सिमेंटीकरण नहीं, गलत नियोजन है जलजमाव के लिए जिम्मेदार
विधायक सुलभा खोडके का कथन
अमरावती/प्रतिनिधि दि.14 – विगत शनिवार से सोमवार तक 48 घंटों के दौरान हुई बारिश के चलते अमरावती शहर के कई स्थानों पर जलजमाव की स्थिति बन गई थी और लोगों के घरों व दुकानों में बारिश का पानी जा घुसा था. जिसकी वजह से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त होने के साथ-साथ लोगों को काफी समस्याओं व दिक्कतों का भी सामना करना पडा. जिसके लिए शहर में बेतहाशा हो रहे सिमेंटीकरण व कांक्रीटीकरण को जिम्मेदार माना जा रहा है. लेकिन स्थानीय विधायक सुलभा खोडके के मुताबिक इस समस्या के लिए सिमेंटीकरण व कांक्रीटीकरण नहीं, बल्कि इस हेतु किया गया गलत नियोजन जिम्मेदार है.
दैनिक अमरावती मंडल के साथ इस विषय को लेकर विशेष तौर पर बातचीत करते हुए विधायक सुलभा खोडके ने कहा कि, जिस समय अमरावती शहर में सिमेंट-कांक्रीट की सडके बनायी जा रही थी, उस समय यह बेहद जरूरी था कि, पुरानी डांबर की सडकों को खोदकर उखाड दिया जाता और करीब ढाई-तीन फीट की खुदाई करते हुए उस पर सिमेंट-कांक्रीट का स्तर बिछाया जाता, किंतु ऐसा करने की बजाय पुरानी सडकों के उपर ही सिमेंट-कांक्रीट की नई सडकें बना दी गई. जिससे अब नई सडकें जमीन से करीब ढाई-तीन फीट उंची हो गई है और सडक किनारे रहनेवाले मकान व दुकान गढ्ढे में चले गये है. इसके अलावा सिमेंट-कांक्रीट की सडकें बिछाते समय जमीन की लेवल और उतार या ढलान की ओर भी ध्यान नहीं दिया गया. साथ ही बारिश के मौसम में सडकों पर जमा होनेवाले पानी की निकासी कैसी होगी, इसका भी खयाल नहीं रखा गया. जिसका परिणाम जारी मौसम की पहली बारिश में ही दिखाई दिया है.
इस समस्या के समाधान को लेकर पूछे गये सवाल पर विधायक सुलभा खोडके का कहना रहा कि, पर्यावरण एवं प्रदूषण को लेकर बनाये गये वैश्विक मानकों के तहत सिमेंट-कांक्रीट की सडके बनाये जाना बेहद जरूरी है, लेकिन ऐसा करते समय कई बातों के नियोजन की ओर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. क्योकि सिमेंट-कांक्रीट की सडक बन जाने के बाद उसे पहले की तरह बार-बार खोदा नहीं जा सकता. ऐसे में भुमिगत केबल अथवा ड्रेनेज सिस्टीम को लेकर सडक का निर्माण करने से पहले ही आवश्यक नियोजन करना जरूरी होता है. साथ ही इस बात की ओर भी ध्यान दिया जाना जरूरी होता है कि, इन सडकों का निर्माण जमीन की लेवल से उंचा न हो. किंतु अमरावती शहर में सिमेंट-कांक्रीट की सडके बनाते समय इन बातोें का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा गया. जिसके परिणाम अब सामने दिखाई दे रहे है. उन्होंने विगत दिनों ही इस बारे में महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के सदस्य सचिव किशोरराजे निंबालकर से चर्चा की थी और निंबालकर द्वारा अमरावती शहर का दौरा करते हुए जलनिकासी की समस्या को हल करने हेतु सिमेंट सडकों के नीचे आडे बोअर करने का सुझाव दिया गया. जिसके तहत शहर में एक-दो स्थानों पर आडे बोअर का ट्रायल भी किया गया, जो बेहद सफल रहा है. ऐसे में अब जिन-जिन स्थानों पर जलजमाव की समस्या दिखाई दे रही है, उन सभी स्थानों पर आडे सिमेंट-कांक्रीट सडकों के नीचे आडे बोअर मारते हुए जलनिकासी की व्यवस्था की जायेगी.