्त व्यवस्था नहीं रहने की बात सामने आयी है. छोटे फायरबीट सिलेंडर पर ही उनका दारोमदार बना हुआ है. वहीं अन्य 34 अस्पतालों के भी हालात समान ही है. केवल 8 अस्पतालों ने अग्निरोधक की व्यवस्था की है. अस्पतालों में अग्निरोधक यंत्रणाएं स्थापित करने को लेकर शहर के 36 अस्पतालों को नोटिस भेजे गये हैं. जिले में ऑडिट की प्रक्रिया शुरु की गई है और अस्पतालों को तत्काल यंत्रणाएं अपडेट करने की नोटिस दी जा रही है. इसलिए अग्निरोधक यंत्र लगाने की डिमांड भी बढ़ने लगी है. लेकिन अग्निरोधक काम करने वाली निजी यंत्रणाएं भी काफी कम है. उनके कर्मचारी भी कोरोना महामारी की लहर में कोविड अस्पतालों में जाकर काम करने के लिये तैयार नहीं है. एक तरफ प्रशासकीय यंत्रणाएं जाग गई है. वहीं दूसरी ओर काम करने की तैयारी में रहने वाले कर्मचारियों के चलते शहर के अस्पताल दुविधा में घिर गये हैं. इसलिए फायर ऑडिट करने के बाद भी उस पर अमल करने का सवाल अब भी बना हुआ है.
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यंत्रणाओं का अभाव
जिले में केवल मनपा और ग्रामीण इलाकों में न.प. के पास प्रशिक्षित कर्मचारियों सहित फायर और आपातकालीन सेवा विभाग अस्तित्व में है. इसलिए संपूर्ण जिले में फायर ऑडिट करने की जिम्मेदारी इसी विभाग पर है. लेकिन इस विभाग में भी आपात के हालात बने हुए हैं. विभाग में 55 लोगों की नियुक्ति किये जाने पर भी केवल तीन ही कर्मचारी प्रशिक्षित है. फायरब्रिगेड अधिकारी का पद भी फिलहाल रिक्त है. इस पद की जिम्मेदारी एक फायरमॅन को सौंपी गई है. अग्निरोधक यंत्रणाएं स्थापित करने के लिये अस्पतालों में सीधे प्रवेश कर मरीजों के बेड तक जाना पड़ता है. अस्पतालों में कोरोना का संक्रमण रहने से यहां पर अग्निरोधक यंत्रणाएं स्थापित करने के लिये जाने से कर्मचारी कतरा रहे हैं.